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कार्यपरिषद् की बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शैक्षणिक सत्र 2021-22 से विक्रम विश्वविद्यालय में लागू किया गया।

 


उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यपरिषद् की बैठक दिनांक 03.08.2021 को सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। बैठक में कार्यपरिषद् के सदस्य डॉ. लक्ष्मीनारायण शर्मा, डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. पी.के. वर्मा, डॉ. दिनेश कुमार सोनी, डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन, डॉ. गोविन्द गन्धे, अतिरिक्त संचालक डॉ. आर.सी. जाटवा, श्री राघवेन्द्रपाल सिंह, श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री सचिन दवे, सुश्री ममता बैण्डवाल, श्रीमती कुसुमलता निंगवाल, श्री संजय नाहर एवं कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक उपस्थित थे।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि, बैठक में विद्या परिषद् की स्थाई समिति की बैठक दिनांक 18.05.2021, 11.6.2021, 07.07.2021 एवं 20.07.2021 के कार्य विवरण की पुष्टि की गई। बैठक में अ. भा. जैन ज्ञानोदय शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति से प्राप्त पत्र में उल्लेखित आचार्य विद्यासागर पीठ एवं शोध संस्थान की विक्रम विश्वविद्यालय में स्थापना का निर्णय लिया गया। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में कार्यरत उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मी (कुशल एवं अकुशल) विनियमित करने का निर्णय राज्य शासन के प्रावधानों के अनुसार लिया गया। नैक हेतु तैयार की गई विश्वविद्यालय की विविध नीतियों- विश्वविद्यालय आई टी नीति, विश्वविद्यालय पर्यावरण नीति, विश्वविद्यालय जेंडर नीति को अंगीकृत करने का निर्णय लिया गया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रकाशन किया गया है। शासन के निर्देशानुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शैक्षणिक सत्र 2021-22 सेे भारत के सम्पूर्ण विश्वविद्यालय में लागू किया जाना है। तदनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विक्रम विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2021-22 से अंगीकृत किये जाने का निर्णय लिया गया। शारीरिक शिक्षा एवं खेल तदर्थ अध्ययन मण्डल की बैठक दिनांक 19.07.2021 में लिये गये निर्णयानुसार एम. पी. ई. एस. पाठ्यक्रम सामान्य नियमों के साथ प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ बैठक में विद्यार्थियों की रोजमर्रा की विभिन्न समस्याओं पर विचार किया गया एवं समाधान हेतु निर्देश प्रदान किये गये। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की अंकसूची आदि को डिजिटलाज्ड किये जाने के संबंध में विचार किया गया। शोध अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत शोध प्रबंधों के परीक्षकों की अनुशंसा के आधार पर प्रदान की गई पीएच. डी. उपाधि की सूचना ग्राह्य की गई। बैठक के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

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