Skip to main content

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय अध्यक्ष " श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी" के जन्मदिवस को संस्था ने उत्सव के रूप में मनाया


देश की प्रतिष्ठित संस्थान राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्ववारा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी के जन्मदिवस को उत्सव के रूप में बहुत ही धूमधाम से मनाया। इस उत्सव के आयोजक डॉ.प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव रहे और संयोजक तथा संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता शिक्षाविद, कवयित्री, साहित्यकार डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक ने शानदार स्लाइड प्रदर्शन करते हुए श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी के  उत्सव को शानदार मनाया।

क्रार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती वंदना की प्रस्तुति श्रीमती पूर्णिमा कौशिक ने की। स्वागत उद्बबोधन संस्था के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.प्रभु चौधरी ने बहुत ही प्रेरणादायक प्रस्तुत किए।

 विशिष्ट अतिथि   प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा कुलानुशासक हिंदी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी के जीवन परिचय में बताया कि शर्मा जी बहुत ही प्रेरणादायक, आदर्शों वादी शिक्षक रहे।

   मुख्य वक्ता श्री कौशल कुमार पाण्डेय पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी इन्दौर ने श्री शर्मा को व्यकित्व के धनी और एक अच्छे शिक्षक के रूप में रहें बताते हुए उज्जवल भविष्य की कामना और जन्मदिवस बधाईयां दिये।

  राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ.शंभू पंवार जी ने श्री शर्मा जी को कुशल व्यक्ति त्वं  के धनी, प्रेरणा स्रोत बताएं और श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी जीवन परिचय को सार्थक रूप प्रदान करने की घोषणा करते हुए जन्मदिवस बधाईयां दिये।

मुख्य वक्ता विश्व हिन्दी साहित्य इन्दौर श्री हरेराम बाजपेयी जी ने श्री शर्मा जी के जीवन पर प्रकाश डाला।और जन्मदिवस बधाईयां दिये।

विशिष्ट मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के कार्यकारी अध्यक्ष महाराष्ट्र  डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख़ ,पुणे ने अपने मंतव्य में कहा कि भारतीय जनमानस में कृषक , शिक्षक व सेवक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है ।क्योंकि कृषक अन्नदाता है,शिक्षक ज्ञानदाता है तो स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी जीवनदाता है।श्री बी के शर्मा जी ने शिक्षा विभाग में अपनी पूरी सेवाएं दी है।सेवा ,स्नेह ,समर्पण, सदाचार, संवेदनशीलता ,सहनशीलता व सकारात्मकता के साथ श्री शर्मा जी शिक्षा क्षेत्र से जुड़े रहे ।यही उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है ।

कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, शिक्षाविद डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जन्मदिवस बधाईयां - 


भजन प्रस्तुत किए और शानदार संचालन करते हुए जन्मदिवस समारोह उत्सव को गति प्रदान की।

जन्मदिवस बधाईयां समारोह में सभी सम्मानीयजन पदाधिकारिय गण में राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ शंभू पंवार राजस्थान, राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक रायपुर,डॉ आशीष नायक राष्ट्रीय उपमहासचिव धमतरी, डॉ प्रवीण बाला पंजाब, डॉ रेनु सिसोदिया जयपुर, डॉ शिवा लोहरिया राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना अध्यक्ष महिला इकाई जयपुर, श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, श्रीमती लता जोशी मुबंई,श्री राम शर्मा इन्दौर,श्री डी.पी.शर्मा, डॉ ममता झा मुबंई , मनीषा ठाकुर, एवं श्री ब्रजकिशोर शर्मा परिवार उपस्थित रहे।

विशिष्ट अतिथिमुख्य कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव ने श्री शर्मा जी के जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के कार्यकाल के बारे में बताया।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती लता जोशी ने ‌श्री शर्मा जी का जन्मदिवस परदीपों से स्वागत करते हुए शानदार कविता की प्रस्तुति दी।

सीमा मिश्रा मुख्य अतिथि ने श्री शर्मा जी को सरल,सहज , आदर्श वादी बताया और जन्मदिवस बधाईयां दिये।

  अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी ने जन्मदिवस पर अपने जीवन के कायो का उल्लेख करते हुए सभी सम्मानीयजन, पदाधिकारियों को हदय से आभार व्यक्त किया।

  आभार व्यक्त राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना राष्ट्रीय प्रवक्ता गाजियाबाद डॉ.रश्मी चौबे ने कविता पाठ के माध्यम से दी. 

प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है,  करते हैं ,श्री किशोर जी संस्था का नाम हो रहा है।

स्वर्ण••••पतवारों से, संचेतना की नाव चल रही है,

ज्ञान की गंगा में ,चलती ही जा रही है,

शैलेन्द्र पर पहुँच कर, कुसुम-लता से सजरही है,

सूरज की रश्मियों से, आलोकित हो रही है।

प्रभु आपकी कृपा से•••

 

जब शेख जी आऐं, मुक्ताओं से सजाऐं ,

डाँ के के पाण्डेय जी जब आऐं,गरिमा और बढाऐं,

शिवा- शम्भू की कृपा से,हरेराम कह के,

 आगे ये बढ रही है।

करते हैं ,श्री किशोर जी, संस्था का नाम हो रहा है


राष्ट्रीय -भावना में, पूर्णिमा की चाँदनी जब धुल जाऐ,

रोहणी के साथ जब,

शरद चन्द्र दृष्टि इस पर डाले,

राष्ट्रीय -भावना संग अंतराष्ट्रीय मोड ले रही है,

प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...