Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सौ प्रतिशत वेक्सीनेशन ; विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र टीकाकरण हेतु मान्य होगा

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सौ प्रतिशत वेक्सीनेशन 

विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र टीकाकरण हेतु मान्य होगा


उज्जैन -  मंगलवार, 27 जुलाई 2021 : 

आज भारत के महामहिम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम की पुण्य तिथि पर विक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय के मार्गदर्शन में विक्रम विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना, ओपन इकाई एवं फ्यूचर विजन इकाई के स्वयं सेवकों द्वारा वेक्सीनेशन जागरूकता रैली निकालकर विश्वविद्यालय के समस्त अध्ययनशालाओं में आचार्य, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं से रूबरू चर्चा कर वेक्सीनेशन डोज की जानकारी प्राप्त की और उन्होंने विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र को टीकाकरण के लिये मान्य किये जाने की भी जानकारी दी इससे भविष्य में डोज लगवाने के लिये किसी को अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।  


विक्रम विश्वविद्यालय की समस्त अध्ययनशालाओं में बतौर जानकारी प्राप्त हुई कि 100 प्रतिशत वेक्सीनेशन डोज लग चुके हैं। उपस्थित सभी जनों ने माननीय कुलपति जी को परिवार एवं अपने आस-पास के निवासियों की भी जानकारी प्रदान की और जिन्हें 1 डोज शेष रह गया है, उनकी जानकारी भी प्राप्त की। 


भौतिकी अध्ययनशाला में  माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए कोरोना महामारी से बचने के तरीके बताते हुए मास्क, सेनेजाईजर का उपयोग और वेक्सीनेशन की आवश्यकता पर बल दिया। 


इस अवसर पर आपने राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से समस्त अध्ययनशालाओं में पर्यावरण जागरूकता निमित्त वृक्षारोपण एवं गाजरघास उन्मूलन की भी चर्चा की। 


भौतिकी अध्ययनशाला में हुई चर्चाओं का संचालन विश्वविद्यालय इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रमण सोलंकी ने किया एवं विभाग की आचार्य डॉ. स्वाति दुबे ने आभार व्यक्त किया इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों के साथ डॉ. शुभा जैन, डॉ. अचला शर्मा, डॉ. सलिलसिंह, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. नलिनसिंह पंवार, डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. राज बोरिया, डॉ. अनिल जैन, डॉ. सुधीर कुमार जैन, डॉ. गणपत अहिरवार, डॉ. प्रेमलता चुटैल, डॉ. जगदीश शर्मा, डॉ. गीता नायक, डॉ. धीरेन्द्र सोलंकी, डॉ. शैलेन्द्र भारल, डॉ. अलका व्यास, डॉ. डी.एम. कुमावल, डॉ. राज राजेश्वार मूसलगांवकर, डॉ. संग्राम भूषण, डॉ. रविशंकर सोनवाल, सहित विश्वविद्यालय कर्मचारी संगठन के श्री कमल जोशी, श्री राजू यादव, श्री राजेश ठाकुर, श्री संजय सिंह, रासेयो ओपन इकाई के डॉ. अजय शर्मा, फ्यूचर विजन महाविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. दुर्गाशंकर सूर्यवंशी और समस्त अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।



Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...