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प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा मौखिक स्वच्छता पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

उज्जैन: दातो एवं मसूड़ों को स्वच्छ रखने के लिए प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विद्यालय उज्जैन द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन दिनांक 22/06/21 को किया गया जिसमे देश के लगभग 600 से अधिक व्यक्तिओ ने भाग भाग लिया । 

कोविड-19 संकटकालीन समय में मौखिक स्वच्छता को बनाये रखने के उदेशय से प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा राष्ट्रीय वेबिगार का आयोजन दिनांक 22/06/21 को किया गया, जिसमे देश के लगभग 600 से अधिक व्यक्तिओ ने भाग लिया ।  कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ अंकित पांडेय भोपाल, डॉ बिना शिवकुमार चेन्नई एवंम डॉ निशांत श्रीवास्तव जबलपुर से थे। 

कार्यक्रम के अध्यक्षी उतभोधन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया की मुँह व दातो को साफ व सेहतमंद रखकर सम्बंधित रोगो को दूर रखना ओरल हाइजीन कहलाता है। कोविड-19 के समय में यदि मौखिक स्वछता का धयान नहीं रखा गया तो दातो एवं मसूड़ों से सम्बंधित कई बीमारियों एवंम संक्रमण की सम्भावनाये होती है, अतः नियमित रूप से ब्रश करके जीब की सफाई करने और माउथवाश के उपयोग द्वारा ओरल हाइजीन को बनाये रखा जा सकता है। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ अंकित पांडेय ने मौखिक स्वछता के महत्त्व को समझते हुए अच्छी एवं ख़राब मौखिक स्वछता पर प्रकाश डाला, और यह भी बताया की किस प्रकार से ख़राब मौखिक स्वछता स्वास्थ को प्रभावित करती है और कई प्रकार की नयी-नयी बिमारिओ की जनक होती है।  उन्होंने कई ऐसे तरीके बताये जिनसे मौखिक स्वछता को बनाये रखा जा सकता है, जिनमे सर्वप्रथम उन्होंने सही तरीके से ब्रश करने की विधि का वर्णन किया एवं उन्होंने अपनी टीम द्वारा किये जा रखे मौखिक स्वछता जागरूपता अभियान का भी विवरण दिया। 

कार्यक्रम की दूसरी प्रमुख वक्ता डॉ बिना शिवकुमार ने मुकरमाइकोसिस के बारे में समझते हुए उसके शरीर में प्रवेश करने से लेकर उसके द्वारा शरीर में पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया।  उन्होंने मुकरमाइकोसिस से बचने के तरीको और उसे पहचानने के तरीको पर भी प्रकाश डाला और सभी को इस सत्य से भी अवगत कराया की मुकरमाइकोसिस मुँह के द्वारा ही प्रवेश करता है और धीरे-धीरे सम्पूर्ण शरीर में फेल जाता है। 

कार्यक्रम के अन्य प्रमुख वक्ता डॉ निशांत श्रीवास्तव ने ओरल प्रोस्थेसिस में हाइजीन मेंटेनेंस के महत्त्व्को समझाया उन्होंने दातो में उपस्थित कवीटीएस के बीच ब्रश करने के महत्त्व को बताते हुए उसकी जरुरत को समझाया।  उन्होंने इस सत्य पर भी प्रकाश डाला की हमारे देश में दातो की समस्या पर जयादा ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि यही लापरवाई कई और बीमारियों को जनम देती है, अत: हमे अपनी मौखिक स्वछता का धयान रखते हुए लगातार डेंटिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए और छोटी से छोटी दातो की समस्या पर भी ध्यान देना चाहिए। 

राष्ट्रीय वेबिनार में प्रोफेसर लता भट्टाचार्य विभागाध्यक्ष प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा अतिथियों का स्वागत भाषण किया गया, कार्यक्रम का संचालन डॉ शिवि भसीन द्वारा किया गया तथा आभार डॉ गरिमा शर्मा द्वारा दिया गया।  इस अवसर पर डॉ सलिल सिंह, डॉ अरविन्द शुक्ला, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी, डॉ उपस्थित रहे तथा उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

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