Skip to main content

सीसीईए ने डेयरी प्रसंस्करण एवं ढांचागत विकास कोष (डीआईडीएफ) योजना के तहत 2% तक ब्याज अनुदान को बढ़ाकर 2.5% सालाना तक करने संबंधी संशोधन को मंज़ूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने डेयरी प्रसंस्करण एवं ढांचागत विकास कोष (डीआईडीएफ) योजना के तहत 2% तक ब्याज अनुदान को बढ़ाकर2.5% सालाना तक करने संबंधी संशोधन को मंज़ूरी दे दी है। इससे संशोधित व्यय 11184 करोड़ रुपये होगा। इस योजना में 1167 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान होगा जिसका भुगतान डीएएचडी वर्ष2018-19 से 2030-31 की अवधि तक करेगा और इसका आर्थिक असर वित्तीय वर्ष 2031-32 की पहली तिमाही तक दिखेगा। इस योजना में कर्ज का हिस्सा 8004 करोड़ रुपये होगा जो नाबार्ड द्वारा दिया जाएगा। 2001 करोड़ रुपये का योगदान पात्र कर्जदार करेंगे और 12 करोड़ रुपये का योगदान राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी)/राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम संयुक्त रुप से करेंगे।


विवरण


डेयरी प्रसंस्करण एवं ढांचागत विकास कोष (डीआईडीएफ) के तहत भारत सरकार नाबार्ड को 2.5% तक ब्याज अनुदान वर्ष 2019-20 (30.07.2019 से प्रभावी) से वर्ष 2030-31 तक उपलब्ध कराएगा और यदि कोष की लागत में कोई और बढ़ोतरी होती है तो उसका वहन खुद कर्जदार करेंगे।


योजना की फंडिंग अवधि (2017-18 से 2019-20) संशोधित कर 2018-19 से 2022-23 कर दी गई है और भुगतान की अवधि बढ़ाकर 2030-31 कर दी गई है जिसका आर्थिक असर वित्त वर्ष 2031-32 की पहली तिमाही तक दिखेगा।


नाबार्ड कर्ज की लागत न्यूनतम बनाए रखने की कोशिश करेगा। नाबार्ड कर्ज लेने की अपनी रणनीति बनाएगा ताकि दूध संघों को कम लागत पर फंड मुहैया कराने के लिए बाजार में कम ब्याज दर का फायदा उठा सकें। नाबार्ड को फंड जुटाने के लिए बाजार के किफायती दरों के अनुकूल होने पर जल्द फंड जारी करने के लिए तुरंत कार्य योजना तैयार करनी चाहिए।


4458 करोड़ रुपये की लागत से एक साथ 37 उप परियोजनाएं प्रस्तुत की गई हैं जिसमें योजना के लिए कर्ज का हिस्सा 3207 करोड़ रुपये है। 3207 करोड़ रुपये में से अब तक नाबार्ड द्वारा इस योजना के अनुपालन के लिए एनडीडीबी को कर्ज की दो किस्तों में  1110 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। डीआईडीएफ के तहत 31.01.2020 तक की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:-















































लक्ष्य



वित्तीय (रु. करोड़ में



 पदार्थ संबंधी



स्थिति



परियोजनाओं की संख्या



परियोजना खर्च



स्वीकृत कर्ज



दूध प्रसंस्करण क्षमता (एलएलपीडी)



मूल्य वर्धित उत्पाद (एमटीपीडी)



दूध सुखाने की क्षमता (एमटीपीडी)



स्वीकृत परियोजनाएं



33



4059



2722



122



37



270



पाइप लाइन में परियोजना प्रस्ताव



4



399



485



17



--



20



कुल योग



37



4458



3207



139



37



290



प्रभावः-



  • 50 हजार गांवों को 95 लाख दुग्ध उत्पादकों को लाभ मिलेगा।

  • अतिरिक्त दूध शीतलन क्षमता के रूप में 140 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले 28 हजार बड़े मिल्क कूलरों की स्थापना।

  • 210 मीट्रिक टन प्रतिदिन अतिरिक्त दूध सुखाने की क्षमता का सृजन।

  • 126 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रसंस्करण क्षमता का आधुनिकीकरण, विस्तार एवं सृजन।

  • दूध उत्पादकों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 59.78 लाख लीटर प्रतिदिन मूल्य वर्धित दुग्ध उत्पाद के लिए ढांचागत संरचना का निर्माण।

