उज्जैन। बेहतर जीवन स्तर के लिए आज जरूरत पारम्परिक शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाना है। इस दृष्टि से डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित की गई एक दिवसीय रोजगारोन्मुखी लिखित सम्प्रेषण विकास कार्यशाला शोधार्थियों-विद्यार्थियों को विषम परिस्थितियों में तैयार करने हेतु बहुउपयोगी है। वर्तमान में विद्यार्थियों को प्रतिपल परिवर्तित होती चुनौतियों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित कार्यशाला नि:संदेह विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेगी। उक्त विचार विक्रम विश्वविद्यालय की अंग्रेजी अध्ययनशाला के रीडर डॉ. रूबल वर्मा ने उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि वक्तव्य में कहीं।
डॉ. रूबल वर्मा ने कहा रोजगार चाहे कॉरपोरेट सेक्टर में हो, शासकीय में हो या अन्य कहीं भी 'सम्प्रेषण' को जानना, पहचानना और अभिव्यक्त करने की कौशल में पारंगत होना ही होगा, क्योंकि यही समय की माँग है। साक्षात्कार में अपने विचार, ज्ञान, योग्यता का श्रेष्ठ प्रदर्शन तभी हो पाता है जब आत्मविश्वास हो। संवाद की उच्च तकनीक, सकारात्मक दृष्टिकोण होना आवश्यक है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अर्थशास्त्र अध्ययनशाला के प्रभारी आचार्य डॉ.एस.के. मिश्रा ने कहा कि योग्यतम व्यक्तियों की खोज के लिए ही साक्षात्कार का आयोजन किया जाता है, जिसमें साक्षात्कारकर्ता की सोच, विषय ज्ञान, व्यवहार देखा जाता है। आपकी समस्या के समाधान को कौशल का प्रतिशत क्या है। इन सब बिंदु पर ही कार्यशाला के तकनीकी सत्र आयोजित किए गए हैं।
कार्यशाला के पाँच तकनीकी सत्र सम्पन्न हुए, जिनमें रोजगारोन्मुखी लिखित सम्प्रेषण कौशल विकास की भूमिका, रोजगार-पत्राचार, रोजगार पत्र लेखन, करीकलम वाइटे, बायोडेटा, रिज्यूमे लेखन व इनमें अन्तर व साक्षात्कार कौशल आदि विषय रखे गए। 42 विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाग लिया। इनमें 15 पी-एच.डी.,12 स्नातकोत्तर, 10 स्नातक, 3 डिप्लोमा के प्रतिभागी थे। 13 अध्ययनशालाओं, 1 माधव विज्ञान महाविद्यालय, 1 राष्ट्र भारती शिक्षा महाविद्यालय और 1 एम.आई.टी. के प्रतिभागिता रही। 4 शोधार्थी नेट पास, 2 शोधार्थी सेल्ट पास व 01 शोधार्थी जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त था। विषय विशेषज्ञों में अंग्रेजी अध्ययनशाला के उपाचार्य डॉ. रूबल वर्मा, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला के डॉ. एस.के. मिश्रा व राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ड्रीम अचीवर - मोटीवेशनल स्पीकर श्री निर्मल भटनागर ने प्रतिभागियों को वर्तमान की चुनौतियों से (लिखित मौखिक) लड़ने के गुर सिखाए।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के वाइस चेयरमेन, चार्टर्ड एकाउन्टेंट श्री अवनीश गुप्ता ने कहा हर मनुष्य का अपना-अपना व्यक्तित्व होता है और वही उसकी पहचान भी है। आवश्यक है कि व्यक्तित्व का निर्माण स्वभाव-संस्कार पर हो। जो प्रथम परिवार में ही होता है, दूसरी स्कूल-महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों। डॉ. अम्बेडकर पीठ की आज की यह एक दिवसीय कार्यशाला में नित्य नई परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। दरअसल आज की कार्यशाला का उद्देश्य कॉरपोरेट सेक्टर की क्या-क्या आवश्यकता होती है, चाहे लिखित हो या मौखिक उसकी बारीकियों को बताने, सीखाना है। प्रतिभागियों के लिए बहुत जरूरी है कि वे समय-अनुशासन और एकाग्रता को साधे।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के ऐकेडमिक डायरेक्टर, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. राकेश ढण्ड ने कहा कहने, सुनने तथा समझने की व्यवस्थित प्रक्रिया जो सतत् चलती है, वही सम्प्रेषण है। प्रतिभागियों की सजगता, योग्यता को क्रमबद्ध अनुशासित करने के लिए, उन्हें विषम परिस्थितियों से जूझने की कला डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में सिखाई गई हैं। निश्चित ही डॉ. अम्बेडकर पीठ इस सार्थक आयोजन के लिए स्तुत्य है। कार्यशाला का संचालन, कार्यशाला प्रतिवेदन व आभार शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने प्रस्तुत किया।
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