महावीर का चिंतन वैश्विक है, जिसमें छुपा है प्राणि मात्र से प्रेम ; भगवान महावीर : विश्व चिंतन को योगदान पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी
महावीर का चिंतन वैश्विक है, जिसमें छुपा है प्राणि मात्र से प्रेम
भगवान महावीर : विश्व चिंतन को योगदान पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी
उज्जैन, सोमवार, 26 अप्रैल, 2021 । देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 20 वें स्थापना दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भगवान महावीर : विश्व चिंतन को योगदान पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. विमल कुमार जैन, इंदौर थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक, हिंदी विभागाध्यक्ष, कला संकायाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, श्री सुरेश चन्द्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नार्वे, राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी एवं नेहा नाहटा, नई दिल्ली थे। अध्यक्षता राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन ने की। संगोष्ठी का सूत्र संयोजन डॉ पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने किया।
● संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ विमल कुमार जैन, इंदौर ने कहा कि, भगवान महावीर का चिंतन सार्वकालिक और सार्वदेशिक है। तीनों लोक और तीनों कालों में भगवान महावीर के विचार बहुत उपयोगी हैं। उनका कर्म सिद्धांत था कि, हर एक को कार्य के परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने जीयो और जीने दो का मंत्र दिया। भगवान महावीर हितोपदेशक, वीतरागी तथा सर्वज्ञ थे। प्रसन्नता की बात है कि, भगवान महावीर जी का 2020 वाँ जन्म दिवस एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का 20 वाँ स्थापना दिवस हम लोग मना रहे हैं।
मुख्य वक्ता साहित्यकार एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक, हिंदी विभागाध्यक्ष, कला संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने अपने उद्बबोधन में कहा कि, भगवान महावीर का चिंतन वैश्विक है, जिसमें प्राणि मात्र के प्रति प्रेम छुपा है। उनका सबसे बड़ा प्रदेय है भौतिकता के स्थान पर आत्म तत्त्व की प्रतिष्ठा। अनेकांतवाद और अपरिग्रह जैसे सर्वहितकारी सिद्धान्त उन्होंने दिए, जो विश्व चिंतन को उनके अविस्मरणीय योगदान हैं। महावीर अद्भुत तरीक़े से महावीर बने थे। जब तक आत्म संयम, त्याग और अहिंसा के पथ पर नहीं चलेंगे, तब तक महावीर कोई नहीं बन सकता। इस विजय के लिए सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र, सम्यक् दर्शन के साथ जीवन में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। जो सबका हित चाहता हो उससे अधिक सुंदर कौन हो सकता है, वे इसी रूप में सबसे सुंदर हैं। उनके मुख पर असीम शांति दिखाई देती है। महावीर ने सम्पूर्ण दुनिया में बैर और विषमता मिटा कर सब के प्रति परस्पर सहयोग और एकता का संदेश दिया। *प्रभु महावीर उज्जैन के समीप अतिमुक्तक नाम की श्मशान भूमि में ध्यानस्थ हुए थे और यहीं से उनको आत्मतत्व की सिद्धि हुई।* उनका संदेश है कि, मनुष्य चाहे तो स्वयं पर जय प्राप्त कर इसी जन्म में निर्वाण प्राप्त कर सकता है।
● कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि, भगवान महावीर की जन्म भूमि पर दुनिया का पहला लोकतंत्र स्थापित हुआ था। हम समाज को जो भी श्रेष्ठ देना चाहते हैं वह प्रभु महावीर से प्रेरणा लेकर दिया जा सकता है।
● प्रास्ताविक भाषण में संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना अब एक वृक्ष का रूप धारण कर चुकी है। उसे वटवृक्ष के रूप में परिवर्तित करने के लिए सभी सदस्यगण अपने उत्तरदायित्व का प्रामाणिकता से निर्वाह करें। उन्होंने कहा कि, भगवान महावीर जी ने वैश्विक समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। भगवान महावीर कहते थे कि, जिसमें विश्व बंधुत्व की भावना हो, वही वास्तव में धर्म है। व्यक्ति की पहचान जन्म से नहीं उसके कर्म से होती है।
● विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने अपने उद्बबोधन मे कहा कि, विश्व भर में प्रचलित अनेक धर्मों में जैन धर्म का अपना महत्व हैं। महावीर जयंती को दुनिया भर में जन्मकल्याण के रूप में मनाते है। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर ने सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। वे सुख सुविधा को त्याग कर जनकल्याण के लिए जिए।
● विशिष्ट अतिथि श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि, कोरोना काल में दुनिया में सब कुछ इतना बदल रहा है लेकिन समाज पर सकारात्मक असर क्यों नहीं हो रहा है। ऐसे में भगवान महावीर के मार्ग पर चलना आवश्यक हैं। भगवान महावीर को जीवन और आचरण में लाएं।
● वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो नॉर्वे ने कहा कि, भगवान महावीर का अहिंसा का संदेश समूची दुनिया के लिए है। नॉर्वे के संविधान में मानवतावाद को महत्व मिला है। वहां अपराधियों को सुधार की गुंजाइश दी जाती है, यह भगवान महावीर जैसे महान व्यक्तित्वों का प्रभाव है।
● विशिष्ट वक्ता नेहा नाहटा, नई दिल्ली ने कहा कि, अपनी बुराई को जीतना ही महावीर के मार्ग पर चलना है। उन्होंने गीत की प्रस्तुति की, तेरे चरणों में शत शत नमन मैं करूँ।
■ आरंभ में डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक राष्ट्रीय प्रवक्ता, रायपुर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अतिथि परिचय राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। स्वागत उद्बबोधन श्रीमती लता जोशी, मुबंई ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की उत्तर प्रदेश इकाई की महासचिव रेणुका अरोड़ा, गाजियाबाद के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
■ आभासी संगोष्ठी मे डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ. शिवा लोहारिया, जयपुर, सुश्री गरिमा गर्ग, सुनीता गर्ग, पंचकूला, डॉ शैल चंद्रा, सतीश शर्मा, धमतरी, डॉ जी डी अग्रवाल, श्री अनिल ओझा, इंदौर, बालासाहब तोरस्कर, डॉ चेतना उपाध्याय, अजमेर, रूलीसिंह, मुंबई, श्री राजकुमार यादव, मंजू श्रीवास्तव सहित अनेक शिक्षाविद, साहित्यकार, गणमान्य जन उपस्थित रहे।
■ कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, महासचिव, रायपुर किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती रोहणी डाबरे, अहमदनगर ने किया।
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आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम ।
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