  • दूध में मिलावट की जांच के लिए 28 हजार दूध परीक्षण उपकरण उपलब्ध कराना।


अनुपालन रणनीति एव लक्ष्य


नाबार्ड बाजार से फंड हासिल करता है जिसे वह एनडीडीबी/एनसीडीसी को 6 प्रतिशत ब्याज दर पर देता है और इसे एनडीडीबी/एनसीडीसी पात्र कर्जदारों को उचित ब्याज दर पर उधार देता है। डीएएचडी ब्याज अनुदान उपलब्ध कराता है जो नाबार्ड द्वारा पूंजी उगाहने की लागत और एनडीडीबी/एनसीडीसी को नाबार्ड द्वारा दिए गए ब्याज दर के अंतर या 2.5 प्रतिशत तक के बराबर होता है। यदि फंड की लागत में कोई बढ़ोतरी होती है तो इसे खुद कर्जदार वहन करते हैं।


लक्ष्‍य


























भौतिक मानदंड



लक्ष्‍य



थोक दुग्‍ध शीतलक (एलएलपीडी)



140



सूखाने की क्षमता (एमटीपीडी)



210



दुग्‍ध प्रसंस्‍करण क्षमता के सृजन विस्‍तार एवं आधुनिकीकरण (एलएलपीडी)



126



मूल्‍यवर्द्धित डेयरी उत्‍पादों के लिए बुनियादी ढांचा क्षमता का सृजन (एलएलपीडी)



59.78



डीआईडीएफ के दायरे में प्रमुख ग‍तिविधियां :



  1. मूल्‍यवर्द्धित उत्‍पादों के लिए नये दुग्‍ध प्रसंस्‍करण एवं विनिर्माण संयंत्रों का सृजन एवं आधुनिकीकरण।

  2. शीतलक बुनियादी ढांचा।

  3. इलेक्‍ट्रॉनिक मिलावट जांच किट।

  4. परियोजना प्रबंधन एवं ज्ञान।


पृ‍ष्‍ठभूमि


केन्‍द्रीय बजट 2017-18 में वित्‍त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के संदर्भ में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 12 सितम्‍बर, 2017 को 10,881 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ 2017-18 से2028-29 की अवधि के लिए डेयरी प्रसंस्‍करण एवं बुनियादी ढांचा विकास फंड (डीआईडीएफ) योजना को मंजूरी दी थी। नाबार्ड को ऋण के तौर पर एनडीडीबी और एनसीडीसी को 8,004 करोड़ रुपये का योगदान करना था। जबकि 2,001 करोड़ रुपये का योगदान अंतिम उधारकर्ताओं द्वारा और 12 करोड़ रुपये का योगदान एनडीडीबी/एनसीडीसी द्वारा संयुक्‍त रूप से किया जाना था। इसी प्रकार ब्‍याज में छूट के जरिये डीएएचडी द्वारा 864 करोड़ रुपये का योगदान किया जाना था।


एनडीडीबी और एनसीडीसी अंतिम उधारकर्ताओं जैसे दुग्‍ध संगठनों, राज्‍य डेयरी संघों, मल्‍टीस्‍टेट मिल्‍क आदि, के जरिये सीधे तौर पर इस योजना को लागू करने की परिकल्‍पना की गई है। 


इस योजना के तहत को-ऑपरेटिव, मिल्‍क उत्‍पादक कम्‍पनियों और एनडीडीबी की सहायक इकाइयों को पात्रता मानदंडों पर खरा पाया गया है। अंतिम उधारकर्ताओं को सालाना 6.5 प्रतिशत की दर पर ऋण मिलेगा। शुरूआती दो वर्षों की मोहलत के साथ पुनर्भुगतान की अवधि 10 वर्षों की होगी।


व्‍यय


डेयरी प्रसंस्‍करण एवं बुनियादी ढांचा विकास फंड (डीआईडीएफ) को वर्ष 2018-19 से 2030-31 की अवधि के दौरान 11,184 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ लागू करने का वित्‍तीय ब्‍यौरा निम्‍नलिखित तालिका में प्रस्‍तुत हैं :-














































































क्र.सं.



अवयव



नाबार्ड ऋण



अंतिम उधारकर्ताओं का योगदान



एनडीडीबी का योगदान



एनसीडीसी का योगदान



पूर्ण परिव्‍यय





मूल्‍यवर्द्धित उत्‍पादों के लिए नये दुग्‍ध प्रसंस्‍करण एवं विनिर्माण संयंत्रों का सृजन एवं आधुनिकीकरण



5577



1395



0



0



6972





शीतलक बुनियादी ढांचा।


 



2063



515



0



0



2578





इलेक्‍ट्रॉनिक एडल्‍ट्रेशन टेस्टिंग किट



364



91



0



0



455





परियोजना प्रबंधन एवं ज्ञान



0



0



6



6



12



 



कुल



8004



2001



6



6



10017



 



डीएएचडी (केन्‍द्र सरकार की हिस्‍सेदारी) से ब्‍याज में छूट



 



 



 



 



1167



 



समग्र



 



 



 



 



11184



 


इस निवेश से करीब 50,000 गांवों के 95,00,000 किसान लाभान्वित होंगे।


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...