सफलता की कहानी
पहले रहती थी पानी की कमी
माकड़ोन के किसान विनोद ने किया प्लास्टि लाईनिंग तालाब का निर्माण
अब गर्मी के मौसम में भी फसलों की होती है भरपूर सिंचाई
सिंचाई का रकबा हुआ 4 गुना अधिक, वहीं आय भी तिगुनी हुई
उज्जैन 14 फरवरी। माकड़ोन के किसान विनोद गामी अब भीषण से भीषण गर्मी के मौसम में भी फसलों की भरपूर सिंचाई कर पाते हैं। दो साल पहले तक ऐसा संभव नहीं हो पाता था। फरवरी के महीने में जब रबी की फसल को पकने के दौरान पानी की सबसे अधिक जरूरत पड़ती थी, उस दौरान ही विनोद के खेत का कुआ सूख जाता था। कंगाली में आटा गीला वाली बात यह होती थी कि कुछ दिनों बाद खेत में लगे ट्यूबवेल का भूजल स्तर भी काफी नीचे चला जाता था। ये स्थिति बारिश का मौसम आने तक निरन्तर बनी रहती थी। इस वजह से पर्याप्त जमीन होने के बावजूद मजबूरन विनोद को कम रकबे में फसल लेना पड़ती थी। साथ ही आमदनी भी बहुत कम होती थी। कभी-कभार तो फसल की लागत निकाल पाना तक मुश्किल हो जाता था।
एक दिन विनोद ऐसे ही घर में फुर्सत में बैठे हुए थे। करने को कुछ था नहीं तो अपना स्मार्टफोन निकालकर वाट्सअप पर मैसेज पढ़ने लगे। विनोद किसानों के हित के लिये बनाये गये एक ग्रुप से जुड़े हुए हैं, जिसमें कृषि और उद्यानिकी विभाग के कई अधिकारी भी हैं। इस ग्रुप में विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर किसानों के लिये सलाह और अन्य लाभकारी योजनाएं डाली जाती हैं। ग्रुप पर स्क्रोल करते-करते विनोद की नजर अचानक एक मैसेज पर पड़ी और एकाएक रूक गई। मैसेज कुछ इस प्रकार का था-
प्लास्टिक लाईनिंग फार्म पोंड
जल संग्रहण का अनूठा तरीका
अब सिंचाई के लिये पानी की नो टेंशन
बस इस मैसेज को पढ़कर विनोद बिना एक पल गंवाये तराना के वरिष्ठ उद्यानिकी विस्तार अधिकारी श्री सुनील राठौर से मिलने पहुंचे। उन्होंने विनोद को बताया कि प्लास्टिक लाईनिंग फार्म पोंड में जल संग्रहण हेतु एक कृत्रिम तालाब का निर्माण खेत पर किया जाता है। इसमें पहले एक गड्ढा बनाया जाता है फिर उसमें 500 माइक्रॉन की एक प्लास्टिक की शीट बिछाई जाती है। इसके बाद बारिश के मौसम में जब भी अधिक पानी गिरता है, तो आसपास के कुओं से ओवरफ्लो होने वाला जल और बोरिंग का जल बढ़ जाता है। किसान द्वारा मोटर पम्प के माध्यम से बेकार बह जाने वाला जल तालाब में भर दिया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर बारिश का पानी भी तालाब में एकत्रित होता रहता है। इस प्रकार पूरे बारिश के मौसम में अतिरिक्त जल तालाब में भर दिया जाता है। तालाब में बिछाई गई प्लास्टिक की शीट से पानी का रिसाव जमीन के अन्दर नहीं हो पाता और इस वजह से तालाब में पानी का स्तर एक जैसा बना रहता है।
इसके बाद सालभर खासतौर पर गर्मी के मौसम में उद्यानिकी और अन्य फसलों की सिंचाई के लिये किसान साइफन के माध्यम से तालाब से पानी लेकर सिंचाई करते हैं। अब चूंकि उनके पास स्वयं का जलस्त्रोत है, इसीलिये किसानों को किसी अन्य बाहरी स्त्रोत के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़ता।
उद्यानिकी विभाग के श्री सुभाष श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा 2642 वर्गमीटर तालाब में प्लास्टिक लाईन बिछाने पर एक लाख 32 हजार 826 रुपये की सब्सिडी किसानों को दी जाती है। इस प्रक्रिया में तालाब किसानों को खुदवाना होता है और प्लास्टिक शीट (एनसीपीएच से पंजीकृत कंपनी की) बिछाने के बाद विभाग द्वारा तालाब का भौतिक सत्यापन कर और बिल प्रमाणीकरण कर सब्सिडी की राशि किसानों के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी जाती है।
हालांकि किसान तालाब का निर्माण अधिक क्षेत्र में भी कर सकते हैं, लेकिन सब्सिडी निर्धारित क्षेत्र पर ही दी जाती है। पानी से मूल्यवान कोई वस्तु नहीं है, इसीलिये विनोद ने बिना खर्च की परवाह किये अपने खेत में 180 गुणा 130 फीट का तालाब निर्माण प्लास्टिक लाईनिंग कर किया। तालाब में लगभग एक करोड़ 10 लाख लीटर पानी भण्डारण की क्षमता है। पिछले वर्ष अच्छी बारिश होने की वजह से 50 से 60 प्रतिशत सिंचाई करने के बावजूद तालाब में पर्याप्त पानी मौजूद है।
अब अच्छी सिंचाई होने से विनोद की फसल के रकबे में भी चार गुना बढ़ौत्री हुई है। पहले मात्र पांच बीघा में फसल लेने वाले विनोद अब 20 बीघा जमीन में फसल कर रहे हैं। वहीं उनकी आय में भी अपेक्षाकृत बहुत वृद्धि हुई है। पहले फसल से मात्र आठ लाख रुपये साल में कमाने वाले विनोद अब 30 लाख रुपये साल की आय कर रहे हैं। उन्होंने 18 बीघा में लहसुन, तीन बीघा में आलू, एक बीघा में प्याज और एक बीघा में प्याज के बीज बोये हैं।
पानी की कमी दूर होने से विनोद आने वाले समय में तरबूज और अन्य कैशक्रॉप भी लगाने की तैयारी कर रहे हैं। उद्यानिकी विभाग द्वारा विनोद को तरबूज के बीज के लिये सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अनुदान भी दिया गया है। साथ ही कृषि सिंचाई योजना के तहत दो हेक्टेयर के लिये मिनी स्प्रिंकलर खरीदने पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराई है। इसके अलावा विनोद प्याज के बीज भी अपने ही खेत में आधा बीघा जमीन पर उगा रहे हैं। ये बीज वे सीधे अन्य किसानों को भी बोने के लिये बेचते हैं, जिससे उन्हें पांच से छह लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
यह सब विनोद के लिये सिंचाई के लिये भरपूर जल की वजह से ही संभव हो सका है। विनोद की देखादेखी आसपास के किसान भी प्लास्टिक लाईनिंग तालाब का निर्माण करने लगे हैं। निश्चित रूप से यह वाटर हार्वेस्टिंग का एक अत्यन्त लाभदायक तरीका है।
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