पर्यावरण अनुकूलित आचरण पर बल दिया गया है भारतीय सभ्यता में - डॉ. शर्मा ; पर्यावरण एवं मनुष्य की दिनचर्या, आहार-विहार पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
पर्यावरण अनुकूलित आचरण पर बल दिया गया है भारतीय सभ्यता में - डॉ. शर्मा
पर्यावरण एवं मनुष्य की दिनचर्या, आहार-विहार पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय आभासी गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय पर्यावरण एवं मनुष्य की दिनचर्या, आहार-विहार था। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि श्री प्रशांत महतो, रायपुर, श्रीमती सुवर्णा जाधव, श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक ओस्लो, नॉर्वे, डॉक्टर शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉक्टर प्रभु चौधरी थे।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलानुशासक, हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि भारतीय सभ्यता में पर्यावरण अनुकूलित आचरण पर बल दिया गया है। आयुर्विज्ञान में योग और प्राणायाम पर बल दिया गया है। सदा स्वस्थ रहने के लिए योग करें, उपयुक्त आहार विहार करें। गीता शास्त्र में भी प्राकृतिक परिवेश से युक्त आहार-विहार की चर्चा की गई है। योग को सदियों पहले संपूर्ण जीवन शैली के साथ जोड़ दिया गया है । पर्यावरण व मनुष्य का जीवन जुड़ा हुआ है। हमें जीवित रहने के लिए पानी एवं भोजन की जरूरत होती है। हवा के बिना हम नहीं रह सकते। पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं । पेड़ पौधे की लगातार कटाई व पानी का प्रदूषण हो रहा है । प्रदूषण को दूर करने के प्रयास निरन्तर करना चाहिए।
संगोष्ठी के विशेष वक्ता डॉक्टर प्रभु चौधरी राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिये हमें एक पौधे लगाना चाहिए । नीम के पौधे लगाए जाएँ । जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण होना चाहिये। दिनचर्या के बारे में बताया कि आधा लीटर गुनगुना पानी पीना ,3 किलो मीटर प्रति दिन चलना, योग ,व्यायाम ,सूर्य नमस्कार करना आदि लाभकारी सिद्ध होते हैं।
विशिष्ट वक्ता श्रीमती सुवर्णा जाधव राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष ,मुंबई ने कहा कि दिनचर्या व्यवस्थित होनी चाहिए । मौसम के अनुसार फल खाने चाहिए। दिनचर्या से मन संतुलित प्रफुल्लित होता है।
विशिष्ट अतिथि शिवा लोहारिया जयपुर राजस्थान ने कहा कि आहार मौसम के अनुसार होना चाहिए जिससे पाचन तंत्र अच्छा रहता है साथ ही हमारा शरीर जो पचा सके ऐसा भोजन लेना चाहिए सुबह हल्का नाश्ता करें और रात में भी खाना जल्दी खा कर सोना ,पानी को बैठ कर पीना, सूर्य की रोशनी विटामिन डी प्रदान करता है अतः थोड़ी बहुत धूप में रहे।
विशिष्ट अतिथि प्रशांत महतो ने कहा कि हर साल 5 वृक्ष लगाएं। हर प्रकार के अवसर में लगाए जा सकते हैं छोटे-छोटे पौधे नर्सरी लगाकर रखना वह आयोजन में छोटे पौधे उपहार में दिये जा सकता है साथ ही वृक्षों में पानी का कटाव के बारे में बताया और कहा कि 'वृक्ष सेवा विश्व की सेवा' ।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती मंजू बाला श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अपने आहार के प्रति सर्तक रहना चाहिए क्योंकि जैसा हम खाए अन्न मन वैसे ही बनता है ।
विशेष अतिथि श्री सुरेश चंद्र शुक्ल, ऑस्लो, नॉर्वे ने कहा कि भारत में तालाब समाप्त हो रहे हैं इसलिए प्राकृतिक संसाधन को बचाना बहुत ही आवश्यक है लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए डॉ विमल कुमार जैन, इंदौर ने कहा कि पर्यावरण के प्रति किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होना चाहिये।
गोष्ठी का प्रारंभ डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक, मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता ,रायपुर छत्तीसगढ़ की सरस्वती वंदना स्क्रीन से हुआ। स्वागत उद्बोधन राष्ट्रीय उप महासचिव सुश्री गरिमा गर्ग, पंचकूला ने दिया। प्रस्तावना प्राध्यापिका रोहिणी डावरे अकोला महाराष्ट्र ने की तथा डॉक्टर शिवा लोहारिया के जन्म उत्सव पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना छत्तीसगढ़ की सचिव श्रीमती भुनेश्वरी जायसवाल ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन सूत्रधार डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया।
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