Skip to main content

सेरा बायो लाइफ, मेलबोर्न ऑस्ट्रेलिया एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के मध्य हुआ महत्त्वपूर्ण विचार विमर्श

उज्जैन : सेरा बायोलाइफ़, मेलबॉर्न ऑस्ट्रेलिया एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के मध्य पूर्व में किए गए द्विपक्षीय अनुबंध ( MOU) के अंतर्गत भविष्य में किए जाने वाले शैक्षणिक एवं अनुसंधान कार्य हेतु एक बैठक का आयोजन किया गया । इस दौरान प्रोफेसर अनूप स्वरूप द्वारा प्राणीकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययन शाला के विद्यार्थियों को शैक्षणिक एवं अनुसंधान कार्यों हेतु प्रोत्साहन व्याख्यान दिया गया। नई शिक्षा नीति के दृष्टिगत विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं सेरा बायो लाइफ मेलबॉर्न ऑस्ट्रेलिया के द्वारा पूर्व में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे इसकी निरंतरता में माधव भवन मैं प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं प्रोफेसर अनूप स्वरूप ( पूर्व कुलपति , IAS, एवं राष्ट्रपति पदक प्राप्त, वर्तमान में संस्थापक एवं निदेशक सेरा बायो लाइफ मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया) के द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय में अध्ययनरत जीव विज्ञान संकाय के छात्रों को अनुसंधान परक तकनीकी जानकारी प्रदान करने हेतु चर्चा की गई। भविष्य में दोनों उत्कृष्ट संस्थानों के द्वारा छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं संगोष्ठी के आयोजन किए जाने हेतु सहमति प्रदान की गई।

कार्यक्रम के इस अवसर पर प्राणीकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययन शाला स्थित प्रोफेसर हर स्वरूप की मूर्ति शिल्प पर माल्यार्पण किया गया इसके पश्चात प्रोफेसर अनूप स्वरूप का शाल एवं श्रीफल के द्वारा विभाग अध्यक्ष एवं शिक्षकों के द्वारा सम्मान किया गया।


डॉ अनूप स्वरूप ने विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों को अपने उद्बोधन में शैक्षणिक गुणवत्ता कौशल विकास एवं अनुसंधान हेतु विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान की तथा विद्यार्थियों को अनुसंधान हेतु विभिन्न विदेशी छात्रवृत्तियों के लिए सहायता करने का आश्वासन भी दिया। उक्त कार्यक्रम का संचालन विभाग के शिक्षक डॉक्टर संतोष कुमार ठाकुर द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन डॉक्टर सलिल सिंह विभाग अध्यक्ष द्वारा किया गया।


इस अवसर पर प्रोफेसर शरद श्रीवास्तव पूर्व प्राध्यापक श्री सुरेश जैन वरिष्ठ समाजसेवी एवं विभाग के शिक्षकगण डॉ स्मिता सोलंकी, डॉक्टर गरिमा शर्मा, कर्मचारी गण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी गण उपस्थित थे। यह जानकारी प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, ने देते हुए बताया कि उपरोक्त दोनों उत्कृष्ट संस्थानों के द्वारा किए जा रहे कार्यों से विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को कौशल विकास एवं नवीन क्षेत्रों में अनुसंधान की संभावनाओं में वृद्धि होगी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...