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अंतिम छोर के व्यक्ति की आशा के किरण नए युग के सूत्रधार राजा दिग्विजय सिंह


अंतिम छोर के व्यक्ति की आशा के किरण नए युग के सूत्रधार राजा दिग्विजय सिंह


आज से साढ़े इक्कीस वर्ष पूर्व 7 दिसम्बर 1993 को म.प्र. के मुख्यमंत्री के रूप में श्री दिग्विजय सिंह के शपथ लेने के साथ विगत् एक सप्ताह की अनिष्चत्ता ओर ऊहापोह के बाद प्रदेश की आम जनता के चेहरे पर खुशहाली उत्साह और प्रगति के प्रति आश्वस्तता का भव देखा गया। माननीय राजा साहब ऐसे पहले काँग्रेस राजनेता हैं जिन्होंने अपनी धर्मपत्नि सहित माँ नर्मदा नदी की पैदल परिक्रमा पूर्व की एवं वर्तमान में राज्यसभा सदस्य के रूप में देश की ज्वलंत समस्यओं का उठा रहे हैं साथ ही समाजवादी सोच का परिचय दे रहे हैं। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के साम्प्रदायिक संदेह के वातावरण से व्यथित जन सामान्य ने राहत की सांस ली। कांग्रेस के चले कूट मंथन में श्री दिग्विजय सिंह ऐसे तपस्वी शालीन सम्मानित संघर्षशील  मर्यादित कर्मशील व्यक्ति नये मुख्यमंत्री के रूप में निकले जिन-जिन लोगों के नाम मुख्यमंत्री के पद के दावेदारों के रूप में उछले थे उससे कई अषुभ और अनिष्ठ कारी आकांछाऐं जन  सामान्य ओर कांग्रेस जनों के मन में उठने लगी थीं उनके बीच से श्री दिग्विजय सिंह ऐसा प्रगतिशील अनुभवी और निरापद राजनीति का चयन निष्चित्त ही शुभ ओर नये युग की शुरूआत में हुआ तत्कालीन म.प्र. कांग्रेस ने उनसे बेहतर लोकप्रिय जन आस्था और विश्वास के प्रति के रूप में प्रदेष के सर्वाच्च पद के लिये शायद कोई नेता नहीं मिलता श्री सिंह कई मायनों में अनूठे हैं। संगठन, राजनीति ओर प्रशासन में लंबे ओर सम्मान पूर्ण अनुभव के बावजूद उनका व्यक्तित्व गुठीय और दलीय राजनीति से ऊपर रहा है स्पष्ट ओर वैचारिक और प्रतिबद्धताओं के होते हुये भी उनके सम्पर्क ओर सक्रियता का दायरा बहुत व्यापक है। वह प्रदेश के हर कांग्रेस कार्यकर्ता को व्यक्तिषः जानते हैं। वह विराट जनधारा वाले नेता हैं। षिष्टिता ओर शालीनता उनके सार्वजनिक आचारण का अंग है ऐसे उनको व्यक्गित खूबियों के चलते विधायक दल की बैठक में सर्वमान्य नेता माना गया आप समुचे प्रदेष की शुभकामश: नाऐं उनके साथ थीं पर निज परिस्थतियों में श्री सिंह ने प्रदेष की बागडोर संभाली थी उनके सामने चुनोतियां जबरदस्त थीं सारे प्रदेष में पूर्ववर्ती भाजपा शासन से मिला संदेह का वातारवण चारों और था भाजपा ने अपने शासन के दौरान जिस राजनीति को प्रोत्साहन दिया परिणाम स्वरूप प्रदेश वासियों के मन में राजनीतिज्ञों के प्रति वितृष्णा ओर राजनीति मात्र के लिये ऊब किसी भी देशकाल में समाज और राज्य स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं थी। श्री सिंह के शपथ लेते ही प्रदेश का वातावरण खुशनमा हुआ नई उमंग नई दौर की राजनीतिक शैली का उद्भव हुआ। उन्होंने अपने दल के सभी विशिष्ट नेताओं से प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये आशीष  लिया उन्होंने प्रतिद्वंदी को मित्र बनाने वाले राजनीति की नई शैली का सूत्रपात करते हुये एक पक्षीय उदारता का परिचय देते हुये विपक्ष के तत्कालीन नेता श्री विकरम वर्मा से राज्य के विकास हेतु सहयोग लेने उनके निवास गये। यहीं से प्रारंभ हुआ सत्ता इतिहास का मधुरतम दौर। मधुरतम दौर की शरूआत करते हुये 7 दिसम्बर 1993 को पदभार ग्रहण करने के तत्काल बाद श्री सिंह ने राज्य सचिवालय में अपनी पहली पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये प्रदेष के विकास ओर जनकल्याण के प्रति नई सरकार के नीति कार्यक्रम और अपने दीर्घकालीन अनुभव को स्पष्ट तरीके से प्रतिपादित किया। अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक और और कर्मजोर वर्ग की जरूरतों और समस्याओं के प्रति श्री