भारत योग एवं वेदांत पर विशिष्ट व्याख्यान एवं अनुभव अभियान का उद्घाटन संपन्न
उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी, वाराणसी द्वारा भारत योग एवं वेदांत विषय पर विशिष्ट व्याख्यान दिया गया। इस अवसर पर उनके द्वारा अनुभव अभियान का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि युवा चेतना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक श्री रोहित कुमार सिंह थे। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी, वाराणसी ने अपने व्याख्यान में कहा कि जब तक जीवन में अनुभव नहीं होगा, तब तक सच्चा ज्ञान उत्पन्न नहीं होगा। भारत भूमि में जन्म लेना दुर्लभ है और उस पर भी मनुष्य के रूप में जन्म लेना और अधिक महत्वपूर्ण है। भगवत तत्व के माध्यम से जीवन में परिवर्तन संभव है। योग अनुभवजन्य है, जिसके माध्यम से ज्ञान चक्षु खुलते हैं। इसी से मोक्ष प्राप्ति संभव है। भारत ऋषियों और तपस्वियों का देश है। भगवत् तत्व और योग की व्याख्या भारत में की गई है। भारत भूमि त्याग, तर्पण, दर्शन और ध्यान की भूमि है।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि कोरोना काल में लोगों ने योग के महत्व को समझा। योग के माध्यम से शांति की प्राप्ति संभव है। स्वामी विवेकानंद ने विश्व पटल पर भारतीय दर्शन की महिमा को प्रतिष्ठित किया। योग और अध्यात्म हमें आत्मानुशासन सिखाते हैं।
श्री रोहित कुमार सिंह, नई दिल्ली ने कहा कि योग चित्त को पवित्र करता है। वह ईश्वर के समीप ले जाने का मार्ग दिखाता है। एक बार व्यक्ति वेदांत के रस का स्वाद चख लेता है तो फिर उसे किसी अन्य प्रकार के आस्वाद की आवश्यकता नहीं रहती। योग के माध्यम से इंद्रियों को काबू में लाया जा सकता है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक एवं कला संकायाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रास्ताविक वक्तव्य में प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि वेदांत भारतीय दर्शनों का मुकुट मणि है, जिसके माध्यम से जगत् और जीवन की व्याख्या सम्भव है। योग और वेदांत विश्व सभ्यता को भारत की अनुपम देन है।
मुख्य वक्ता स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी को पुष्पगुच्छ, ग्रंथ, श्रीफल और स्मृति चिन्ह अर्पित कर उनका सम्मान किया गया। अनुभव अभियान के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति अपने अनुभव युवाओं को सुनाएंगे।
प्रारंभ में स्वागत भाषण दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष एवं विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने किया।
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