माँ का महत्व ईश्वर से बड़ा है- प्रो. शर्मा
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा समारोह मां गीता देवी चौधरी सम्मान
देश की जानी-मानी संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा संगोष्ठी के रूप में शिक्षा ,साहित्य एवं संस्कृति परिचर्चा एवम उद्गार विषय पर संगोष्ठी के आयोजन मेंकार्यक्रम की अध्यक्षता राष्टीय महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी जी ने की और कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री बी के शर्मा पूर्व शिक्षा अधिकारी एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष रहे, मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. डॉ.शैलेंद्र शर्मा जी अध्यक्ष हिंदी विभाग एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, विशिष्ट अतिथि के रुप में नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल जी एवं डॉ शहाबुद्दीन शेख रहे सूत्र-संचालन डॉ रश्मि चौबे गाजियाबाद ने किया।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आभासी संगोष्ठी के रूप में माँ गीता देवी चौधरी स्मृति सम्मान समारोह आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में श्री बी के शर्मा जी ने कहा कि जब माँ होती है तब हमारी माँ होती है और बाद में उनके जाने के बाद हमें, बेटी का वेष बदलकर हमारे जीवन में आ जाती है और उन्होंने कहा कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है परंतु माता कुमाता नहीं होती।
प्रो. डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा जी ने कहा की माता के कदमों के तले स्वर्ग होता है, माँ जहां वास करती है ईश्वर भी वहीं होता है।
डॉक्टर हरिसिंह पाल जी ने कहा -व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में पहली गुरु माता ही होती है ,वही अपनी संतान को शिक्षा देकर समाज ,राष्ट्र और व्रममाण्ड के प्रति समर्पित होना सिखाती है।
विशिष्ट वक्ता डा शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि- नई पीढ़ी आत्म केंद्रित होती जा रही है, मैं और मेरा परिवार देखना चाहते हैं। आज का कार्यक्रम नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है । माँ का स्थान हर एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है।
श्रीमती सुवर्णा जाधव जी ने कहा की -मराठी में माँ को आई कहते हैं।आ से आत्मा ई से ईश्वर के मिलने को आई कहते हैं।
डॉ भरत शेणकर जी ने कहा कि माँ और पिता का स्थान को कोई भी नहीं ले सकता।
सविता इंग्ले जी ने कहा कि सारी संपत्ति हो और माँ न हो तो कुछ नहीं होता है, ऐसा लगता है।
श्री सुरेश चंद्र शुक्ल जी ने कहा हमारी माँ से बड़ा कुछ नहीं है और हर स्थान पर महिलाओं की सहभागिता 50% होनी चाहिए।
रेखा अस्थाना जी ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उन्हें सम्मानित करने के लिए आभार व्यक्त किया
डॉ पूर्णिमा शर्मा जी ने सभी को बधाइयां दीं।
अध्यक्षीय भाषण में महासचिव प्रभु चौधरी जी ने सभी मातृ शक्तियों को नमन करते हुए कहा कि - हमारी माँ ने कहा था कि, मेरे जाने के बाद गीता की पुस्तक को वितरित करना है । इसीलिए , जो भी हमारे यहां आता है उसको उनकी याद के स्वरूप की गीता जी की पुस्तक भेंट करते हैं और सभी को इस कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद दिया।
श्रीमती रोहिणी डाबरे महाराष्ट्र एवं श्रीमती पूर्णिमा कौशिक जी ने माँ पर कविता सुनाई।
10 महिलाओं को सम्मानित किया गया उनके नाम है - श्रीमती सुवर्णा जाधव महाराष्ट्र, डॉ शिवा लोहारिया जयपुर, श्रीमती रेखा अस्थाना गाजियाबाद,डॉ चेतना उपाध्याय राजस्थान ,श्रीमती इंद्र वर्षा ,श्रीमती उर्वशी उपाध्याय प्रयागराज,डॉ निशा जोशी इंदौर,श्रीमती सविता इंग्ले ,डॉ हंसा शुक्ला, श्रीमती मनीषा सिंह मुंबई,इन को पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत ज्योति तिवारी इंदौर ने सरस्वती वंदना से की, स्वागत भाषण प्रभु चौधरी जी ने दिया, कार्यक्रम में कुशल संचालन महिला इकाई की महासचिव डॉ रश्मि चौबे गाजियाबाद ने किया ,आभार व्यक्त पूर्णिमा कौशिक छत्तीसगढ़ ने किया।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने पूजनीय माँ गीता देवी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सभी सम्मानित और पुरस्कृत हुए महिलाओं को बधाइयां दीं। कार्यक्रम में पूर्णिमा कौशिक जी छत्तीसगढ़और भरत शेणकर पुणे,बालासाहेब तोरस्कर महाराष्ट्र ज्योति तिवारी इंदौर , श्रीमती मनीषा सिंह मुंबई , डॉ ममता झा मुंबई, डॉ उर्वशी उपाध्याय प्रयागराज, डॉ निशा जोशी इंदौर, डॉ पूर्णिमा शर्मा जी दिल्ली वाव इंडिया की महासचिव आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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