उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के बी.एससी. (ओनर्स) जैवप्रौद्योगिकी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों के द्वारा कई महत्वपूर्ण उत्पादों का निर्माण किया गया है, जिनका अभी प्रायोगिक ट्रायल किया जा रहा है। प्रायोगिक ट्रायल पूर्ण होने के पश्चात् इन उत्पादों के औद्योगिक निर्माण हेतु सम्बंधित कंपनियों से संपर्क किया जायेगा।
प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में बी.एससी. (ओनर्स) जैवप्रौद्योगिकी प्रथम सेमेस्टर में अध्ययनरत छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा शोधपरक सकारात्मक संभावनाओं के अन्वेषण के लिए लगातार प्रोत्साहित किये जाने के कारण उनसे प्रेरित होकर विश्वविद्यालय परिसर में स्थित पुष्प, कवक एवं एलोवेरा से कई महत्वपूर्ण उत्पादों का निर्माण किया है।
छात्रों ने अलग-अलग ग्रुप में विभाजित होकर डॉ शिवि भसीन एवं डॉ अरविन्द शुक्ल के निर्देशन में निम्नलिखित उत्पादों के निर्माण में सफलता प्राप्त की है।
- मशरुम क्रीम का उत्पादन गैनोडर्मा मशरुम के द्वारा त्वचा के निखार हेतु युक्ता लुल्ला एवं सुरभि सिंह द्वारा किया गया।
- एंटी-एजिंग के लिए टोनर का निर्माण क्लाइटोरिआ तरनतिया (अपराजिता के फूल) का उपयोग करते हुए चारवी मदान, चेल्सी पॉल एवं विजय रजोरिआ द्वारा किया गया।
- इसी प्रकार हर्षिता शर्मा एवं अश्विनी खुशवा द्वारा एंटी-एजिंग एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के लिए हिबिस्कुस रोसासिनेसिस (चाइनारोस ) के द्वारा टोनर का निर्माण किया गया।
- छात्रों के अगले ग्रुप में मानसी दुबे, प्रियांश एवं लोकेश धाकड़ के द्वारा बॉडी लोशन का निर्माण चाइनारोस से किया गया।
जैव-प्रौद्योगिकी के छात्रों की सफलता से प्रभावित होकर प्रोफेसर लता भट्टाचार्य विभागाध्यक्ष प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने उन्हें बधाई देते हुए अधिक से अधिक नवीन अन्वेषणों हेतु प्रोत्साहित किया। छात्रों के नवीन उत्पाद निर्माण हेतु डॉ सलिल सिंह, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी एवं डॉ गरिमा शर्मा ने उन्हें बधाई दी तथा भविष्य में नए अन्वेषणों हेतु सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
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