Skip to main content

ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बना जल जीवन मिशन ; मध्यप्रदेश के 3193 ग्रामों के हर घर में सरल, सुगम और शुद्ध पेयजल

ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बना जल जीवन मिशन

मध्यप्रदेश के 3193 ग्रामों के हर घर में सरल, सुगम और शुद्ध पेयजल

भोपाल : जल प्रत्येक जीवन की जरूरी जरूरत है और जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। देश के ग्रामीण अंचल में जल प्राप्ति के साधन के रूप में नदी, तालाब, कुँआ और बाबड़ी ही रहे हैं। हमेशा यही देखा गया कि ग्रामीण माताओं-बहनों को इन पेयजल स्त्रोतों से जल लाकर परिवार की जरूरत पूरी करना पड़ती थी। धीरे-धीरे हैण्डपम्प और ट्‍यूबबेल का प्रचलन बढ़ा, इससे हमारी आधी-आबादी (महिला वर्ग) के परिश्रम में कुछ कमी तो आई लेकिन उन्हें पेयजल की कठिनाई और समस्या से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल सकी। काफी दूरी से सिर पर पानी से भरे बर्तन लेकर आती महिलाओं की दशा और पेयजल संकट को दर्शाती खबरें तथा फोटो हम सबने विभिन्न प्रचार माध्यमों में अनेकों बार पढ़े और देखे हैं। अब जल जीवन मिशन किस तरह ग्रामीण आबादी को नल से जल देकर उनके जीवन में बदलाब ला रहा है यह भी सच हम देख रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण आबादी और खासकर यहाँ के महिला वर्ग को पेयजल के लिए उठानी पड़ रही कठिनाई की निरन्तर चिंता की। इस समस्या से निदान के उपाय के लिए उनके चिंतन से ही राष्ट्रीय जल जीवन मिशन प्रारम्भ हुआ। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 15 अगस्त 2019 को इस मिशन की घोषणा की। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन की गाइड-लाइन जारी की और केन्द्र तथा राज्य के समान व्यय अंश पर मिशन में कार्य प्रारम्भ हुए।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मिशन की खूबियों को जाना और ग्रामीण अंचल की माता-बहनों की “नीर के लिए पीर” को हमेशा के लिए दूर करने के उद्देश्य से प्रदेश में मिशन अन्तर्गत कार्य करने के निर्देश दिए। प्रदेश में जून 2020 से गाँव के हर घर में नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। अब सभी जिलों की ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन से जल मुहैय्या करवाने के कार्य तेजगति से चल रहे हैं। बदलाव के साक्ष्य के रूप में मिशन में 40 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन से निरन्तर जल प्रदाय हो रहा है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य-मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह यादव मिशन के संचालन की प्रति सप्ताह समीक्षा करते हैं। श्री यादव का मानना है कि धरातल पर उतरी योजनाओं के लाभ से ही जन-विश्वास कायम होता है। जब आमजन की मानसिकता यह बने कि सरकार उसकी अपनी है, तब ही माना जाय कि माप की कसौटी पर सरकार खरी उतरी है। राज्य-मंत्री श्री यादव द्वारा जल जीवन मिशन की मार्गदर्शिका के अनुरूप कार्य प्रबंधन कार्यान्वयन सहायता, तृतीय पक्ष मूल्यांकन और कौशल विकास एजेन्सी से प्रत्यक्ष (वन-टू-वन) संवाद किया गया। इस व्यवस्था से मिशन के कार्य गुणवत्तापूर्ण और समय-सीमा में हो रहे हैं।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामीण आबादी के घरों में नल से जल देने की व्यवस्था सहित स्कूल एवं आँगनबाड़ियों में भी पेयजल के लिए नल कनेक्शन दिए जा रहे हैं। लक्ष्य, प्रत्येक ग्रामीण परिवार, आँगनबाड़ी और स्कूल में गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त जल की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाना है। जल जीवन मिशन में प्रदेश के 3193 ग्रामों के प्रत्येक घर में नल कनेक्शन से प्रतिदिन जल दिए जाने की सुचारू व्यवस्था हो चुकी है। इसी कड़ी में प्रदेश की 24 हजार आँगनबाड़ियों और 41 हजार स्कूलों में बेहतर ढ़ग से पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। शेष रहे ग्रामीण परिवारों सहित आँगनबाड़ियों और स्कूलों में भी नल से जलापूर्ति के कार्य निरन्तर जारी हैं।

प्रयोगशालाओं की मान्यता प्राप्त करने में मध्यप्रदेश अव्वल

जल परीक्षण प्रयोगशालाओं के‍लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अशंशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश हैं कि सभी राज्य अपनी जल परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए निर्धारित अन्तराल में प्रत्यायन बोर्ड से (NABL) प्रमाण-पत्र प्राप्त करें ताकि इस सेवा की उच्च गुणवत्ता के प्रति विश्वसनीयता बनी रहे। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की राज्य और जिला स्तरीय 51 प्रयोगशालाओं को प्रत्यायन बोर्ड (NABL) द्वारा मान्यता प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं। देश की विभिन्न जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की मान्यता प्राप्त करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश अव्वल एवं 30 प्रयोगशालाओं के मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाला महाराष्ट्र राज्य दूसरे स्थान पर है।

हर स्तर पर समितियाँ गठित

प्रदेश में जल जीवन मिशन के संचालन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन और कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला जल एवं स्वच्छता मिशन का गठन किया गया है। साथ ही ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन भी किया जायेगा। योजना में निर्माण लागत की 10 प्रतिशत जन-भागीदारी होगी। ग्रामीणों से जन-भागीदारी श्रम, सामग्री अथवा नगद राशि के रूप में ली जा सकेगी। अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल ग्रामों में जन-भागीदारी 5 प्रतिशत होगी।

मिशन मार्गदर्शिका के घटकों के अनुरूप कार्य-संचालन

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की मार्गदर्शिका के अनुसार प्रदेश में मिशन के बेहतर संचालन के लिए प्रमुख रूप से चार घटकों को शामिल कर उनके अनुरूप कार्यवाही की जा रही है। इनमें 1. कार्य प्रबंधन इकाई (पीएमयू), 2. कार्यान्वयन सहायता एजेन्सी (आईएसए), 3. तृतीय पक्ष मूल्यांकन संस्थाएँ (टीपीआई) और 4. कौशल विकास प्रशिक्षण एजेन्सी शामिल हैं।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...