उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा वानिकी : शिक्षा, अवसर एवं चुनौतियाँ पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 27 दिसम्बर को पूर्वाह्न 11:30 बजे शलाका दीर्घा सभागार में किया जाएगा। मालवा क्षेत्र में वन अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान केंद्र, जबलपुर के साथ द्विपक्षीय समझौता एमओयू किया गया है, जिसके अन्तर्गत दिनांक 27 दिसम्बर को वानिकी : शिक्षा, अवसर एवं चुनौतियाँ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.जी.राजेश्वर राव निदेशक, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर होंगे। विशिष्ट अतिथि डा. एस. डी. उपाध्याय, डीन, कृषि संकाय, मेडि कैप्स यूनिवर्सिटी, इंदौर एवं श्रीमती कमलिका मोहंता, मुख्य वन संरक्षक (आईएफएस) अपना व्याख्यान देंगी। आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय करेंगे। इस कार्यक्रम से कृषि एवं जीव विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों को वन संपदा के प्रभावी उपयोग एवं उनके संरक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी। आयोजन के समन्वयक प्रो. डी. एम. कुमावत एवं डा. राजेश टेलर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभागिता के लिए विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकगणों से अनुरोध किया है।
उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा वानिकी : शिक्षा, अवसर एवं चुनौतियाँ पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 27 दिसम्बर को पूर्वाह्न 11:30 बजे शलाका दीर्घा सभागार में किया जाएगा। मालवा क्षेत्र में वन अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान केंद्र, जबलपुर के साथ द्विपक्षीय समझौता एमओयू किया गया है, जिसके अन्तर्गत दिनांक 27 दिसम्बर को वानिकी : शिक्षा, अवसर एवं चुनौतियाँ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.जी.राजेश्वर राव निदेशक, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर होंगे। विशिष्ट अतिथि डा. एस. डी. उपाध्याय, डीन, कृषि संकाय, मेडि कैप्स यूनिवर्सिटी, इंदौर एवं श्रीमती कमलिका मोहंता, मुख्य वन संरक्षक (आईएफएस) अपना व्याख्यान देंगी। आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय करेंगे। इस कार्यक्रम से कृषि एवं जीव विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों को वन संपदा के प्रभावी उपयोग एवं उनके संरक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी। आयोजन के समन्वयक प्रो. डी. एम. कुमावत एवं डा. राजेश टेलर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभागिता के लिए विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकगणों से अनुरोध किया है।
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