Skip to main content

सात दिवसीय राज्य स्तरीय एडवांस स्काउट मास्टर, कब मास्टर तथा रोवर लीडर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सम्पन्न


भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश के राज्य मीडिया प्रभारी श्री राधेश्याम चौऋषिया ने जानकारी देते हुए बताया कि, राज्य मुख्य आयुक्त श्री पारस चन्द्र जैन के दिशा-निर्देश पर राज्य प्रशिक्षण केन्द्र गॉधीनगर भोपाल में दिनांक 20 से 26 सितम्बर 2021 तक सात दिवसीय राज्य स्तरीय एडवांस स्काउट मास्टर, कब मास्टर तथा रोवर लीडर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश भर के 47 स्काउट मास्टर/कब मास्टर/रोवर लीडर ने भाग लिया। शिविर का समापन राज्य आयुक्त स्काउट श्री दलवीर सिंह राघव के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्य संगठन आयुक्त स्काउट श्री हरिदत्त शर्मा व राज्य प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट श्री बी.एल. शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही।


शिविर समापन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य आयुक्त स्काउट श्री डी. एस. राघव ने कहा कि, प्रदेश में स्काउटिंग गतिविधियों में वृद्धि करने के उद्देश्य से ही मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार को भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश का राज्य अध्यक्ष का दायित्व सौपा गया है, क्योंकि स्काउटिंग शैक्षणिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण अंग है। आप सभी अपने जिलों में स्काउटिंग गतिविधियों को प्रोत्साहित करे, मैं स्वयं आकर आपके दलो का भ्रमण करूंगा। राज्य प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट श्री बी.एल. शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, जो इंसान खुद के लिये जीता है उसका मरण होता है और जो इंसान दूसरो के लिये जीता है उसका स्मरण होता है, और स्काउटिंग हमें दूसरो के लिये जीने की प्रेरणा देती हैं। श्री शर्मा ने कहा कि, प्रदेश में कबिंग और रोवरिंग गतिविधियों के सुधार हेतु राज्य मुख्यालय संकल्पित है । आज हमारे पास स्काउटिंग का साहित्य हिन्दी भाषा में भी उपलब्ध है जो पहले सिर्फ अंग्रेजी में हुआ करता था।


राज्य संगठन आयुक्त स्काउट श्री हरिदत्त शर्मा ने कहा कि, चुनौतियां व्यक्तित्व विकास के लिये आती है, राज्य मुख्यालय का प्रयास है कि अब हर जिले में शासन स्तर से एक पूर्ण कालिक जिला संगठन आयुक्त हो जिससे प्रदेश में स्काउटिंग गतिविधियाँ निर्बाध रूप से संचालित की जा सके।

विदित हो कि, एडवांस स्काउट मास्टर प्रशिक्षण शिविर का संचालन श्री पी. पी. मिश्रा द्वारा किया गया जिसमें 28 प्रतिभागियो ने सहभागिता की । एडवांस कब मास्टर प्रशिक्षण शिविर का संचालन श्री विक्रम सिंह चौहान द्वारा किया गया जिसमें 10 कब मास्टर शामिल हुए तथा एडवांस रोवर लीडर प्रशिक्षण शिविर का संचालन श्री आर. के. तिवारी द्वारा किया गया जिसमें 09 प्रतिभागियों ने एडवांस कोर्स पूर्ण किया। जिनके सहयोगी के रूप में श्री मुरारी लाल मावई, श्री बद्रीलाल मालवीय, श्री बी.एल. चौरे, श्री ओ.पी. सिकरवार का सराहनीय सहयोग रहा। शिविर का उद्घाटन राज्य प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट श्री बी.एल. शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। उक्त शिविर में प्रदेश के विभिन्न जिलों से 28 स्काउट मास्टर, 10 कब मास्टर तथा 09 रोवर लीडर ने हिस्सा लिया। शिविर के दौरान प्रतिभागियों को नक्शा पढना, दिशा ज्ञान, खोज के चिन्ह, स्टार गेजिंग, नोटिंग, हाइकिंग, तम्बू लगाना एवं उखाडना आदि को बारीकी से समझाया गया। शिविर अवधि में सभी प्रतिभागी खोज के चिन्हों के माध्यम से गुफा मंदिर तक नाइट हाइक पर जाकर आनंदित हुए।

दिनांक 26 सितम्बर 2021 को सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया तदपश्चात ओपन शेसन तथा ध्वज अवतरण व राष्ट्रगान के साथ शिविर का समापन किया गया। शिविर में क्वार्टर मास्टर के रूप में श्री रमेश वारिया तथा भौतिक व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी वार्डन श्री रामेश्वर दयाल सेन के द्वारा निभाई गई।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...