Skip to main content

अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन महानंदा नगर शाखा का शपथ विधि समारोह संपन्न

उज्जैन। अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन महानंदा नगर शाखा का शपथ विधि समारोह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती सुमन मूंदड़ा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। शपथ पदाधिकारी के रूप में श्रीमती मूंदड़ा ने नवनिर्वाचित शाखा अध्यक्ष डॉक्टर रुचिका खंडेलवाल, शाखा सचिव श्रीमती शीला पंचायती, शाखा कोषाध्यक्ष श्रीमती वर्षा गुप्ता व शाखा के सभी कार्यकारिणी समिति प्रमुख सदस्यों को शपथ दिलाई । श्रीमती मूंदड़ा ने  अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि, सभी को साथ लेकर चलें, राष्ट्र व प्रांतों से आए प्रकल्प के ऊपर कार्य करें, शाखा के स्थाई प्रोजेक्ट हामूखेड़ी में गोद लिए स्कूल के कार्य की प्रशंसा की और उन्होंने कहा कि, अनेकता में एकता आप की शाखा की पहचान है जिसे हमेशा बनाए रखना।

स्वागत भाषण निवर्तमान अध्यक्ष श्रीमती माधुरी सोलंकी ने दिया । शिव स्तुति की प्रस्तुति श्रीमती तरू श्री मेहता ने दी। देश भक्ति गीत पर श्रीमती वंदना तिवारी ने प्रस्तुति दी ।

आगामी प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती राजकुमारी बागड़ी ने अपने उद्बोधन में संस्था को आगे बढ़ाने, मध्य प्रदेश का नाम राष्ट्र में गौरवान्वित करने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया। शाखा अध्यक्ष रुचिका खंडेलवाल ने आने वाले 2 वर्षों में की जाने वाली सेवा गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और सभी का आशीर्वाद और विश्वास हमेशा उनके साथ रहे इसी बात की कामना की । गत वर्ष किए गए कार्यों व प्रतियोगिता के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए। बेलपत्र के पौधे को स्मृति चिन्ह के रूप में दिया गया।

 
इस अवसर पर संस्था के सभी सदस्य श्रीमती वर्षा गर्ग, श्रीमती मीनाक्षी विजयवर्गीय, श्रीमती पुष्पा खंडेलवाल, श्रीमती अल्केश विजयवर्गीय, श्रीमती वंदना दुबे, श्रीमती कविता खंडेलवाल, श्रीमती कंचन खंडेलवाल, श्रीमती कामिनी जाधव, श्रीमती भारती नेमा, श्रीमती मंजू गुप्ता, श्रीमती शोभा सिंघल, श्रीमती ममता बाहेती उपस्थित थी । कार्यक्रम का संचालन श्रीमति संध्या सारडा व श्रीमती तरु श्री मेहता ने किया। आभार श्रीमती सीमा गुप्ता ने माना।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...