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प्राणिकी एवंम जैव-प्रैद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा जैव विविधता और कोविड-19 पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया


जैव विविधता दिवस 22 मई 2021 के अवसर पर, प्राणिकी एवंम जैव-प्रैद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा जैव विविधता और Covid-19 पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश के भीतर और बाहर के लगभग 100 श्रोताओ ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. रविन्द्र कन्हारे, अध्यक्ष प्रवेश एवं शुल्क नियामक आयोग, भोपाल, प्रो. अरुण कुमार पांडे, कुलपति मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भोपाल, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव सदस्य निजी विश्वविद्यालय, नियामक आयोग भोपाल और प्रो. आर.सी. वर्मा सेवानिवृत प्रोफेसर एवंम हेड बॉटनी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन थे। 

प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि, कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की जिन्होंने कार्यक्रम की महत्ता समझाई और अतिथियों का परिचय श्रोताओ से कराया। माननीय कुलपति जी ने आगे बताया कि Covid-19  जैसे वायरस पर्यावरण के असंतुलन के कारण उत्पन्न होते हैं।जलवायु परिवर्तन एवंम जैव विविधता कम होने के कारण, सुसुप्त अवस्था में रह रहे सूक्ष्म; जीव आज मानव जाती को चुनौती दे रहे है।  अतः जैव विविधता का संरक्षण भारतीय ज्ञान एवं परम्परा से किया जाना अति आवर्श्यक है।  

मुख्य अतिथि प्रोफेसर आर आर कन्हारे ने कोरोना वायरस की प्रमुख प्रजातियों एवं उनसे होने वाले उत्परिवर्तनों से आने वाली समस्याओ पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और युवा विज्ञानिको को इस बारे में विस्तार से अध्ययन और शोध करने का आवाहन भी किया, इसके आलावा उन्होंने सकारात्मक सोच एवंम जीवनशैली में बदलाव की सार्थकता को भी अनिवार्य बताया। एक अन्य प्रमुख प्रवक्ता प्रोफेसर अरुण कुमार पांडेय ने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों विशेष रूप से जैव विविधता के सम्बन्ध में विस्तार चर्चा की और पोधो में पाए जाने वाले रसायन एवंम उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर प्रकाश डाला।  अगले प्रमुख वक्ता प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने कोरोना के ग्लोबल प्रभाव जैसे अर्थ व्यवस्था एवंम जीव जन्तुओ पर कोरोना के प्रभाव पर प्रकाश डाला उन्होंने जल वायु परिवर्तन से होने वाली समस्याओ और लगातार जन्तुओ की प्रजातियों में हो रही कमी पर चिंता व्यक्त की और सुझाव दिया की जैव विविधा संरक्षण पाठ्यक्रम में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। 

कार्यक्रम के अंतिम प्रमुख वक्ता प्रोफेसर आर.सी. वर्मा ने विषाणुओ की पहचान में उपयोगी तकनिको के बारे में विस्तार से बताया और कहा की किसी एक तकनिक पर निर्भरता अच्छी नहीं है, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया की सही पहचान नियंत्रण में भी सहायक होती है।  विषाणु अति सूक्ष्म एवंम परिवर्तनशील होते है अतः इनके डिटेक्शन में रैपिड टेस्ट की आवश्यकता होती है।  प्राणिकी एवंम जैव-प्रैद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्रोफेसर एवंम हेड प्रोफेसर लता भट्टाचार्य ने जैवप्रौधोगिकी विभाग द्वारा कोरोना पर किये जा रहे जागरूपता कार्यक्रम के बारे में सबको विस्तार से अवगत कराया। कार्यक्रम में प्रो. डी.एम. कुमावत, प्रो. अलका व्यास, डॉ. एस.के. जैन, डॉ सलिल सिंह, डॉ अरविंद शुक्ला, डॉ.जगदीश शर्मा, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी, डॉ गरिमा शर्मा और श्री राकेश पंड्या उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिवी भसीन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. चित्रलेखा कदेल (सोनी) ने दिया।

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