विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का साहस दे रहे है रचनाकार विश्व सभ्यता के सामने सकारात्मक विचारों एवं प्रेरक ज्ञान से जीवन जीने की कला सक्रियता दे रहे है। हमारा जीवन का आधार सृजनात्मक रहना चाहिये।
उपर्युक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने मुख्य वक्ता के पद से संगठन के दायित्व बोध बैठक के अवसर पर व्यक्त किये। आपने कहा कि नारी शक्ति अपने विभिन्न आयामों में सक्रियता से निरन्तर आगे बढ़ रही है। जिससे स्वयं, परिवार एवं समाज के साथ राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
आभासी संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख(राष्ट्रीय मुख्य संयोजक) पुणे ने कहा कि भारत की संस्कृति, परम्परा एवं धर्म श्रेष्ठ है। भारत का दर्शन, धर्म और राष्ट्रभक्ति विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। आजादी के बाद भारत में नारी का सम्मान पुनः बढ़ा है।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता श्रीमती सुवर्णा जाधव ने की। बैठक में आगामी 3 माह के प्रमुख आयोजनों पर विचार विमर्श हुआ। आभासी संगोष्ठियों को प्रदेश इकाई भी प्रतिमाह आयोजित करेगी। डॉ. राधाकृष्णन जयंती के पूर्व सप्ताह में शिक्षक सम्मान समारोह उज्जैन या इन्दौर में होगा। शिक्षक सम्मान एवं चयन समिति के संयोजक श्री हरेराम वाजपेयी रहेंगे। राष्ट्रीय हिंदी सप्ताह का आयोजन की रूपरेखा के लिये अजमेर से डॉ. चेतना उपाध्याय एवं डॉ. उर्वशी उपाध्याय(राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, प्रयागराज) को मनोनीत किया। संस्था की स्मारिका का प्रकाशन हिन्दी दिवस पर होगा। राष्ट्रीय इकाई महिला द्वारा शरद पूणि्र्मा पर अन्तरराष्ट्रीय साहित्यकार कवयित्री मिलन समारोह एवं कवि सम्मेलन का निर्णय लिया। शिक्षक संचेतना की सफलतम 100 आभासी संगोष्ठी का ‘स्मृति चिन्ह‘ समस्त पदाधिकारियों सदस्यों, पत्रकारों एवं अतिथियों को देने पर विचार हुआ। राष्ट्रीय बैठक में संरक्षक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, महिला इकाई राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवा लोहारिया, डॉ. ममता झा, डॉ. राकेश छोकर, बाला साहेब, मनीषा सिंह, सुनीता चौहान, लता जोशी, डॉ. मुक्ता कौशिक, डॉ. आशीष नायक, गरिमा गर्ग, डॉ. रश्मि चौबे, पूर्णिमा कौशिक, भुवनेश्वरी जायसवाल, डॉ. रजिया शेख, सुनील गर्ग, डॉ. भरत शेणकर आदि 40 पदाधिकारी उपस्थित रहे। संचालन रूली सिंह ने किया आभार रोहिणी डावरे ने माना।
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