अनुवाद प्रस्तुत करते हुए श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक |
भारत की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहली बार नॉर्वेजियन भाषा में हनुमान चालीसा गूंजी। यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय संस्कृति और साहित्य में हनुमान जी के चरित्र का विकास पर केंद्रित थी। इस संगोष्ठी में वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार मीडिया विशेषज्ञ और अनुवादक श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ने हनुमान चालीसा का नॉर्वेजियन भाषा में अनुवाद प्रस्तुत किया तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
हनुमान चालीसा का अब तक अंग्रेजी, उर्दू, तेलुगु, बांग्ला, मलयालम, मराठी आदि भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, किंतु यह पहला अवसर है जब अंग्रेजी के बाद किसी यूरोपीय या स्केंडनेवियन देशों की किसी भाषा में अनुवाद किया गया है। वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक ने इसका नॉर्वे की नॉर्वेजियन भाषा में अनुवाद कर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को ऐतिहासिक बना दिया।
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, मुंबई के डॉक्टर दयानंद तिवारी, डॉक्टर सुवर्णा जाधव, जयपुर के डॉ अखिल शुक्ला, डॉक्टर प्रभु चौधरी आदि ने इस उपलब्धि पर श्री शरद आलोक जी को बधाई दी और उनका सम्मान किया।
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