उज्जैन। नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित द्वितीय सीनियर योगासन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप हेतु मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ योगासन खिलाड़ी श्री शुभम शर्मा का चयन क्वार्टर फाइनल एवं सेमी फाइनल राउंड में श्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर देश के श्रेष्ठ 10 खिलाड़ियों में किया गया है। जिनके बीच फाइनल मुकाबला 30 व 31 मार्च को ट्रांसस्टेडिया स्टेडियम, काकरिया, अहमदाबाद में होगा।
यह जानकारी विश्वामित्र अवार्ड से अलंकृत प्रशिक्षक डॉ आशीष मेहता एवं मनोहर सिंह डोडिया ने देते हुए बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय की दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला से योग में मास्टर डिग्री कर रहे शुभम का चयन आर्टिस्टिक सिंगल योगासन पुरुष वर्ग के लिए किया गया। उल्लेखनीय है कि शुभम ने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए गौरवमयी उपलब्धियां अर्जित की है। साथ ही कलर्स चैनल पर प्रसारित इंडियाज गॉट टैलेंट, इंडिया बनेगा मंच,सोनी टीवी पर प्रसारित एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा, ज़ी टीवी पर प्रसारित हुनर बाज सहित कई क्षेत्रीय चैनलों पर रबर बॉय के रूप में कई पुरस्कार जीत कर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। शुभम की उपलब्धि पर उज्जैन उज्जैन जिला योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय वक्तारिया, मिलिंद त्रिपाठी, दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ एस.के. मिश्रा, डॉ बिंदु पंवार,डायरेक्टर स्पोर्ट्स डॉ राजोरिया, विक्रम डाबी, राष्ट्रीय खिलाड़ी परिणीता शर्मा ने स्वागत कर शुभम के उज्जवल भविष्य की कामना की।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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