उज्जैन : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, के अनुरूप अध्ययनशालाओं एवं विश्वविद्यालय के प्रगति पथ पर विद्यार्थियों की भूमिका सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खुला मंच (ओपन हाउस) संवाद का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने शैक्षणिक गुणवता वृद्धि के लिए अनुसंधानपरक शिक्षा, कौशल विकास, नवाचार एवं सामाजिक सरोकार के कार्यों हेतु अपनी रुचि दिखाई।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों को शैक्षणिक गुणवत्ता वृद्धि, सामुदायिक सेवा और नवाचारों हेतु प्रेरित किया गया। कुलपति प्रो पांडेय के निर्देशानुसार दिनांक 8/1/2022 को प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के मध्य खुला मंच संवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को सामुदायिक कार्य एवं विश्वविद्यालय के विकास हेतु प्रेरित एवं विद्यार्थियों की समस्याओं का निराकरण करना था। इस अवसर पर विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सैद्धान्तिक एवं क्रियात्मक कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहने हेतु निर्देशित किया गया ।
छात्रों को परिसर में साफ-सफाई, पौधारोपण, सृजनात्मक गतिविधियों का संचालन, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आदि कार्य हेतु विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों से पाठ्यक्रम, प्रयोगिक कार्य एवं अन्य समस्याओं पर चर्चा एवं उसके निराकरण का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम में डॉ सलिल सिंह विभागाध्यक्ष ने विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकार के कार्य जैसे कोविड-19 से बचाव सावधानियाँ एवं टीकाकरण के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए, डॉ अरविन्द शुक्ल ने विद्यार्थियों से किसानों के मध्य वैज्ञानिक पद्धति से खेती एवं केचुआ खाद निर्माण आदि के लिए जागरूकता अभियान चलIने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों की और से देवेंद्र धनगर ने प्रोजेक्ट में आने वाली समस्या का जिक्र किया तथा अनिशा चौधरी ने शैक्षणिक कार्य के साथ-साथ अनुसन्धानपरक शिक्षा पर बल दिया। साक्षी पाठक द्वारा एमएससी अध्ययनरत छात्रों को शोध पात्र लिखने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करने की बात कही गयी। इसी प्रकार विद्यार्थी शिवानी शर्मा द्वारा पर्यावरण हेतु पौधारोपण का महत्त्व तथा पार्वती लवंशी द्वारा जैविक खाद निर्माण पर चर्चा की गयी। छात्र अल्ताफ पटेल ने किसानों की समस्याओं पर विचार व्यक्त किया।
हर्षवर्धन कदम ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग के महत्त्व पर प्रकाश डाला एवं तन्मय जैन ने जैविक खेती तकनीकी को किसानों तक पहुंचाने की बात की। इस अवसर डॉ संतोष ठाकुर, डॉ शिवि भसीन, डॉ स्मिता सोलंकी, विद्यार्थी गण एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।
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