विशेष लेख
भोपाल : शनिवार, जनवरी 4, 2020, 12:09 IST
प्रदेश में कुटीर और ग्रामोद्योग को आर्थिक रूप से सशक्त और लोकप्रिय बनाने के लिये राज्य सरकार ने सत्ता संभालते ही शिल्पियों, ग्रामीण कारीगरों और हुनरमंद कलाकारों को प्रोत्साहित करना शुरू किया। शिल्प कलाओं से जुड़े ग्रामीण कई वर्षों से जीविका में कोई नया आयाम नहीं जुड़ने से निराश और हताश थे। सरकार ने इन्हें बढ़ावा देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की पहल की।पिछले एक वर्ष में राज्य सरकार ने अपने वचन-पत्र के कुटीर एवं ग्रामोद्योग संबंधी सात वचन पूरे किये हैं। शेष सात वचन पूरा करने की कार्यवाही शुरू की गई है।
प्रदेश में हाथकरघा, हस्तशिल्प एवं माटी कला शिल्प के उत्कृष्ट शिल्पियों को प्रतिवर्ष पुरस्कार दिए जाना शुरू किया गया है। पुरस्कार राशि को दोगुना कर क्रमश: एक लाख, 50 हजार, 25 हजार के स्थान पर 2 लाख, एक लाख और 50 हजार रूपए के प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार देने का निर्णय क्रियान्वित किया गया।
मृगनयनी विक्रय केन्द्रों से जुड़े राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थी
राज्य सरकार ने कार्यकाल के पहले साल में ही मृगनयनी एम्पोरियम से राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थियों को जुड़ने का अवसर दिया। इस योजना में संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा बुनकरों के लिए कोई डिजाइन विकसित की जाती है, तो उसे उपभोक्ता को क्रय करने के लिए उपलब्ध कराते हुए प्राप्त राशि में से 2 से 5 प्रतिशत तक राशि रायल्टी के रूप में विद्यार्थियों को देने का निर्णय लागू किया। छत्तीसगढ़ और आन्ध्रप्रदेश के साथ अनुबंध कर प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराया गया।
सागर और छिंदवाडा में नए मृगनयनी शो-रूम शुरू करने का निर्णय लिया गया। ढाई गुना बढ़कर इस वर्ष करीब 268 लाख हुई। अप्रैल 2020 में लंदन में मृगनयनी प्रदर्शनी लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। काष्ठ शिल्प को प्रोत्साहन देते हुए सागर, छतरपुर, बैतूल, मंडला तथा छिंदवाडा जिलों में काष्ठ फर्नीचर उत्पादन केन्द्र की स्थापना प्रस्तावित की गई।
शिल्पियों के लिये प्रशिक्षण और मार्केटिंग
पत्थर शिल्प के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए छतरपुर, मुरैना, ग्वालियर और जबलपुर जिले के शिल्पियों को प्रशिक्षण और मार्केटिंग की सुविधा दी गई।
द रॉयल हेरिटेज कलेक्शन
मृगनयनी विक्रय केन्द्रों से पहली बार चंदेरी एवं महेश्वर के बुनकरों को उच्च श्रेणी और गुणवत्ता के वैवाहिक वस्त्रों के उत्पादन और विपणन के लिए प्रोत्साहित किया गया। फलस्वरूप देश के वैवाहिक साड़ियों के बाजार में मध्यप्रदेश के बुनकरों द्वारा बनाये गये वस्त्रों के 'द रॉयल हेरिटेज कलेक्शन' नाम से वस्त्र को स्थान मिला है। होशंगाबाद एवं बैतूल में नए मृगनयनी विक्रय केन्द्र शुरू किये गये। आन्ध्रप्रदेश के हैदराबाद, गुजरात के केवडिया और छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में भी मृगनयनी शो-रूम शुरू किये गये। भोपाल के गौहर महल के साथ अर्बन हाट इंदौर और शिल्प बाजार ग्वालियर में नई गतिविधियाँ प्रारंभ की गईं। उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए भोपाल एवं इंदौर विमानतल पर मृगनयनी काउन्टर प्रारंभ करने की योजना बनाई गई। गौंड कलाकरों की कलाकृतियों को देश में मृगनयनी केन्द्रों में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया।
ब्रांड बिल्डिंग
प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग के लिये नई ब्रान्ड बिल्डिंग योजना शुरू की गई। इस योजना में पूर्व के 50 लाख रूपए के प्रावधान को कई गुना बढ़ाकर 9.80 करोड़ किया गया। ग्वालियर के कालीन पार्क में 20 हाथकरघे स्थापित कर बुनकरों को रोजगार दिया गया। योजना में 120 नवीन करघे स्थापित करने का प्रावधान किया गया। शासकीय विभागों से 1281 लाख से ज्यादा राशि के क्रय आदेश प्राप्त हुए, जिनसे 1704 बुनकरों को सीधे रोजगार मिला। एक वर्ष में महेश्वर, चंदेरी सहित प्रदेश के 280 बुनकरों को डिजाईन विकास का प्रशिक्षण दिया गया। दोना-पत्तल एवं कागज के बैग तैयार करने वाले शिल्पियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार प्रदान किया गया।
मृगनयनी एम्पोरियम का पीपीपी मोड पर संचालन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष के विशेष अवसर पर खादी उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने के लिए पी.पी.पी. मोड पर एम्पोरियम संचालित करने का निर्णय लेकर उसे लागू किया गया। होशंगाबाद, खंडवा, गुना, सतना, शहडोल और सागर में इस दिशा में कार्यवाही प्रचलन में है। छिंदवाड़ा में पीपीपी मोड में एम्पोरियम का संचालन शुरू किया गया। दिसंबर 2018 से अक्टूबर 2019 की अवधि में 480 हितग्राहियों को ब्यूटी पार्लर, कम्प्यूटर, टेली एकाउण्ट, इलेक्ट्रिशियन, दोना-पत्तल, चर्म सामग्री निर्माण आदि रोजगार मूलक क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया।
निजी क्षेत्रों में रेशम उत्पादन को बढ़ावा
निजी क्षेत्र में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये ' ई-रेशम' पोर्टल शुरू किया गया । इसके माध्यम से मलबरी हितग्राहियों के चयन, पंजीकरण और भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया। चयनित कृषकों को अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार पौध-रोपण, कृमि पालन, भवन निर्माण और सिंचाई संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए पोर्टल पर भुगतान आदेश की व्यवस्था भी की गई। के लिए छिंदवाडा और इंदौर में उन्नत किस्म के धागे तैयार करने के लिये उपकरण स्थापित किये गये। नरसिंहपुर और बैतूल जिले में रेशम धागाकरण की ऑटोमैटिक रीलिंग मशीन स्थापना की कार्यवाही की गई। किसानों से खरीदे जाने वाले रेशम ककून का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया। किसानों की भूमि पर 180 एकड़ मलबरी पौध-रोपण का कार्य किया गया। एक वर्ष में 256 लाख रुपये मूल्य के ककून, धागा और रेशम वस्त्रों का विक्रय किया गया।
रेशम गतिविधियों में तेजी से 10 हजार से अधिक हितग्राही लाभान्वित हुए। मात्र एक साल में 7.166 लाख किलो मलबरी ककून और 74 लाख 26 हजार टसर कोया का उत्पादन हुआ। इस दौरान माटी कला शिल्पियों को भी पुरस्कृत किया जाना शुरू किया गया।
अशोक मनवानी
Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर
Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar
Comments