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महामारी ने दुनिया को एक साथ जीना सिखाया है, अलविदा वर्ष 2020 की अमिट यादों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य पाठ सम्पन्न

महामारी ने दुनिया को एक साथ जीना सिखाया है 
अलविदा वर्ष 2020 की अमिट यादों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य पाठ सम्पन्न


राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अलविदा वर्ष 2020 की अमिट यादें विषय पर व्याख्यान एवं कविताओं के माध्यम से अतिथियों तथा पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किये। 

विशिष्ट अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष) ने उद्बोधन में कहा कि वर्ष 2020 की आपदा ने हमें नया ज्ञान दिया कि हम तकनीकी से परिचित हुए। कोरोना को तीसरा विश्वयुद्ध पूरा जगत मानता है। शिक्षक संचेतना के कार्य बढ़ाने में सहभागी बने अपने विचारों को पूरे देश में फैलाना है। मानसिक जगत का विस्तृत विकास हुआ है। नवीन वर्ष में लक्ष्य लेना एवं एक गलत आदत को छोड़ना है। 

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में खट्टे मीठे अनुभव रहे। कोरोना से हमें नवीन कार्य की प्रेरणा मिली। हमारा इस वर्ष में सामाजिक दायरा बढ़ा है। भय, आतंक, निराशा के समय में हम मानसिक रूप से सक्रिय हैं, ये सभी संस्था की देन है। 

राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने बताया कि हमने प्रकृति, जीव, पर्यावरण का विध्वंस किया, जिसका दुष्परिणाम कोरोना महामारी के रूप में आया है। महामारी ने दुनिया को एक साथ जीना सिखाया है। इस दौर में व्यापक दृष्टि से हम सभी विश्वबन्धुत्व की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में कई चुनौतियां हैं, जैसे मौसम परिवर्तन, जल, अन्न की कमी आदि।  वर्तमान की सुरक्षा जागरूकता आगामी वर्ष तक रखें। हम सभी शासन - प्रशासन के निर्देशों को भी स्वीकार करें। सर्वाधिक वेब संगोष्ठी के माध्यम से कार्यक्रमो के आयोजन में शिक्षक संचेतना प्रथम संस्था रही है।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि श्री सुवर्णा जाधव, मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष मुम्बई, श्रीराम शर्मा सचिव धार, डॉ. रश्मि चौबे, महासचिव महिला इकाई गाजियाबाद, श्री अनिल ओझा कोषाध्यक्ष, डॉ. प्रभु चौधरी महासचिव, गरिमा गर्ग सचिव पंचकुला, डॉ. शहाबुद्दीन शेख कार्यकारी अध्यक्ष पूणे, श्री सुंदरलाल जोशी ‘सूरज‘ आदि ने विचार व्यक्त किये।

संगोष्ठी के प्रमुख अतिथि श्री हरेराम वाजपेयी ने अपनी कविता सुनाई ‘‘जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला, कुछ पुरानी यादें पीछे छोड चला, कुछ ख्वाहिशें दिल में रह जाती हैं, कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं। कुछ छोड कर चले गये कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर में। कुछ मुझमे बहुत खफा है, कुछ मुझसे खुश है। कुछ मुझे मिल के भूल गये, कुछ मुझे आज भी याद करते है।‘‘ के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि आम बौराया याने नव वर्ष का संकेत है। कोरोना ने संगिनी के साथ-साथ रहने का अवसर मिला। हमारी नियमित कार्य की आदत बनी। अलविदा हो जाओ कोरोना। नव वर्ष के उपहार में वेक्सीन आयेगा। 

 राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सुंदरलाल जोशी ने कविता ‘‘जो बीत गया वो बीस था, हम तो है इक्कीस। आने वाले समय में करना काम नफीस।।‘‘ के माध्यम से बात कही है।

संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की। 

उपमहासचिव श्रीमती लता जोशी एवं डॉ. आशीष नायक तथा डॉ. शैलचन्द्रा कार्यकारी अध्यक्ष ने भी संबोधित किया।  अलविदा 2020 पर कविता भी सुनाई। 

संगोष्ठी में इस अवसर पर नार्वे के साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक‘, सचिव एवं डॉ. प्रवीण बाला, पंजाब, महासचिव तथा श्रीमती दिव्या पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. जी.डी. अग्रवाल ने अध्यक्षीय भाषण में अलविदा कोरोना की यादें सुनायी। इस वर्ष के ऑनलाईन कार्यक्रम प्रशंसनीय है। प्रकृति की नाराजगी से हम संघर्षरत है।

समारोह का शुभारम्भ सरस्वती वंदना पूर्णिमा कौशिक ने एवं स्वागत भाषण डॉ. रश्मि चौबे संस्था परिचय डॉ. शिवा लोहारिया ने प्रस्तुत किया। 

राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. मुक्ता कौशिक रायपुर ने किया एवं आभार राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवा लोहारिया ने माना।

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