कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के पांच वर्ष 19 फरवरी को पूरे होंगे
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को हर दो वर्ष में दिए जाते हैं
स्वस्थ मिट्टी से बेहतर खेती
वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष मनाया गया था। देश के हर खेत की पोषण स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए इसी साल 19 फरवरी को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस योजना का लक्ष्य देश के किसानों को हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है, ताकि खाद इत्यादि के बारे में मिट्टी पोषण कमियों को दूर किया जा सके। मिट्टी की जांच करने से खेती के खर्च में कमी आती है,क्योंकि जांच के बाद सही मात्रा में उर्वरक दिए जाते हैं। इस तरह उपज के बढ़ने से किसानों की आय में भी इजाफा होता है और बेहतर खेती संभव हो पाती है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में शुरू किया था। यह योजना देश के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों को मदद देती है। इस कार्ड में मिट्टी की पोषण स्थिति और उसके उपजाऊपन की जानकारी सहित उर्वरक तथा अन्य पोषक तत्वों के बारे में सूचनाएं मौजूद होती हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की आर्थिक प्रगति :
(करोड़ रुपये में )
वर्ष | जारी निधि |
2014-15 | 23.89 |
2015-16 | 96.47 |
2016-17 | 133.66 |
2017-18 | 152.76 |
2018-19 | 237.40 |
2019-20 | 107.24 |
कुल | 751.42 |
|
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2015 से 2017 तक चलने वाले पहले चरण में किसानों को 1,10.74 करोड़ और 2017-19 के दूसरे चरण में 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किए गए। उल्लेखनीय है कि अब तक 429 नई स्थायी मृदा जांच प्रयोगशालाएं, 102 नई चलती मृदा जांच प्रयोगशालाएं और 8,752 लघु जांच प्रयोगशालाएं उपलब्ध कराई गई हैं। गांव स्तर पर भी मिट्टी की जांच करने के लिए कृषि उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक इस संबंध में गांवों में 1562 जांच प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई है और मौजूदा 800 प्रयोगशालाओं को उन्नत किया गया है। इस तरह पांच वर्ष की छोटी अवधि के दौरान मिट्टी की जांच करने की क्षमता बढ़ गई है। इस दौरान एक वर्ष में 3.33 करोड़ नमूनों की जांच की गई, जबकि पहले 1.78 करोड़ नमूनों की जांच ही हो पाती थी।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड में 6 फसलों के लिए दो तरह के उर्वरकों की सिफारिश की गई है, इसमें जैविक खाद भी शामिल है। अतिरिक्त फसल के लिए भी किसान सुझाव मांग सकते हैं। एसएचसी पोर्टल से किसान अपना कार्ड प्रिंट करवा सकते हैं। इस पोर्टल पर 21 भाषाओं में खेती के बारे में सभी जानकारी उपलब्ध है।
किसानों के लाभ के लिए प्रशिक्षण, प्रदर्शनी और किसान मेलों का भी आयोजन किया जाता है। योजना के तहत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 8,898 किसान प्रशिक्षण और 7425 किसान मेलों को स्वीकृति दी गई है। इसी तरह एसएचसी के सुझावों पर साढ़े पांच लाख मृदा जांच प्रदर्शनियों को मंजूरी दी गई है। वर्ष 2019-20 के दौरान ‘आदर्श ग्राम विकास’ नामक एक पायलट परियोजना शुरू की गई, जिसके तहत खेतों से मिट्टी के नमूने उठाए गए। इस गतिविधि में किसानों ने हिस्सा लिया। पायलट परियोजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक से एक गांव को लिया जाता है और वहां मिट्टी के नमूने जमा किए जाते हैं और उनकी जांच होती है। इस तरह प्रत्येक गांव में एक हेक्टेयर रकबे की जमीन से नमूने लिए जाते हैं।
अब तक राज्यों और केन्द्र शासित देशों में 6,954 गांवों की पहचान की है। इन गांवों से 26.83 लाख नमूने जमा करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 20.18 लाख नमूने जमा किए गए, 14.65 लाख नमूनों का मूल्यांकन किया गया और 13.54 लाख कार्ड किसानों को दिए गए। इसके अलावा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 24,6,968 मृदा जांच प्रदर्शनियां और 6,991 किसान मेले मंजूर किए गए हैं।
कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभागों के संयुक्त प्रयासों से किसानों में जागरूकता बढ़ाई जा रही है। इन प्रयासों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केन्द्रों के नेटवर्क और तकनीकी सहयोग से बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान अपने नमूनों की जांच के विषय में हर तरह की जानकारी www.soilhealth.gov.in पर प्राप्त कर सकते हैं तथा ‘स्वस्थ धरा से खेत हरा’ के मूलमंत्र को सार्थक बना सकते हैं।
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