उज्जैन - नववर्ष की शुरुआत पर गुडीपडवा पर्व पर नीम के पत्तो का प्रयोग कर चर्मरोग दूर करे। चैत्र नवरात्रि में अनादि काल से यह मान्यता है, आयुर्वेदाचार्य ने संहिता गृंथ में यह वर्णित किया है कि गुडीपडवा पर्व पर 15 दिन तक नीम का प्रयोग काली मिर्च व मिश्री के साथ मिलाकर करने से सालभर त्वचा रोग उत्पन्न नहीं होते।
नीम और पीपल ही ऐसे वृक्ष है जो 100% आक्सीजन इस संसार को प्रदान कर रहे हैं।
आयुर्वेद गृंथो में नीम को अनेक नामो से संबोधित किया है जैसे अरिष्टक, पीचुमर्द, हींगुनिर्यास ।
नीम के अन्दर जरा को रोकने की अद्भुत क्षमता है, इसमें कई सारे एन्टी औक्सिडेंट पाये जाते हैं जिनमें चर्म रोगों व त्वचागत विकारो में यह लाभदायक सिद्ध होता है।
गुडीपडवा पर्व से लगातार 15 दिन तक नीम का 10gmमात्रा में काली मिर्च और मिश्री 5-5 नग मात्रा में प्रयोग कल्क रुप में त्वचागत विकारो में लाभ प्रदान करता है। चीरयुवा बनाने में मदद करता है।
इसके अन्दर पाये जाने वाले विटामिन व फेट्टी एसीड त्वचा का लचीलापन बनाये रखने में सहायता प्रदान करते हैं। इसी कारण से आपकी त्वचा सदा तरोताजा, युवा, चमकदार दिखाई देती है।
आधुनिक युग के आचार्यो के द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि नीम में एन्टी फंगल व एन्टी बैक्टीरियल प्रोपर्टी पायी जाती है।
नीम और पीपल के पत्तो के क्वाथ का प्रयोग किडनी रोगों में भी लाभ प्रदान करता है।
नीम के पत्तो से धूपन कर्म द्वारा मच्छरों को भगाने की पुरानी परंपरा रही है। अनाज को सुरक्षित रखने के लिए भी नीम का प्रयोग आदि काल से किया जा रहा है।
डॉ प्रकाश जोशी
चर्म रोग निवारण इकाई
शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय उज्जैन (म. प्र.)
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