उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा पार्थेनियम (गाजरघास) उन्मूलन सप्ताह का शुभारम्भ दिनांक 16 अगस्त 2021 को माधव भवन उज्जैन में किया गया। यह कार्यक्रम दिनांक 16 अगस्त से 22 अगस्त तक चलाया जायेगा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गाजरघास के हानिकारक प्रभावों एवं इसके नियंत्रण की विधियों से नागरिकों, छात्रों एवं किसानो तक जागरूकता अभियान चलाना है।
पार्थेनियम (गाजरघास ) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह खतपतवार कुल का पौधा है। यह मैक्सिको से गेहूँ के साथ भारत आया था, जिसका देश के सभी भागों में तीव्रता से विकास हो गया। भारत में यह गजरी, गाजरघास, चटक चांदनी आदि नामों से जाना जाता है। गाजरघास के कारण मनुष्यों को चर्म रोग, गर्दन और चेहरे की समस्या, चमड़ी का सख्त होकर फट जाना, खुजली पैदा करना, दमा, रीन्हीटायटीश एवं हेफीवर, जैसी बीमारियां हो जाती हैं। यह घातक पौधा मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर उसे डिप्रेशन का शिकार बना देता है। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा गाजरघास उन्मूलन के लिए 16 से 22 अगस्त तक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत दिनांक 18 अगस्त 2021 एवं 21 अगस्त 21 को गाजरघास उन्मूलन के वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। दिनांक 16 से 22 अगस्त तक पोस्टर, पम्पलेट एवं विभिन्न व्याख्यानों के द्वारा छात्रों, आम नागरिकों एवं किसानों के मध्य जनजाग्रति अभियान चलाया जायेगा।
गाजरघास उन्मूलन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर के जी सुरेश, कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा की गयी। विशेष अतिथि के रूप में डॉ प्रशांत पुराणिक कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन थे। कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि खरपतवार उन्मूलन के लिए विक्रम विश्वविद्यालय एवं खरपतवार अनुसन्धान निदेशालय, जबलपुर (भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्) के मध्य एम. ओ. यू. किया गया है जो शोध-छात्रों एवं प्राध्यापकों के लिए इस क्षेत्र में अनुसन्धान कार्य हेतु उपयोगी होगा। गाजरघास उन्मूलन कार्यक्रम के आयोजक सदस्य के रूप में प्रोफेसर उमा शर्मा, डॉ सलिल सिंह, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ अरविन्द शुक्ल एवं डॉ शिवी भसीन उपस्थित थे।
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