सिंह की जानकारी लेने समझने ओर उन्हें हल करने की सर्वथा अनोखी कार्यशैली  का परिचय देकर नया संदेष दिया। साम्प्रदायिक सद्भाव की बहाली अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक पर अत्याचार ना हों अधिकारियों को इस हेतु सशक्त हिदायतें दीं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों का जीवन स्तर सुधारा। राष्ट्र तथ महात्मा गांधी जी ने जिस ग्राम स्वराज्य की स्थापना इस देष में कायम करने का सपना देखा था श्री सिंह ने देश में सबसे पहले उस सपने को साकार किया पंचायती राज्य की स्थापना करने वाला पहला राज्य स्थापित करने का यष अर्जित किया यह एक बुनियादी परिवर्तन का इस परिर्वतन से सुदूर अंचलों और विकास की बाट जोहटे ग्रामीणों को बेहतर जीवन देने के लिये बराबर का भागीदार बनाया एवं समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को प्रथम श्रेणी में लाये इस व्यवस्था के तहत विकास प्रतिक्रिया को निर्धारित करने का अधिकार पंचायतों ओर क्रियान्वयन का जिम्मा ग्रामीणवासियों को दिया एंव समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को दिया। श्री सिंह की सरकार ने पंचायत चुनाव की घोषणा थी तो प्रत्युचरणों का दोर शुरू हुआ था श्री सिंह अपने फैसलों पर अडिग रहते थे उन्हांने स्वाधीन सत्त की और बढ़ते कदम वापिस नहीं लिये पंचायत चुनाव ने समाज में सदियों से शोषित वर्ग में चैतना का संचार किया अनुसूचित जाति जनजाति महिलाओं एवं पिछड़ा वर्गां को निशचित भागीदारी मिली महिलायें घूंघट से बाहर आई ग्राम  पंचायत ही नहींं कई जिलों में खेतों में काम करने वाली महिलायें और पुरूष समाज के अंतिम छोर व्यक्ति जिला पंचायत अध्यक्ष बने। एक समय था जब पंचायतों के पद पुश्तैनी होकर रहगये थे पर श्री सिंह के इस क्रांतिकारी फैसले से प्रदेश में समतामूलक समाज की स्थापना हूई गांवो की तस्वीरों में खुशहाली का रंग भरने लगा भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सत्ता के विकेन्द्रीयकरण का यह फैसला सबसे चमकीला और महत्वपूर्ण था श्री सिंह के इस निर्णय को राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया तत्तकालीन प्रधान मंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल ने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में सुझाव दिये कि म.प्र. में लागू पंचायती राज्य व्यवस्था एक आदर्श  व्यवस्था है। जिसको देश के सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिये गैर कांग्रसी प्रधान मंत्रियों द्वारा की गई प्रशंसा एवं सफलताऐं देखकर पार्टी में चल रही प्रतिक्रिया को स्तब्ध कर दिया आप अपने पहले कार्यकाल में पंचायती राज्य के अलावा प्रदेश के संर्वागीण विकास की दिषा में झुग्गीवासियों के अंधकार को जीवन में रोशनी लाने का एक बत्ती कनेक्षन निःशुल्क दिये गये व 31 मई 1998 तक काबिल लोगों को जमीन के पटटे राजीव गांधी आश्रय योजना बनाकर दिये पटटे धारियों को स्वामित्व सौंपा। किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिये 5 हास पावर के विद्युत कनेक्षन निशुल्क  दिये। श्री सिंह ने पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाते हुये 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक कदम उठाया। दलित वर्ग को दलित ऐजेन्डा लागू कर दलित वर्ग कर जीवन स्तर सुधारा। अपने कार्यकाल में भी ग्रमीण जीवन की महत्वपूर्ण समस्याओं अविवाहित नामांतरण और बंटवारे के मामले निपटाने का अधिकार ग्राम पंचायतों को दिया। महिलाओं का सशक्तिकरण किया गया। जल रोको अभियान की शुरूआत की कृषि नीति आदिवासी विकास परियोजनाओं अल्पसंख्यक उत्थान के अभूतपूर्व निर्णय लिये गये। ऐसे हैं श्री दिग्विजय सिंह।



-विनोद सेन, सिरोंज सचिव , मध्यप्रदेश काँग्रेस कमेटी 


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