लोक देवता श्री देवनारायण प्रकृति, प्राणी और संस्कृति के संदर्भ में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी संपन्न
प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया । यह संगोष्ठी लोक देवता श्री देवनारायण प्रकृति, प्राणी और संस्कृति के संदर्भ में पर केंद्रित थी। आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रमुख वक्ता डॉ. देवनारायण गुर्जर, जयपुर, गोपाल बघेल मधु कनाडा, मोहनलाल वर्मा, डॉ.हरिसिंह पाल, नई दिल्ली, श्री बृजकिशोर शर्मा उज्जैन, डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, श्री राकेश छोकर, झुंझुनू, डॉ प्रभु चौधरी आदि थे।
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि लोक देवता देवनारायण जी से जुड़ना व्यापक विश्व चेतना से जुड़ना है। उन्होंने सदियों पहले पर्यावरण और प्राणियों के संरक्षण का संदेश दिया। उनकी सूक्ष्म चेतना सभी में समाहित है। वे आज भी जाग्रत देवता हैं। पीड़ित व्यक्ति की अंतर्मन की पुकार को सुनते हैं। विभिन्न पशुपालक समुदायों के साथ भील, सहरिया आदि जनजातीय समुदायों के लोग भी उनकी उपासना करते हैं । उन्होंने वीरान जंगलों में पशु धन की रक्षा की। उन्होंने सदैव वचन प्रतिज्ञा, ईमानदारी और सच्चाई के पथ पर चलने की कोशिश की और अपनी मातृभूमि की रक्षा की। देवनारायण जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गायी जाने वाली लोकगाथा को आम लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उनसे संबंधित लोक साहित्य को सहेजा जाना चाहिए।
डॉ. देवनारायण गुर्जर ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोक आराध्य श्री देवनारायण जी के उपदेशों के आधार पर हम जन जागरण चलाकर प्राकृतिक और सांस्कृतिक संक्रमण को रोक सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि देव ज्योति द्वारा हम देव चेतना यात्रा के माध्यम से सामाजिक समरसता, जन जागरण का कार्य कर सकते हैं। भगवान देवनारायण जी के आदर्श पर चलकर वृक्षारोपण और आयुर्वेद के लाभ लोगों को उपलब्ध करा सकते हैं।
मोहनलाल वर्मा, राजस्थान ने प्रस्तावना में कहा कि भगवान देवनारायण का जन्म माघ मास की सप्तमी को हुआ। इससे पहले रथसप्तमी और सूर्य सप्तमी के रूप में इस दिन को मनाया जाता रहा है । साडू माता की भक्ति के वशीभूत, स्त्री धर्म की रक्षा और मातृ धर्म की रक्षा के लिए एवं धर्म उद्धार के लिए भगवान ने जन्म लिया। भगवान की पूजा ईटों द्वारा निर्मित प्रतीक के रूप में होती है। भगवान देवनारायण के अनुसार चरित्र निर्माण के लिए व्यक्तित्व का विकास करना होगा। भगवान ने सभी को समान रूप से पूजा का अधिकार दिया और प्रकृति के संतुलन के लिए कार्य किया।
श्री बृजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा कि भगवान देवनारायण ने अपने जीवन में अनेक चमत्कार दिखाए। गीता में सातवें अध्याय में कृष्ण ने पराशक्ति का वर्णन किया है, उसके आठ स्वरूप हैं, पांच तत्वों के बाद मन, बुद्धि, अहंकार में सब मिलकर अष्टधातु पराशक्ति बन जाती है। मन, बुद्धि, अहंकार को सहज रूप से जोड़ने का कार्य किया। हम भी राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना में विचारों के माध्यम से व्यक्ति को जगाने का कार्य करते हैं। उन्होंने लता जी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि- हमारे जीवन में जब लय होती है तब हमारा जीवन संतुलित होता है। जहां लय नहीं वहां प्रलय है । इसलिए संगीत का विशेष महत्व है।
डॉ.हरिसिंह पाल, नई दिल्ली ने कहा कि देवनारायण जी ने आततायियों का विनाश किया । सामाजिक संगठन को बनाया। एकता की भावना स्थापित की। भारतीय समाज को अत्याचार, अनाचार , कदाचार से लड़ने के लिए लोक साहित्य को संरक्षित किया।
श्री राकेश छोकर, झुंझुनू ने कहा कि भगवान ने प्रेमा -भक्ति के रूप में सांसारिक जीवन को जीने पर बल दिया । उन्होंने भारत भूमि पर संक्रमण काल में चेतन प्रदान की, पशु भाव से मुक्त किया।
डॉ. प्रभु चौधरी , संस्था महासचिव, उज्जैन ने कहा कि लोग शादियों के लिए इनका आशीर्वाद प्राप्त करने जाते हैं और इनकी पूजा नीम से होती है । अगाध विश्वास व्यक्त करते हुए दूध के तालों का वर्णन किया । लता जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अटल विहारी वाजपेयी को याद किया।
डॉ.शहावुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, राष्ट्रीय संयोजक, पुणे महाराष्ट्र ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा लता जी स्वर साम्राज्ञी थीं। उन्होंने 36 से ज्यादा भाषाओं में गीत गाकर राष्ट्र की सेवा की।
गोपाल बघेल 'मधु', कनाडा से जुड़े। उन्होंने कहा कि देवनारायण भगवान ने नीम की महत्ता को बताया। आत्मा में परमात्मा का वास होता है, परमात्मा के सारे गुण आत्मा में होते हैं, हमें उन गुणों की वृद्धि करना चाहिए, कविता सुनाई।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.रश्मि चौबे, मुख्य महासचिव महिला इकाई , गाजियाबाद ने किया और स्वागत भाषण महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। आभार मोहनलाल वर्मा जी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंतर्गत सुरेखा मंत्री, यवतमाल आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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