एसएनबीएनसीबीएस ने कोविड-19 सहित वायरल संक्रमणों के उपचार के लिए बेहतर प्रतिरक्षी शक्ति हेतु ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बदलने के लिए नैनोमेडिसिन का विकास किया
स्तनपायियों में आरओएस की नियंत्रित वृद्धि के लिए इस अनुसंधान की क्षमता कोविड-19 सहित वायरस संक्रमणों को नियंत्रित करने में नैनोमेडिसिन के अनुप्रयोग के लिए नई संभावना की उम्मीदें बढ़ाती है। कई रोगों के रिडक्शन एंड ऑक्सीडेशन प्रोसेसेज (रेडॉक्स) के लिए पशु परीक्षण पूर्ण हो चुका है और अब संस्थान मानवों पर नैदानिक परीक्षण करने के लिए प्रायोजकों की खोज कर रहा है।
यह मेडिसिन नींबू जैसे नींबू वर्गीय अर्क के साथ मैगनीज सॉल्ट से निकाले गए नैनोपार्टिकल्स को जोड़ती है। नैनोटेक्नोलॉजी की तरकीबों का उपयोग करते हुए मैगनीज और साइट्रेट का महत्वपूर्ण मिश्रण नैनोमेडिसिन का उत्पादन करता है। कृत्रिम रूप से निर्मित्त नैनोमेडिसिन हमारे शरीर के उत्तकों में रिडक्शन एंड ऑक्सीडेशन प्रोसेसेज (रेडॉक्स) के संतुलन को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण पाया गया। कोशिकाओं में रेडॉक्स प्रतिक्रियाएं ऑक्सीजन जोड़ती या हटाती हैं और कोशिकाओं में ऊर्जा पैदा करने जैसी कई प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य हैं। रेडॉक्स प्रतिक्रियाएं रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पेसीज (आरओएस) नामक कोशिकाओं के लिए हानिकारक उत्पादनों का भी निर्माण कर सकती हैं जो परिपक्वन प्रक्रिया में तेजी लाते हुए तत्काल लिपिड (वसा), प्रोटीन एवं न्यूक्लिएक एसिड का ऑक्सीडाइज कर सकती हैं। तथापि, इसे नोट किया जाना चाहिए कि हमारी प्रतिरक्षी कोशिकाएं प्राकृतिक रूप से वायरस या बैक्टिरिया या हमारे शरीर की संक्रमित कोशिकाओं को मारने के लिए आरओएस का उत्पादन या ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का सृजन कर सकती है। इस प्रकार, आरओएस या ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की नियंत्रित वृद्धि हमारी प्रतिरक्षी कोशिकाओं को अपना प्राकृतिक कार्य अधिक प्रभावी ढंग से करने में सहायता करता है।
पशु उत्तकों में नैनोमेडिसिन द्वारा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की बढोतरी भी सराहनीय है और नवजात शिशुओं में पीलिया सहित कई रोगों के उपचार में इसका अनुप्रयोग हो सकता है। अभी हाल में संस्थान ने प्रदर्शित किया है कि नैनोमेडिसिन दिए जाने के बाद सवंर्द्धित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बिलरुबिन (पीलिया पैदा करने वाले टॉक्सिक मोलेक्यूल) को तोड़ सकते हैं और हाइपरबिलरुबिनेमिया (पीलिया) का उपचार कर सकते हैं। चूहों पर किए गए एक परीक्षण में, नैनोमेडिसिन सुरक्षित एवं त्वरित पाए गए और ढाई घंटों के भीतर बिलरुबिन के स्तर को नीचे ले आए। स्तनपायियों में रिएक्टिव आक्सीजन स्पेसीज (आरओएस) की नियंत्रित वृद्धि की यह क्षमता कोविड-19 सहित वायरस संक्रमणों को नियंत्रित करने में नैनोमेडिसिन के अनुप्रयोग की नई संभावनाओं का रास्ता प्रशस्त करता है। अभी हाल में, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, जो आरओएस के वर्ग का है, की स्थानीय दवा की अनुशंसा कोविड-19 से बचने के एक तरीके के रूप में की गई है। एक नेबुलाइजर के जरिये श्वसन मार्ग में हाइड्रोजन पेरोक्साइड के उपयोग द्वारा अत्यधिक आरओएस अर्जित किया गया, जिसकी सलाह वायरल संरचना को तोड़ने के द्वारा कोविड-19 को निष्क्रिय करने के लिए दी जाती है। चूंकि हाइड्रोजन पेरोक्साइड का प्रत्यक्ष अनुप्रयोग सामान्य शरीर कोशिकाओं के प्रत्यक्ष आक्सीडेशन सहित कई प्रकार की जटिलताएं पैदा करता है, नैनोमेडिसिन द्वारा रसायन का विस्थापन इसके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
ये निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित किए गए हैं। पिछले वर्ष अक्तूबर में सभी विकास की ‘रोल ऑफ नैनोमेडिसिन इन रेडोक्स मेडिएटेड हीलिंग ऐट मोलेक्यूलर लेवल‘ नामक एक व्यापक समीक्षा जर्नल बाईमोलेक्यूलर कंसेप्ट्स में प्रकाशित की गई है। इस कंसेप्ट ने तत्काल इस क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया और इस वर्ष मार्च में नेचर जर्नल में इसे ‘ रेडोक्स मेडिसिन में एक नया मोर्चा, आरओएस विनियमित गुणों को शामिल करते हुए नैनो मैटेरियल से संबद्ध आरओएस आधारित नैनोमेडिसिन का उभरता क्षेत्र, आप्टीमाइज्ड थेराप्यूटिक प्रभावों हेतु भविष्य के लिए संभावना प्रकट करता है। चूहों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (आरओएस) को सुतुलित करने में विकसित नैनोमेडिसिन की क्षमता का हाल ही में परीक्षण उच्चतर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (आरओएस) और लीवर नुकसान पैदा करने के लिए लीड (पीबी) आयन इंजेक्ट करने के लिए किया गया था। ऐसा पाया गया कि नैनोमेडिसिन लीड-एक्सपोजर के कारण स्तनपायी के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटा देती है और अंग के नुकसान को वापस पलटते हुए लीवर से विषैले आयन को हटाने में भी सहायता करती है। अभी हाल में, केममेडकेम ने अपने कवर पर इस कार्य को रेखांकित किया है।
(अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉ समीर के पाल, सीनियर प्रोफेसर, skpal@bose.res.in से संपर्क करें।
संबंधित प्रकाशन लिंक
https://doi.org/10.2217/nnm.15.83
https://doi.org/10.1038/s41580-020-0230-3
https://doi.org/10.1002/cmdc.202000098
https://doi.org/10.1515/bmc-2019-0019).]
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