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वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ आजीवन प्रयोग किए गांधी जी ने – प्रो वर्मा ; गांधी जी की पुण्यतिथि पर विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ विशिष्ट व्याख्यान

वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ आजीवन प्रयोग किए गांधी जी ने – प्रो वर्मा 

गांधी जी की पुण्यतिथि पर विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ विशिष्ट व्याख्यान 

मौन श्रद्धांजलि, गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और उनके प्रिय भजनों की प्रस्तुति की गई


उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में गांधी जी की पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी और उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर केंद्रित विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन 30 जनवरी को प्रातः काल महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय परिसर में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर पुस्तकालय प्रांगण में सामूहिक मौन धारण किया गया एवं गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।  


विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो आर सी वर्मा थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। आयोजन के विशिष्ट अतिथि प्रभारी कुलसचिव डा डी के बग्गा थे।




कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो आर सी वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गांधीजी ने आजीवन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ प्रयोग किए। उनकी पुस्तकें हिंद स्वराज और आत्मकथा सत्य के प्रयोग यह सिद्ध करती हैं कि उनके विचार और समस्त प्रयोग वैज्ञानिक तर्क दृष्टि पर आधारित हैं। गांधी जी को कुछ लोगों ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी विरोधी कहा, जो उचित नहीं है। गांधीजी चाहते थे कि विज्ञान के लाभ गांव-गांव तक पहुंचे। वे शस्त्रों की अंधी दौड़ के विरुद्ध थे। उन्होंने जे सी बोस, पी सी रे जैसे अनेक वैज्ञानिकों के साथ विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने की योजना बनाई थी। गांधीजी चाहते थे कि वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जीव हत्या न की जाए। वे विज्ञान के क्षेत्र में भौतिकवादी दृष्टिकोण के विरुद्ध थे। उनकी मान्यता है कि विज्ञान का उपयोग  धनोपार्जन के लिए न किया जाए।



अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के बिना समाज का उद्धार संभव नहीं है। गांधी जी ने गीता को विशेष महत्व दिया था। उनकी दृष्टि में गीता सामाजिक वैमनस्य और अशांति से मुक्ति दिला सकती है। वर्तमान में प्रकृति और संस्कृति में असंतुलन से हम विकास के बजाय विनाश की ओर जा रहे हैं।  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत बड़ी चुनौती के रूप में आ रही है। ऐसे में महात्मा गांधी का चिंतन हमें नया प्रकाश देता है। टेक्नोलॉजी से कई प्रकार की जटिलताएं आज पैदा हो रही हैं। उनका ईमानदार प्रयोग आवश्यक है। विक्रम विश्वविद्यालय का इस वर्ष का ध्येय सूत्र नशा मुक्ति, स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति समर्पण रहेगा। 

 


प्रभारी कुलसचिव डॉ डी के बग्गा ने कहा कि गांधी जी ने जन समुदाय के मध्य कुष्ठ रोग एवं अन्य बीमारियों के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का कार्य किया। उनका दुनिया के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ संपर्क था।


विषय प्रवर्तन करते हुए कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि गांधी जी ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के साथ नैतिकता एवं पर्यावरणीय दृष्टिकोण को आवश्यक माना। विज्ञान के क्षेत्र की मानक पत्रिका नेचर ने महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष पर महात्मा गांधी एंड सस्टेनेबल साइंस शीर्षक संपादकीय प्रकाशित किया, जिसमें विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में गांधी जी द्वारा किए गए नवाचारी प्रयत्नों का उल्लेख किया गया है। अल्बर्ट आइंस्टाइन पर गांधीजी का गहरा प्रभाव था। गांधीजी प्रकृति और मानव समुदाय पर उद्योगों और अंध भौतिकता से पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित थे, जो आज अधिक प्रासंगिक हो गया है। परमाण्विक विभीषिका के दौर में उन्होंने मनुष्य और प्रकृति के मध्य आपसदारी की राह पर लौटने की जरूरत बताई।


इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो आर सी वर्मा को अतिथियों द्वारा शॉल एवं पुस्तक अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।


विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार से सहायता प्राप्त संस्था जाग्रति नशामुक्ति केंद्र द्वारा नशा विरोधी प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का संयोजन श्री चिंतामणि गेहलोत, विनोद कुमार दवे, श्री राजेश ठाकुर एवं श्री देवीलाल मालवीय ने किया। सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत कलापथक के कलाकारों द्वारा महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए एवं रघुपति राघव राजाराम और नशा विरोधी गीत की प्रस्तुति की गई। दल के कलाकारों में शैलेंद्र भट्ट, सुश्री अर्चना मिश्रा, सुरेश कुमार, नरेंद्रसिंह कुशवाह, राजेश जूनवाल, सुनील फरण, अनिल धवन, आनंद मिश्रा आदि शामिल थे। कार्यक्रम में कुलपति प्रो पांडेय ने उपस्थित जनों को नशा निषेध की शपथ दिलाई। 


 अतिथि स्वागत प्रो एच पी सिंह, गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, अधिष्ठाता, विद्यार्थी कल्याण डॉ आर के अहिरवार, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो अचला शर्मा, प्रो गीता नायक, डॉ सोनल सिंह, डॉ ज्योति उपाध्याय, डॉ एस के मिश्रा, डॉ डी डी बेदिया, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉ संदीप तिवारी, डॉ एस के जैन, डॉ कनिया मेड़ा, डॉ चित्रलेखा कड़ेल, डॉ प्रीति पांडेय, कौशिक बोस,  श्री कमल जोशी, श्री योगेश शर्मा, श्री जसवंतसिंह आंजना, श्री लक्ष्मीनारायण संगत आदि ने किया। 


आयोजन में पूर्व कुलपति बालकृष्ण  शर्मा, पूर्व कुलपति प्रो पी के वर्मा आदि सहित प्रबुद्ध जनों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।


आयोजन का संचालन हिंदी विभाग के डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन छात्र कल्याण विभाग के अधिष्ठाता डॉ आर के अहिरवार ने किया।


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