केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के भोपाल में 48वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया
- मोदी सरकार ने कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में ड्रग्स व हथियारबंद समूहों जैसी तीन समस्याओं के स्थाई समाधान की ओर बहुत बड़ी सफलता हासिल की है
- कई हथियारबंद समूह हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं,धारा 370 ख़त्म होने के बाद कश्मीर में नया उत्साह,उमंग और विकास के एक ऩए युग की शुरूआत हुई
- ये परिवर्तन इसीलिए आया है कि समस्या का विश्लेषण और उसे समझ कर, इसके उपायों की गहन चर्चा कर एक रणनीति के आधार पर काम हुआ है
- सभी पुलिस विभागों में 10 साल की पुलिस रणनीति और इसकी सालाना समीक्षा की प्रथा को इंस्टीट्यूश्नलाइज़ करना चाहिए
- ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि अब इस प्रकार के अपराध होने लगे हैं जिनसे पुलिस के मॉडर्नाइज़ेशन, ट्रेनिंग, राज्य पुलिस के बीच समन्वय, राज्य के बाहर पुलिस के बीच समन्वय और तकनीक को आत्मसात किए बिना लड़ पाना संभव नहीं है
- देशभर की पुलिस को एकवाक्यता और एक-दूसरे के साथ सामंजस्य से काम करना होगा
- “डाटा नया विज्ञान है और बिग डाटा में सभी समस्याओं का समाधान है” इस वाक्य को देशभर की पुलिस ने आत्मसात करना चाहिए
- पुलिस अपराधी से दो क़दम आगे रहे और इसके लिए पुलिस को भी आधुनिक, टेक-सेवी बनना होगा
- मोदी सरकार में आतंकवाद पर हमारी सुरक्षा ऐजेंसियों का कमांडिग वर्चस्व दिखाई देता है
- प्रोसेस और परफेक्शन सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं मगर सफलता केवल पैशन से ही आ सकती है और इस जज्बे को पुलिस बल में नीचे कांस्टेबल तक निर्माण करना चाहिए
- क़ानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसीलिए पुलिस राज्य की चुनी हुई सरकार के निर्देशन में चलती है, ऐसे में बहुत बड़ी चुनौती एकसमान रिस्पॉंस है
- अगर राज्य की पुलिस आइसोलेशन में काम करती है तो इन सब चुनौतियों का हम ठीक से सामना नहीं कर पाएंगे
- अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस और डीजी कांफ्रेंस जैसी बैठकों और व्यवस्था के माध्यम से राज्य यहां मिलकर अपने क्षेत्र विशेष की समस्याओं की चर्चा कर एकसमान नीति बना सकते हैं
- आज विश्व में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है, आज हमारे पास Democracy, Demographic Dividend, Demand, & Decisiveness और भारत की Destiny को बदलने वाला हमारा नेता भी है
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की है, गृह मंत्रालय ने इसका ख़ाका बना लिया है जिसे हम BPR&D के ज़रिए राज्यों की पुलिस को भी सुझाव के लिए भेजेंगे, इसके माध्यम से देशभर की पुलिस एक ही प्रकार के उपकरणों और तकनीक से सुसज्जित हो सकेगी
- पुलिस विज्ञान के दो पहलू हैं - साइंस फ़ॉर पुलिस और साइंस ऑफ़ पुलिस, इन दोनों पर विचार करने से ही हम देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएंगे
- साइंस ऑफ पुलिस के लिए हमें मेडिकल साइंस, फॉरेंसिक साइंस, मैनेजमेंट साइंस, आर्म साइंस और कम्युनिकेशन साइंस के उपयोग को आगे बढ़ाना होगा
- अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग का युग अब समाप्त हो गया है, अब नॉलेज- बेस्ड, एविडेंस- बेस्ड और तर्क के आधार पर पुलिसिंग करनी पड़ेगी और हमें इसमें पुलिस के साइंस को भी बदलना पड़ेगा
भोपाल । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज 22 अप्रैल 2022 को मध्य प्रदेश के भोपाल में 48वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा और श्री निशिथ प्रमाणिक, BPR&D के महानिदेशक श्री बालाजी श्रीवास्तव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का पूरे देश की पुलिसिंग में दो दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। एक समान चुनौतियों से निपटने के लिए देशभर की पुलिस के बीच समन्वय और दूसरा अपराधियों से दो कदम आगे बने रहने के लिए तकनीक का उपयोग। हमारे संविधान में पुलिस को राज्य का विषय़ माना गया है और संविधान बनने से लेकर आज तक देश की पुलिस के सामने कई बड़ी चुनौतियां आई हैं क्योंकि अपराध की दुनिया में नए-नए आयाम भी जुड़ गए हैं। इसमें कुछ ऐसी चीज़ें सामने आई हैं जिसमें देशभर की पुलिस को एकवाक्यता और एक-दूसरे के साथ सामंजस्य से काम करना होगा अन्यथा इन चुनौतियों का सामना संभव नहीं है। दूसरी ओर, चूंकि क़ानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसीलिए पुलिस राज्य की चुनी हुई सरकार के निर्देशन में चलती है। ऐसे में बहुत बड़ी चुनौती एकसमान रिस्पॉंस की है। उदाहरण के लिए उत्तरपूर्व के आठ राज्यों में अलग-अलग सरकारें हैं और अलग-अलग पुलिस है, लेकिन उनके सामने एक समान चुनौती हथियारबंद समूहों की है। वामपंथी उग्रवाद वाले क्षेत्र में अलग-अलग राज्य हैं लेकिन चुनौती एकसमान है। ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए समन्वय, नीति और एकवाक्यता की ज़रूरत है, अगर राज्य की पुलिस आइसोलेशन में काम करती है तो इन सब चुनौतियों का हम ठीक से सामना नहीं कर पाएंगे। संविधान को बदलने की ज़रूरत नहीं है लेकिन अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस और डीजी कांफ्रेंस जैसी बैठकों और व्यवस्था के माध्यम से कुछ राज्य मिलकर यहां अपने क्षेत्र विशेष की समस्याओं की चर्चा करके एकसमान नीति बना सकते हैं। उन्होने कहा कि देशभर की पुलिस के सामने ड्रग्स, हवाला ट्रांस्जेक्शन और साइबर फ्रॉड जैसी कुछ एकसमान चुनौतियां हैं। इनके ख़िलाफ़ विचार-विमर्श, साझा रणनीति और एकवाक्यता के साथ काम करने के लिए पुलिस विज्ञान कांग्रेस एक आदर्श फ़ोरम है। BPR&D के तत्वाधान में होने वाली ऐसी बैठक इन कमियों को अच्छे तरीक़े से दूरकर एकसमान चुनौतियों का सामना करने के लिए देशभर की पुलिस को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाती है। गृह मंत्री ने BPR&D से आग्रह किया कि वह अपने कार्यक्रमों और सत्रों की रचना, समान चुनौतियों का सामना करने के लिए देशभर की पुलिस की एक रणनीति को ध्यान में रखकर बनाए।
श्री अमित शाह ने कहा कि अपराधी दुनियाभर की नई तकनीक से लैस होते जा रहे हैं और ये बहुत ज़रूरी है कि पुलिस अपराधी से दो क़दम आगे रहे और इसके लिए पुलिस को भी आधुनिक, टेक-सेवी बनना होगा और तकनीक के उपयोग का बीट तक परकोलेशन करना होगा। जब तक कॉंस्टेबल और हेड कॉंस्टेबल तक तकनीक का उपयोग नहीं पहुंचता तब तक हम नए प्रकार के अपराधों के ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकते। इसके लिए भी BPR&D ने एक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराया है। इन दोनों उद्देश्यों से पुलिस कांग्रेस का महत्व भी है और इसके बिना हम देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर सकते।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पिछले 8 साल में कश्मीर,वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में नारकोटिक्स और हथियारबंद समूहों जैसी तीन समस्याएँ जो कई सालों से आंतरिक सुरक्षा के लिए ख़तरा बनी हुई थीं उन्हे बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से अड्रेस करते हुए इनके समाधान में बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। कई हथियारबंद समूह हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं,धारा 370 ख़त्म होने के बाद कश्मीर में ऩए उत्साह,उमंग और विकास के एक ऩए युग की शुरूआत हुई और आज आतंकवाद पर हमारी सुरक्षा ऐजेंसियों का कमांडिग वर्चस्व दिखाई देता है, साथ ही वामपंथी उग्रवाद भी समाप्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ये परिवर्तन इसीलिए आया है कि समस्या का विश्लेषण और उसे समझ कर, इसके उपायों की गहन चर्चा करके एक रणनीति के आधार पर काम हुआ है। उन्होने कहा कि सभी पुलिस विभागों में 10 साल की पुलिस रणनीति और इसकी सालाना समीक्षा की प्रथा को इंस्टीट्यूश्नलाइज़ करना चाहिए। ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि अब इस प्रकार के अपराध होने लगे हैं जिनसे पुलिस के मॉडर्नाइज़ेशन, ट्रेनिंग, राज्य में पुलिस के बीच समन्वय, राज्य के बाहर पुलिस के बीच समन्वय और तकनीक को आत्मसात किए बिना लड़ पाना संभव नहीं है। उन्होने कहा कि देशभर की पुलिस को “डाटा नया विज्ञान है और बिग डाटा में सभी समस्याओं का समाधान है” वाक्य को आत्मसात करना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि मोदी जी ने इसके लिए पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की है, गृह मंत्रालय ने इसका एक ख़ाका बना लिया है जिसे हम BPR&D के ज़रिए राज्यों की पुलिस को भी सुझाव के लिए भेजेंगे। इसके माध्यम से देशभर की पुलिस एक ही प्रकार के उपकरणों और तकनीक से सुसज्जित हो सकेगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं,लेकिन उनका बहुत ज़्यादा उपयोग नहीं हो रहा है। हमें डेटा इकट्ठा करने से संतोष नहीं होना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस पर कभी नो एक्शन और कभी एक्स्ट्रीम एक्शन का आरोप लगता है, लेकिन हमें स्वाभाविक प्रतिक्रिया की आदत डालनी चाहिए और वह तभी हो सकता है जब व्यक्ति सिस्टम पर निर्भर हो ना कि सिस्टम व्यक्ति पर। उन्होंने कहा कि पुलिस विज्ञान के दो पहलू हैं - साइंस फ़ॉर पुलिस और साइंस ऑफ़ पुलिस। इन दोनों पर विचार करने से ही हम देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएंगे। श्री शाह ने कहा कि आज विश्व में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है, आज हमारे पास Democracy, Demographic Dividend, Demand, & Decisiveness और भारत की Destiny को बदलने वाला हमारा नेता भी है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे 16 हज़ार से ज़्यादा पुलिस स्टेशन ऑनलाइन हो चुके हैं। सीसीटीएनएस (CCTNS) द्वारा नौ सेवाओं को राज्यस्तर पर उपलब्ध कराया गया है और अब इन्हें पॉपुलर बनाना ज़रूरी है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सीसीटीएनएस की सभी नौ सिटीज़न सेवाओं को हर थाने तक पहुंचाने का काम देशभर की पुलिस को करना चाहिए। सभी एफ़आईआर और डेटा पर स्टडी करने के लिए आतंकवादरोधी दस्ते को सक्रिय करना चाहिए, नारकोटिक्स के मामलों में एनसीबी को डेटाबेस तैयार करने के लिए कहा गया है और इंटरओप्रेटेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में भी काफी डाटा तैयार हुआ है, साथ ही यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीएसओ) भी तैयार किया है। साइंस ऑफ पुलिस के लिए हमें मेडिकल साइंस, फॉरेंसिक साइंस, मैनेजमेंट साइंस, आर्म साइंस और कम्युनिकेशन साइंस के उपयोग को आगे बढ़ाना होगा। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की स्थापना कर दो बड़े कदम उठाए हैं, अब तक नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के 7 राज्यों में एफिलिएटिड कॉलेज खुल गए हैं। सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों से अनुरोध है कि वे अपने राज्य में दोनों यूनिवर्सिटी के एफिलिएटिड कॉलेज का आग्रह राज्य सरकार को करें, जिससे आपको पुलिस के क्षेत्र में एक्सपर्ट्स उपलब्ध हों। श्री शाह ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग का युग अब समाप्त हो गया है। अब नॉलेज- बेस्ड, एविडेंस- बेस्ड और तर्क के आधार पर पुलिसिंग करनी पड़ेगी और इसमें हमें पुलिस के साइंस को भी बदलना पड़ेगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि BPR&D एक मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो बना रहा है और इसका उपयोग भी आने वाले दिनों में बहुत अच्छे से हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कानूनी सुधार का इनीशिएटिव भी लिया है। कैदियों की शिनाख्त के लिए नया विधेयक अभी संसद में पारित किया इसको अभी लागू करना है। मॉडल जेल अधिनियम आपको भेजा है इसको लागू करना है, एफसीआरए के कठोर अनुपालन के लिए कानून बनाए गए हैं। हम सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट में भी सुधार ला रहे हैं। नारकोटिक्स की कोऑर्डिनेशन बैठक का जिम्मा राज्यों के पुलिस मुखियाओं को दिया गया है। हैकाथॉन आयोजित कर समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रोसेस और परफेक्शन सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है मगर सफलता केवल पैशन से ही आ सकती है। हमारा दायित्व पैशन का जज्बा पुलिस बल में नीचे तक ले जाने का है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सदी की सबसे भीषण कोरोना महामारी का सामना देश और दुनिया ने किया है। दुनियाभर में लाखों लोगों की मृत्यु हुई और कोरोना के समय देश में लगभग 4 लाख से अधिक पुलिस और सीएपीएफ कर्मी संक्रमित हुए, 2700 से ज़्यादा जवानों की मृत्यु भी हुई। ऐसे समय देश की जनता के सामने पुलिस का मानवीय चेहरा आया और आपदा के समय पुलिस क्या कर सकती है सभी बलों ने उसके एक उत्कृष्ट और सराहनीय उदाहरण का प्रदर्शन किया। मैं ड्यूटी निभाते हुए प्रथम पंक्ति में महामारी का सामना करते हुए अपने प्राण गंवाने वाले 2712 जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ।
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