Skip to main content

आयुर्वेद के विकास के लिए डाक्यूमेंटेशन कर जनोपयोगी बातों का प्रचार-प्रसार करे - प्रमुख सचिव आयुष देशमुख

उज्जैन। शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय उज्जैन के प्रधानाचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया ने बताया कि आज दिनांक 27.02.2021 को आयुष विभाग म.प्र. शासन की प्रमुख सचिव मेडम करलिन खोंगवार देशमुख द्वारा धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय का निरीक्षण के दौरान अनौपचारिक चर्चा में कहा कि आयुर्वेद के विकास के लिए डाक्यूमेंटेशन कर आम जनता के स्वास्थ्य से संबंधित जनोपयोगी बातों का प्रचार-प्रसार करे तथा भारतीय संस्कृति की धरोहर आयुर्वेद का संरक्षण एवं संवर्धन करें। कोरोना महामारी के दौरान आयुष चिकित्सकों ने चिकित्सा सेवा कर जो समाज में अच्छी छवि बनाई है उसके लिए वे बधाई के प्राप्त है, आगे भी इसे निरन्तर बनाये रखें।


चिकित्सालय में भ्रमण के दौरान अधीक्षक डॉ. ओ. पी. शर्मा, आर. एम. ओ, डॉ. हेमन्त मालवीय आदि उपस्थित थे। सभी विशेषज्ञताओं की ओ.पी.डी, पैथोलॉजी लेब, एक्स-रे, ई.सी.जी. इकाई, पंचकर्म के सभी विभाग, कायचिकित्सा, जरा चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, जलौका एवं अग्निकर्म, आंख, नाक, कान, गला विमाग, स्वस्थ्यवृत एवं योग, धूमपान इकाई, चर्मरोग इकाई, ऑपरेशन थियेटर, एंटीनेटल पोस्ट नेटल केयर, स्त्री रोग, एवं शिशु रोग चिकित्सा, प्रसव इकाई, नवजात शिशु इकाई, टीकाकरण, कुपोषण एवं स्वर्ण प्राशन आदि इकाईयों का निरीक्षण कर चिकित्सा कार्यो की सराहना की। महाविद्यालय में वनौषधि उद्यान, फार्मेसी, कान्फेंस हॉल तथा सभी ॥4 विभागों का अवलोकन किया। छात्र,/छात्राओं से चर्चा करते हुए उनकी छात्रावास की मांग को शीघ्र पूर्ण कराने के लिए आश्वस्त किया।

प्राध्यापकों की वेतन विसंगति, कोष लेखा विभाग से वेतन निर्धारण एवं सत्यापन, पदोन्‍नति, नवीन पद सृजन तथा परिवीक्षा अवधि समाप्ती हेतु प्रस्तुत मांग पर शीघ्र निराकरण हेतु बैठक में आश्वासन प्रदान किया। इस अवसर पर डॉ. ओ.पी. व्यास, डॉ. सतुआ, डॉ. वेदप्रकाश व्यास, डॉ, अजयकीर्ति जैन, डॉ. नृपेन्द्र मिश्र आदि पूरा स्टाफ उपस्थित रहा। संमागीय आयुष अधिकारी डॉ. प्रदीप कटियार तथा जिला आयुष अधिकारी डॉ मनीषा पातक भी विजिट के दौरान लपरिथित रहे।

यह जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी द्वारा दी गई।


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...