Skip to main content

ग्रामों में सुद्दढ अधोसंरचना से समृद्ध मानव विकास का लक्ष्य


विशेष लेख


भोपाल : मंगलवार, दिसम्बर 31, 2019, 11:58 IST

सदियों देश में सबसे महत्वपूर्ण ईकाई ग्राम ही रहा है। भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। हमारी 75 प्रतिशत आबादी या तो गाँव में ही निवास करती है या फिर ग्राम से सम्बन्धित है। हमारी अर्थव्यवस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही है। मध्यप्रदेश में ग्रामों को आर्थिक, सामाजिक, अधोसंरचना और स्वायत्ता के हिसाब से समृद्ध बनाने का काम किया गया है। देश में सर्वप्रथम पंचायतराज व्यवस्था को 73वें संविधान संशोधन विधि के माध्यम से ग्राम-पंचायतों को अपने विकास का कार्य स्वंय तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जो देश के इतिहास में सदैव मील के पत्थर के रूप में याद की जाती रहेगी।


मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से पंचायतों को आर्थिक और अधिकारिता के दृष्टिकोण से समृद्ध बनाने का कार्य किया जा रहा है। क्योंकि राज्य सरकार का मानना है कि जब ग्राम समृद्ध होंगे तथा राज्य समृद्ध होगा। वर्तमान सरकार ने अपने पहले वार्षिक बजट में 25 हजार 15 करोड़ का प्रावधान ग्रामीण विकास और उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए किया है। वित्त वर्ष की तीन-तिमाई पूरी होते-होते ग्राम विकास का रोड़ मेप और सरकार की मंशा दोनो अपना साकार रूप लेने लगे है।


पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्रामों को सशक्त अधोसरंचना प्रदान काने के साथ ही मानव विकास गतिविधियों को भी समान्तर तरजीह दी गई है।


'सड़के' विकास की रीढ़ है। सड़कों के माध्यम से ही विकास की रोशनी दूरस्थ अंचल तक पहुँच सकती है। मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से 500 तक आबादी लगभग सभी ग्रामों को डामरीकृत सड़क मार्ग से जोड़ा जा चुका है। गत एक वर्ष में 554 मार्ग पूर्ण कर, 3319 कि.मी. सड़कों का निर्माण कर 366 बासहटों को सम्पर्क सूत्र से जोड़ा गया है। ग्रामीण सार्थकता परियोजना के तहत 136 करोड़ रूपये के व्यय से 2752 कि.मी. डामरीकृत और सीमेन्ट कांक्रीट निर्माण भी पूर्ण किया गया है। राज्य वित्त पोषित अन्य योजनाओं से 670 कि.मी. मार्ग पूर्ण कर 580 ग्रामों को जोड़ा गया है।


प्रधानमंत्री आवास योजना में 40 प्रतिशत भागीदारी के साथ 2 लाख 72 हजार 889 रूपये के व्यय से 2,23,133 आवास पूर्ण कराये जा चुके हैं।


मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद 'स्वच्छ भारत मिशन' में पुन: सर्वे कराकर, 2012 में छूटे 3,06,098 आवासों को चिन्हित किया गया है। इनमें आवास बनाने का कार्य प्रगति पर है। अभी तक 219 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जा चुकी है। प्रधानमंत्री आवास निर्माण के लिए ग्राम में ही राज मिस्त्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराना भी राज्य सरकार की अभिनव पहल है। प्रदेश में 19690 राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया, इनमें 9411 महिला राज मिस्त्री तैयार की गई है।


पंचायत एवं ग्रामीण विकास में भुगतान की सम्पूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। 'पंचायत दर्पण' पोर्टल के माध्यम से पंचायतों की भुगतान प्रक्रिया ऑन-लाईन की गई है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के द्वारा RESOWMS, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इन सरल डेव्हलपमेंट विकसित की गई है।


प्रदेश में रोजगार गतिविधियों के तहत मानव विकास बतिविधियों को प्रोत्साहित करने का काम भी प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। म.प्र. अंत्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के 5 लाख 32 हजार परिवारों को 49 हजार 815 स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है। इनमें से 37 हजार 97 समूहों को 232 करोड़ के ऋण बैंको के माध्यम से उपलब्ध कराये गये है। स्व-सहायता समूहों की रोजगार गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग ने भोपाल हाट बाजार में 'सरस-मेलों' का आयोजन किया गया, आजीविका मिशन की महिला सदस्यों को नई-दिल्ली फूड कोर्ट में व्यंजनों की स्टाल लगाने का अवसर दिया गया।


इसके साथ ही पंचायत राज संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए उनके अधिकारों में बढ़ोत्तरी , ग्राम स्तर पर जी.पी.डी.पी. (GPDP) तैयार कराना, ग्राम सभाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए 8 मार्च को 'सबला-सभाओं', 19 नवम्बर को प्रिय-दर्शिनी सभाओं का आयोजन प्रारम्भ किया गया है। आवासीय भू-खण्ड एवं आवास आवंटन महिलाओं के नाम करने की प्रक्रिया भी प्रारम्भ की गई है।


पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मैदानी काम करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। इसी क्रम में ग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की 66,492 शालाओं में भोजन बनाने के लिए शत-प्रतिशत शालाओं के रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किए गए है। इससे पेड़ो (लकड़ी) की कटाई और धुएं से होने प्रदूषण को कम से कम करने में मदद मिलेगी।


प्लास्टिक मुक्त भारत में मध्यप्रदेश की अभिनव पहल के तौर पर एम.पी.आर.आर.डी.ए. द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल के माध्यम से साढ़े सात हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है। इसमें 3650 मैट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया गया है।


जल-संसाधन एवं संवर्धन की गतिविधियाँ भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से लागू की गई है। इनमें नदी पुर्नजीवन के तहत 40 जिलों की 40 नदियों को पुर्नजीवित करने का कार्य किया जा रहा है। अभी तक 953.41 करोड़ लागत के 56,193 कार्य हाथ में लिए गये है विभिन्न क्षेत्रों में 40.92 करोड़ से 4674 कार्य पूर्ण किए जा चुके है। साथ ही पानी के संकट का सामना कर रहे बुन्देलखण्ड अंचल को 10वीं शताब्दी तक के 'चंदेला-बुन्देला' तालाबों को पुन: रूद्धार कराने का कार्य भी प्राप्त किया गया है।


हम कह सकते है ग्रामीण विकास के क्षेत्र में 'हम लक्ष्य तक पहुँचे भले ही न हो' लेकर प्रस्थान तो अवश्य है।


 


अनिल वशिष्ठ

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar