उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के फाॅरेन्सिक साइंस विभाग में एम. एससी. एवं बी. एससी. फॉरेंसिक साइंस विषय, फुड टेक्नोलॉजी , माइक्रोबायोलॉजी के विद्यार्थियों के मध्य आयोजित कार्यक्रम में फॉरेंसिक साइंस की महत्ता पर कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि फाॅरेन्सिक साइंस विषय पर वर्तमान में भारत देश में ही नहीं, विश्व में ध्यान आकर्षित हो रहा है। बढ़ते अपराध एवं अपराध करने के तौर तरीके में परिवर्तन के बीच फॉरेंसिक साइंस की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इन्दौर क्षेत्रीय फाॅरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री के संयुक्त निदेशक डॉ अरविंद नायक ने विद्यार्थियों को दुनियाभर में बढ़ते अपराधों का शीर्ष विश्लेषण जैसे मनोविज्ञान , निदान, कानून, न्याय, अपराध विज्ञान, गुणवत्ता विश्लेषण व नियंत्रण , डेटा विश्लेषण, जैव सूचना विज्ञान, शिक्षण, प्रयोगशाला प्रलेखन से संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण आदि पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपराध के दृश्यों का विश्लेषण, उन्नत निदान तकनीकी, नवीन परीक्षण के किट, उन्नत उपकरणों एवं उनका उपयोग कर अपराधी एवं उसके द्वारा किए गए अपराध को साबित करने के लिए उनके सबूतों की विभिन्न तरीके से जांच जैसे फिंगरप्रिंट और डीएनए विश्लेषण, विष विज्ञान परीक्षण,लिखावट विश्लेषण, अपराध के दृश्यों का विश्लेषण, अनुवांशिक संबंधों का विश्लेषण कर अपराध की प्रकृति एवं अपराधियों की पहचानने की चर्चा की, जो उन्हें पकड़े जाने एवं फरियादी को उचित न्याय दिलाने में मदद करेगा।
उज्जैन एवं देवास जिला की फाॅरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री की वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ प्रीति गायकवाड ने अपराध एवम् अपराधी की सूक्ष्मता से किये गए अन्वेषण की पध्दति से पहचान कर विश्लेषण किस तरह किया जाए, उन्होंने उदाहरण के साथ उज्जैन में हुए क्राइम्स के विश्लेषण से अपराधी की पहचान को बताया।
इन्दौर क्षेत्रीय फाॅरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री के ही वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम डी एन ए फिंगरप्रिंट के विशेषज्ञ डाॅ प्रवीश भाटी ने फाॅरेन्सिक साइंस के माध्यम से अपराधी की पहचान उसके जूते के तल्ले मे लगी मिट्टी एवम क्राइम स्पाट की मिट्टी का नमूना लेकर उसका माइक्रोफ्लोरा से पहचान कर अपराधी की पहचान की जाती है। कुछ अपराध में अपराधी एवम क्राइम स्पाट से ब्लड , सीमेन, बाल इत्यादि के नमूना लेकर डी एन ए को मेच कर अपराधी की पहचान की जाती है।
व्याख्यान मे फाॅरेन्सिक साइंस विभाग एवं फुड टेक्नोलॉजी के कोआर्डिनेटर डाॅ सुधीर कुमार जैन, माइक्रोबायोलॉजी अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष डाॅ अलका व्यास , कृषि संस्थान के कोआर्डिनेटर डाॅ राजेश टेलर एवम विभाग के सभी शोधार्थी उपस्थित हुए ।
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