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हिंदी को विश्व मंच पर पहुंचाया अटल जी ने – पूर्व राज्यपाल प्रो सोलंकी

दोदिवसीय राष्ट्रीय साहित्यकार महोत्सव सम्पन्न



राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यकार महोत्सव एवं अटलश्री काव्य सम्मान अलंकरण 25 एवं 26 दिसंबर को हिंदी भवन, भोपाल में संपन्न हुआ। महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल श्री कप्तान सिंह सोलंकी ने किया। विशेष अतिथि मध्यप्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष श्री रामवल्लभ आचार्य, भोपाल, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ जवाहर कर्नावट, भोपाल थे। अध्यक्षता साहित्यकार श्री डॉ गौरीशंकर गौरीश, भोपाल ने की।
पूर्व राज्यपाल प्रो कप्तानसिंह सोलंकी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अटल जी दिमाग के साथ दिल से बोलते थे। उन्होंने हिंदी को विश्व मंच पर पहुंचाया। उन्होंने अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के संदर्भ में अनेक प्रसंग सुनाए।


प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने राष्ट्रीयता की संकल्पना और अटलबिहारी वाजपेयी पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अटल जी ने देश को भूखण्ड के बजाय राष्ट्रपुरुष के रूप में देखने पर बल दिया। भारतरत्न अटलबिहारी वाजपेयी एवं महामना मदन मोहन मालवीय को आज याद करना राष्ट्रीयता के मानबिंदुओं से जुड़ना है। उनका हिंदी और भारत की संस्कृति के प्रति उत्कट अनुराग था। श्री रामवल्लभ आचार्य, भोपाल ने श्री अटलबिहारी वाजपेयी के बड़नगर में शिक्षा प्राप्ति तथा कवि प्रदीप के संदर्भ में प्रसंग सुनाए।
डॉ जवाहर कर्नावट ने अटल बिहारी वाजपेयी को हिंदी का महान सेवक बताया। इस अवसर पर संस्था के मासिक पत्र संचेतना समाचार के चौथे अंक का लोकार्पण पत्र के प्रधान संपादक हरेराम वाजपेयी और सम्पादक डॉ प्रभु चौधरी, साहित्यकार हेमलता शर्मा एवं अन्य सुधीजनों की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने संस्था के कार्यों पर प्रकाश डाला।


इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा श्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में अटलश्री राष्ट्रीय साहित्य सम्मान के रूप में अभिनन्दन पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, हरेराम वाजपेयी, ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ अनुसूया अग्रवाल एवं हेमलता शर्मा को अर्पित किया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रात को संपन्न काव्य गोष्ठी का संचालन कवयित्री पायल परदेसी ने किया।

अध्यक्षता जयपुर की डॉक्टर शिवा लोहारिया ने की। इस अवसर पर बीस से अधिक कवियों ने अटल जी हिंदी भाषा व राष्ट्र को लेकर अपनी रचनाएं सुनाई।

दूसरे दिन प्रथम सत्र में विश्व में हिंदी का बढ़ता प्रभाव उपलब्धियां एवं संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी हुई। इसमें डॉ अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलाधिपति डॉ प्रकाश बरतुनिया ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि हिंदी विश्व के हर क्षेत्र में पहुंच चुकी है। इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी भवन के मंत्री श्री कैलाश चंद पंत ने कहा कि हिंदी पढ़ कर विश्व भारत का अध्ययन कर रहा है । इस कार्यक्रम में आगरा के दिग्विजय शर्मा, नरेंद्र सिंह परिहार, अनुसूया अग्रवाल, श्री बृजकिशोर शर्मा, ज्योति जलज, पुष्पा गरोठिया, आकाशवाणी के श्री विनोद नागर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने की। संचालन श्रेष्ठा जोशी ने किया। आभार संस्था के अध्यक्ष श्री बृजकिशोर शर्मा ने व्यक्त किया।
दो दिवसीय महोत्सव में डा अनसूया अग्रवाल ज्योति जलज श्रीराम शर्मा परिंदा पायल परदेसी श्रीमती बिनया राजाराम, डॉ सुधा काशिव, पुरुषोत्तम तिवारी, बृजबाला गुप्ता, कैलाश परमार, दीपा दीप, दिल्ली एवं राजस्थान महाराष्ट्र मध्य प्रदेश आदि के कई शहरों से आए साहित्यकारों को अटल श्री काव्य सम्मान प्रदान किए गए। समारोह मे सात प्रदेश के पदाधिकारियों ने सहभागिता की एवं बहुत आदर के साथ भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए हिंदी भाषा को और अधिक सशक्त बनाने के लिए संकल्प लिया।

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