Skip to main content

सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को एकमुश्त निःशुल्क खाद्यान्न वितरण होगा

 


उज्जैन 30 अप्रैल। सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुडे गरीब परिवारों की कोविड-19 संक्रमण के कारण आजीविका प्रभावित होने के कारण भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत सम्मिलित पात्र परिवारों को उचित मूल्य दुकानों से निम्नानुसार खाद्यान्न का वितरण किया जावेगा:-


योजना का नाम:- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का नियमित आवंटन।

माह का नाम:- अप्रैल, मई, जून 2021 एकमुश्त।

खाद्यान्न वितरण मात्रा:- अंत्योदय परिवार 35 किलो प्रति परिवार। प्राथमिकता परिवार पांच किलो प्रति सदस्य।

कुल पात्रता:- अन्त्योदय परिवार 105 कि.ग्रा. प्राथमिकता परिवार 15 कि.ग्रा. प्रति सदस्य । 

वितरण की अवधि:- 15.05.2021 तक ।


योजना का नाम:- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना।

माह का नाम:- मई एवं जून 2021 एकमुश्त गेहूं

निःशुल्क खाद्यान्न वितरण मात्रा:-अन्त्योदय एवं प्राथमिकता परिवार पांच किलो प्रतिे सदस्य।

कुल पात्रता:- 10 कि.ग्रा. सदस्य।

वितरण की अवधि:- दिनांक 16.05.2021 से 10.06.2021 तक।


      जिला आपूर्ति अधिकारी श्री एमएल मारू ने बताया कि उक्तानुसार नियमित आवंटन तीन माह अप्रैल, मई, जून 2021 का एकमुश्त वितरण हितग्राही 15 मई 2021 तक उचित मूल्य दुकान से प्राप्त कर सकते है जो हितग्राही अप्रैल का खाद्यान्न प्राप्त कर चुके है वे मई,जून का एक मुष्त निःशुल्क एवं जो अप्रैल, मई का प्राप्त कर चुके है वे जून का निःशुल्क खाद्यान्न 15 मई तक उचित मूल्य दुकान से प्राप्त कर सकते है। 


      प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत हितग्राही माह मई एवं जून 2021 एकमुश्त खाद्यान्न प्रति सदस्य 5 कि.ग्रा. कुल 10 कि.ग्रा. प्रति सदस्य के मान से दिनांक 16.05.2021 से 10.06.2021 तक उचित मूल्य दुकान से प्राप्त कर सकेंगे। शासन निर्देशानुसार निःशुल्क एवं अधिरिक्त खाद्यान्न का वितरण का व्यापक प्रचार-प्रसार करने कलेक्टर द्वारा सभी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं विभाग को निर्देष दिये है कि निःशुल्क खाद्यान्न वितरण की प्रत्येक गांव में मुनादी कराई जावे एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों/माननीय सांसद, माननीय विधायकगणों को योजना के संबंध में अवगत कराने क्षेत्रीय आपूर्ति अधिकारियों को निर्देषित किया गया है। हितग्राहियों को निःशुल्क राषन वितरण एवं समस्या/शिकायतो के निराकरण हेतु जिला स्तरीय कण्ट्रोल रूम 0734-2510967 जिला आपूर्ति कार्यालय उज्जैन में स्थापित किया गया है एवं हितग्राही राशन प्राप्त होने में कठिनाई होने पर सीएम हेल्पलाईन 181 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम को कलेक्टर द्वारा निर्देश दिये गये है कि आवंटन अनुसार खाद्यान्न सामग्री का प्रदाय उचित मूल्य दुकानों पर समय-सीमा में कराया जावे एवं अनुबंधित परिवहनकर्ता द्वारा समय पर परिवहन ना करने पर रिक्स एण्ड कास्ट पर अन्य परिवहनकर्ता से कार्य कराया जावे। 

      जिन हितग्राहियों ने अप्रैल एवं मई 2021 का खाद्यान्न निर्धारित दर देकर प्राप्त कर लिया है उन्हे माह जुलाई एवं अगस्त 2021 में निःशुल्क खाद्यान्न दिया जाकर राशि समायोजित की जावेगी। कलेक्टर द्वारा विभाग एवं सभी दुकान आवंटन प्राधिकारी/अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को निःशुल्क खाद्यान्न के परिवहन,प्रदाय एवं वितरण पर कडी निगरानी रखी जाने एवं खाद्य, सहकारिता, राजस्व, पुलिस का संयुक्त दल बनाकर निगरानी रखने निर्देश दिये गये है तथा किसी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर उनके विरूद्ध चोर बाजारी अधिनियम के अंतर्गत कठोर कार्यवाही भी की जावेगी। उचित मूल्य दुकानों से राशन वितरण के दौरान उचित मूल्य दुकान पर सेनिटाईजर, कोविड-19 के बचाव हेतु आवश्यक दिषा निर्देशों का शक्ति से पालन कराने क्षेत्रीय आपूर्ति अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...