उज्जैन। देश में हो रहे राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन आवश्यक है। भारतीय एवं विश्व परिप्रेक्ष्य में शिक्षा में नवाचार एवं नूतन आयामों की आवश्यकता है। भारत सरकार द्वारा लागू की गयी नई शिक्षा नीति को सर्वप्रथम माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान एवं माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव के प्रयासों से सर्वप्रथम मध्य प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में क्रियान्वित किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति को अंगीकृत करते हुए शिक्षा व्यवस्था में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक एवं रचनात्मक दृश्टिकोण को अंगीकृत किया गया है। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था में लिंग भेद निवारण, संवेदीकरण एवं सामाजिक समानता आदि के अवरोधों को समाप्त करते हुए एक उत्कृष्ट शैक्षणिक व्यवस्था की झलक दिखाई देती है। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्यक्रमों में प्रोजेक्ट तथा शोधपरक नवाचारों का समावेश है। विद्यार्थियों के कौशल विकास हेतु कई डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गए हैं। यह सर्वविदित है कि आर्थिक विकास को निर्धारित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आवश्यक है, जिसको ध्यान में रखते हुए विक्रम विश्विद्यालय द्वारा जैव प्रौद्योगिकी, डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डाटा सिक्योरिटी, साइबर लॉ, फार्मेसी, एग्रीकल्चर, फ़ूड साइंस आदि जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों का समावेश विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था में किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दशक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रतिभाओं का भाग लगभग 20 प्रतिशत बढ़ जाएगा।
इस बात को ध्यान में रखते हुए विक्रम विश्वविद्यालय ने अपनी शैक्षणिक व्यवस्था में कई नवीन पाठ्यक्रमों को शामिल करते हुए विद्यार्थियों को कौशल विकास हेतु विकसित करने का प्रयास किया है। समय के साथ प्रौद्योगिकी में लगातार हो रहे बदलाव के कारण हमारे विद्यार्थियों को भी उसके अनुरूप बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ सकें। आज आवश्यकता है, कृषि क्षेत्र में नवाचार की जिसके लिए विश्वविद्यालय ने कृषि में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा मत्स्य तकनीकी, जल संवर्धन तकनीकी, डेरी तकनीकी, फ़ूड तकनीकी जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों में डिप्लोमा प्रारम्भ किया है, जो विद्यार्थियों के स्वर्णिम भविष्य के लिए आवश्यक है।
नई शिक्षा नीति के अनुसार विद्यार्थियों में कौशल विकास एवं आत्मनिर्भरता को विकसित करने के लिए कई डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गए हैं कि अध्ययनरत विद्यार्थियों को एक ही प्रांगण में अधिकतम रोजगारोन्मुखी विषयों में चयन की सुविधा उपलब्ध हो सके। जैसे कि सर्वविदित है कि इस विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र, छात्राएँ, गरीब, किसान एवं ग्रामीण अंचलो से आते हैं, जो कि अन्य बड़े शहरों तथा अन्य राज्यों में स्थित संस्थानों में शिक्षा हेतु आर्थिक रूप से असमर्थ है, अतः इन परिस्थितियों में ऐसे ग्रामीण छात्रों की मंशा के अनुरूप विभिन्न विषयों का समावेश विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में भी कराया जाना विक्रम विश्वविद्यालय की नैतिक जवाबदारी है।
शैक्षणिक व्यवस्था में नवाचार एवं शोधपरक उत्कृष्ट शिक्षा के परिणामस्वरूप विक्रम विश्वविद्यालय में अध्ययनरत कई विद्यार्थियों ने इस वर्ष लगभग बीस से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद जैसे हर्बल क्रीम, हर्बल टोनर, हर्बल चाय, हर्बल चॉकलेट, प्रोटीन पाउडर, विटामिन सी सप्लीमेंट, फ्लोर क्लीनर, लॉन मूवर, स्क्रैप टायर फर्नीचर, डिजिटल और एल. इ. डी. डिस्प्ले आदि का निर्माण किया है। विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र को होम सर्वे स्टार्ट अप के लिए एक लाख रुपये सीड मनी माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान द्वारा दिए गए। अब तक विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा 12 से अधिक स्टार्ट अप तथा 14 से अधिक पेटेंट कराये गए।
विश्वविद्यालय में लगातार आयोजित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, कार्यशाला, महत्वपूर्ण दिवसों पर आयोजन, विशिष्ट व्याख्यान, शोध पत्रों के प्रकाशन, पेडों की बार कोडिंग, अनुसन्धान परियोजनाओं का संचालन, देशी एवं विदेशी संस्थाओं से एम ओ यू, लैब टू लैंड योजना का क्रियान्वयन, करियर काउन्सलिंग शिविर एवं जॉब फेयर का आयोजन इस बात के सूचक हैं कि गत एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने रोजगार पाने वाले नहीं, बल्कि रोजगार सर्जकों का निर्माण करने की कोशिश की है। इस एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने अपने रचनात्मक और उर्जात्मक शक्तियों को बढ़ाते हुए उत्कृष्टता के आयामों को छूने का प्रयास किया है और श्री कृष्ण की इस शिक्षा स्थली अवंतिका को पुनः अपने मूल स्वरूप में ले जाने का प्रयास किया है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि हमारा प्रयास है कि यहाँ अध्ययनरत विद्यार्थी रोजगार के याचक नहीं, बल्कि रोजगार के सृजनकर्ता बनें। इसके लिए विश्वविद्यालय में इन्क्यूबेशन सेण्टर की स्थापना की है, जहाँ पर विद्यार्थियों को स्टार्टअप प्रारम्भ करने के लिए प्रशिक्षण, शासकीय योजनाओं की जानकारी तथा रोजगार यूनिट स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट निर्माण एवं अन्य तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। विश्वविद्यालय का प्रयास है कि विद्यार्थियों में कौशल विकास द्वारा उन्हें स्वावलम्बी एवं स्वाभिमानी बनाते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहयोगी बन कर देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेंगे।
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