प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' की माँ किशोरी देवी की स्मृति में अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद और काव्य संगोष्ठी संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने की और हालैण्ड से प्रो. मोहनकान्त गौतम मुख्य अतिथि थे।
प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा अज्ञात अतीत से माता की सर्वोपरि महिमा रही है। माँ के साथ मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव हमारी परंपरा में रहा है। संस्कृतिकर्मी और साहित्यकारों ने कई माध्यमों से माता के योगदान का चित्रण किया है।
प्रो. मोहनकान्त गौतम, नीदरलैंड ने किशोरी देवी से आठवें दशक में भेंट के संस्मरण सुनाये।
काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले कवियों में नार्वे से एस एच प्रोमिला देवी, गुरुदर्शन शर्मा और सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक, स्वीडेन से सुरेश पाण्डेय, ब्रिटेन से जय वर्मा, बर्लिन, जर्मनी से समता मल्होत्रा और न्यूजर्सी यू एस ए से राम बाबू गौतम थे।
भारत से काव्यपाठ करने वाले प्रसिद्ध कवि सूर्य कुमार पाण्डेय, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के डॉ दिनेशचन्द्र अवस्थी, लखनऊ विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफ़ेसर ऋचा पांडेय, इला श्री, आशा तिवारी, आशा रानी शुक्ल, आर्य लेखक परिषद् के सचिव अखिलेश आर्येन्दु थे।
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के उप निदेशक डॉ. दीपक पांडेय ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा माँ जैसा कोई नहीं।
अन्त में आभार व्यक्त करते हुए भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा माँ जैसी सीख कोई अन्य नहीं दे सकता माँ बच्चे की पहली गुरु है जो बच्चे को संस्कार सिखाती है और आत्म निर्भर बनाती है।
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