विक्रम विश्वविद्यालय में जैवविविधता संरक्षण पर केंद्रित विशेष आयोजन और राष्ट्रीय संगोष्ठी 23 - 24 मई को विक्रम विश्वविद्यालय में
उज्जैन। प्राणिकी एवं जैवद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के अवसर पर 23-24 मई 2022 को राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं जैवविविधता से संबंधित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
विश्व में मिलने वाली जैवविविधताओं में से लगभग 40 प्रतिशत भारत में पाई जाती है। किसी भी देश की आर्थिक प्रगति के लिए जीव-जन्तु तथा वनस्पतियाँ बहुत ही उपयोगी हैं। प्रकृति के निर्माण और उसको बनाये रखने में जैवविविधिता की अहम भूमिका रहती है। जैवविविधिता का विनाश ओजोन परत में छिद्र, हरित गृह प्रभाव के कारण वातावरण में गर्मी का बढ़ना इत्यादि पर्यावरणीय समस्याएँ बढ़ती जा रही है। भारत में सतत विकास की दृष्टि से जैवविविधता का संरक्षण किया जाना आवश्यक है। अतः अध्ययरत विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को जैवविविधिता की उपयोगिता एवं उनके संरक्षण की जानकारी से परिचित कराया जाना आवश्यक है। इस दृष्टि से प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। दिनांक 23 मई 2022 को हायर सेकण्डरी एवं बी.एससी. के विद्यार्थियों के लिए प्रश्न मंच (क्विज) प्रतियोगिता का आयोजन तथा 24 मई 2022 को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ. शिवी भसीन एवं डॉ. गरिमा शर्मा ने बताया कि हायर सेकण्डरी एवं बी एससी के विद्यार्थी साइन्टिफिक क्विज तथा सेमिनार (जैवविविधिता से सम्बंधित) दोनों प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं। प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों को प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार दिये जायेंगे। समस्त विद्यार्थी जो प्रतियोगिता में भाग लेंगे, उन्हें सर्टीफिकेट प्रदान किए जाएँगे। प्रााणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. सलिल सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को जैवविविधता संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
प्रो० अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने विद्यार्थियों में जैवविविधता के संरक्षण की भावनाओं को विकसित करने के उद्देश्य से समय समय पर इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने हेतु निर्देशित किया है, जो विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगा।
डॉ. प्रशान्त पुराणिक, कुलसचिव, विक्रम, विश्वविद्यालय ने जैवविविधता से सम्बंधित इस कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताया तथा विद्यार्थियों से भाग लेने की अपील की है।
डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय ने बताया कि यह कार्यक्रम प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों को जैवविविधता की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से उपयोगी होगा।
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