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पलायन और विस्थापन की पीड़ा हृदय विदारक होती है - श्री सी. पी. शर्मा

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर कार्यक्रम

भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस संदर्भ में एनआईटीटीटीआर, भोपाल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उन परिवारों ने अपने संस्मरण साझा किये जिन्होंने बिभाजन का दर्द झेला था। श्रीमती शोभा लेखवानी ने कहा कि उनके दादा-दादी, नाना-नानी विभाजन के चश्मदीद गवाह थे। उन्हें आज़ादी की खुशी के साथ दर्द मिला था जो सिन्ध प्रांत से आकर अपने ही देश में शरणार्थी बन गये थे। उन्होंने उनकी दर्दनाक कहानी सुनाई जिससे सभागार में उपस्थित लोगों की आंखे नम हो गयी।

निटर, भोपाल के पूर्व प्राध्यापक प्रो. जी. टी. लाला जिनका परिवार आजादी के बाद सिंध से विस्थापित हुआ था ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका परिवार भी पाकिस्तान छोड़कर भारत आया था। पूरे देश में अफरातफरी का माहौल था। हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के लोग अपने सुरक्षित भविष्य की तलाश में बॉर्डर क्रॉस कर रहे थे। बड़ी मुश्किल से जान बचाकर यह परिवार जहाज के द्वारा बॉम्बे पहुंचा फिर बैतूल आकर अपनी जीविका के लिए संघर्ष किया।

निटर, भोपाल के अध्यक्ष संचालक मंडल श्री सी. पी. शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि पलायन और विस्थापन की पीड़ा हृदय विदारक होती है। देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक विभाजन हो चुका आगे और नफरत की रेखाऐं नहीं खिचना चाहिए। तिरंगे के नीचे ही हमारी प्रगति संभव है। हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ विभाजन की विभीषिका दिवस को जोड़कर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है एवं इस विषय पर खुलकर चर्चा करने का अवसर भी प्रदान किया है । 

इस अवसर पर निटर, भोपाल के प्रभारी निर्देशक प्रो. ए.के. जैन, प्रो. सुब्रत राय प्रो अस्मिता खजांची सहित संकाय सदस्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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