गणतन्त्र दिवस के अवसर पर महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश पाण्डेय द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. मनमोहन उपाध्याय, कुलसचिव प्रो. प्रशान्त पुराणिक, विभागाध्यक्ष डाॅ तुलसीदास परौहा, वित्तनियन्त्रक श्री आदित्य नागर समेत विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक तथा कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उपस्थित थे।
ध्वजवन्दन के उपरान्त विश्वविद्यालय परिवार को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो. पाण्डेय ने कहा कि हमारे संस्कृत क्षेत्र में गणतन्त्र की अवधारणा कोई नवीन बात नहीं है। वैदिक काल में ही गणतन्त्र का स्वरूप स्पष्ट हो चुका था। हमारे ऐतिहासिक ग्रन्थ रामायण एवं महाभारत भी गणतन्त्र की ओर सङ्केत करते हैं। राम निषाद को मित्र बनाते हैं, तो शबरी के प्रेम भरे बेर खाते हैं। वानर-भालुओं की सेना से युक्त राम का रावण से यद्ध वास्तव में गणतन्त्र का राजतन्त्र के विरुद्ध युद्ध था। महाभारत में भी जननायक युधिष्ठिर को अधिकार दिलाने स्वयं श्रीकृष्ण गणतन्त्र के योद्धा अर्जुन के सारथी बनते हैं। संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं है, विश्व के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का भण्डार है। संस्कृत हमारी संस्कृति की ध्वजवाहिका है। आज कोविड काल में हमारे वैज्ञानिकों सतत साधना से वैक्सीन बनीं, कुछ देश अपनी वैक्सीन को आय का उत्तम स्रोत बना रहे हैं, जबकि भारत की भावना वसुधैव कुटुम्बकम् की है। विज्ञान निर्माणकारी भी हो सकता और विनाशकारी भी, संस्कृत ही यह बता सकती कि हमें निर्माण का पथ अङ्गीकार करना है। हमारा विश्वविद्यालय निश्चय ही अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करेगा। अपने उद्बोधन में कुलपति प्रो पाण्डेय ने समस्त विश्वविद्यालय परिवार को गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ दीं।
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