प्रकृति और संस्कृति के साथ लोक के तादात्म्य का पर्व है होली ; नार्वे में हुआ होली पर अंतरराष्ट्रीय वेब कवि सम्मेलन ; अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बिखरे होली के कई रंग
प्रकृति और संस्कृति के साथ लोक के तादात्म्य का पर्व है होली
नार्वे में हुआ होली पर अंतरराष्ट्रीय वेब कवि सम्मेलन
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बिखरे होली के कई रंग
नार्वे में होली पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें कविताओं के जरिए कई रंग बिखरे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समालोचक और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि होली परस्पर प्रेम, उत्साह और सर्वमंगल का पर्व है। भारतीय पर्वोत्सवों की परंपरा में होली अपने उल्लासपूर्ण स्वभाव और अलबेलेपन के लिए जानी जाती है। यह सुदूर अतीत से चली आ रही जातीय स्मृतियों, पुराख्यानों और इतिहास को जीवंत करने वाला पर्व है। यह मूलतः लोक पर्व है, जिसे शास्त्रकारों ने अपने ढंग से महिमान्वित किया, तो राज्याश्रय ने इसमें अपने रंग भरे। उत्तर भारत में जब फागुन उतरता है तो प्रकृति के आंगन में रंग और उमंग बिखरने लगते हैं, फिर मनुष्य इससे कैसे मुक्त रह सकेगा। होली प्रकृति और संस्कृति के साथ लोक के तादात्म्य का पर्व है।
विशिष्ट अतिथि हालैण्ड के शिक्षाविद डॉ मोहनकांत गौतम ने प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल के साहित्यिक अवदान की चर्चा करते हुए नार्वे से होली पर संगोष्ठी और कवि सम्मेलन के आयोजन की बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
भारतीय - नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा कि विदेशों में भारतीय पर्वों को पसन्द किया जाता है और भारतीय और विदेशी नागरिक भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
भारत नॉर्वेजियन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के इस कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ राम गोपाल भारतीय ने गायत्री मन्त्र से करते हुए अपनी गज़लें सुनायीं।
काव्यगोष्ठी में शामिल होने वाले कवियों में नार्वे से एस एच प्रोमिला देवी, गुरु दर्शन शर्मा, ओस्लो, नॉर्वे की सिगरीद मारिये रेफ्सुम, पूर्व टाउन मेयर थूर स्ताइन विन्गेर, माया भारती और सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', स्वीडेन से सुरेश पाण्डेय, ब्रिटेन से जय वर्मा और डॉ कृष्ण कुमार, बर्लिन जर्मनी से समता मल्होत्रा, न्यू जर्सी, यू एस ए से श्री राम बाबू गौतम, कनाडा से नीरजा शुक्ल आदि प्रमुख थे।
भारत से काव्यपाठ करने वाले सुप्रसिद्ध कवि सूर्य कुमार पांडेय, उ प्र राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, लखनऊ के डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी, डॉ. मंजु शुक्ल, साहित्य त्रिवेणी के संपादक डॉ वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता, अवधी पत्रिका भाखा के संपादक डॉ. गंगाप्रसाद शर्मा 'गुणशेखर', मनोज कुमार मनोज, लखनऊ विश्वविद्यालय से डॉ ऋचा पाण्डेय, इलाश्री जायसवाल, अवधी फ़िल्म और साहित्य शोध संस्थान, लालगंज, रायबरेली के निदेशक बीरेन्द्र शुक्ल, आशा तिवारी, आशारानी शुक्ल, विशाल पाण्डेय, डॉ प्रभु चौधरी, उज्जैन, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, डॉ राकेश छोकर, नई दिल्ली सम्मिलित थे। आर्य लेखक परिषद्, नई दिल्ली के अखिलेश आर्येन्दु ने होली को आनन्द एवं उल्लास का पर्व बताया।
केंद्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली के सहायक निदेशक डॉ दीपक पांडेय और केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के डॉ. दिग्विजय शर्मा और राजीव सिंह ने अन्त में भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे को आयोजन के लिए बधाई दी।
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