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बायोटेक्नोलॉजी विषय में डिग्री लेने के उपरांत रोजगार की हैं असीम सम्भावनाएँ

जिज्ञासु, रोजगारपरक एवं रोजगारजनक विषय पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थी बायोटेक्नोलॉजी विषय का अध्ययन कर बन सकते हैं बायोटेक्नोलॉजिस्ट, पाएंगे रोजगार के अपार अवसर

उज्जैन। बायोटेक्नोलॉजी बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी के संयोग से बना है। अर्थात बायोटेक्नोलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जिसमे बायोलॉजी पर टेक्नीक का उपयोग किया जाता है। बायोटेक्नोलॉजी में समस्त जीव विज्ञान के विषय जैसे प्राणिविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान आदि का समन्वय होता है।

बायोटेक्नोलॉजी में उपलब्ध पाठ्यक्रम : बायोटेक्नोलॉजी विषय का चयन आज के समय में कक्षा  दसवीं  के बाद ही  किया जा सकता, इस क्षेत्र में इसके उपरांत बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी, एम. एससी. बायोटेक्नोलॉजी एवं पीएच. डी. बायोटेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रम उपलब्ध है। बायोटेक्नोलॉजी एक मास्टर विषय है इसलिए, किसी भी क्षेत्र में जैसे, वेटेनरी, मेडिकल, जैव रसायन, माइक्रोबायोलॉजी, फॉरेंसिक, प्राणीशात्र, वनस्पति शास्त्र, फ़ूड टेक्नोलॉजी आदि विषयो में भी स्नातकोत्तर करने के लिए स्वतंत्र होंगे तथा इन्ही क्षेत्रों में रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं।

बायोटेक्नोलॉजी विषय में प्रवेश लेने के लिए पात्रता:  बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी PCM/PCB में सामान्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अंकों से 10+2 में उत्तीर्ण होना चाहिए तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए 5 प्रतिशत की छूट रहेगी। एम. एससी. बायोटेक्नोलॉजी में प्रवेश के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत से बी. एससी. जीव विज्ञान के किसी भी विषय में उत्तीर्ण होने चाहिए तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 5 प्रतिशत प्रतिशत की छूट रहेगी।

बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर: बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी एवं ऍम. एससी. बायोटेक्नोलॉजी, पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने के पश्चात् विद्यार्थी कई क्षेत्र में कार्यरत हो सकते हैं। जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के वैज्ञानिक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् में वैज्ञानिक, जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान परिषद् की प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक, भारतीय आयुर्विज्ञान (मेडिकल साइंस)/चिकित्सा संस्थान में वैज्ञानिक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक, स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्त, महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय में प्राध्यापक/ सहप्राध्यापक, पर्यावरण एवं वन विभाग में वैज्ञानिक, प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड में वैज्ञानिक एवं तकनिकी सहायक के रूप में, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री/ फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री/ एग्रीकल्चर इंडस्ट्री आदि में क्वालिटी कंट्रोल में, अन्य इंडस्ट्री जैसे वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट तथा सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट की इंडस्ट्री में वैज्ञानिक के रूप में खाद्य प्रौद्योगिकी इंडस्ट्री, खाद्य विभाग विभिन्न राज्य एवं केंद्र सरकार।

विक्रम विश्वविद्यालय में संचालित बायोटेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रम: विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में संचालित होने वाले पाठ्यक्रमों में बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी एवं ऍम.. एससी. बायोटेक्नोलॉजी, पाठ्यक्रम सम्मिलित है। बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी मध्य प्रदेश का एक मात्र संचालित पाठ्यक्रम है, जो विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने में सहायक है। बी. एससी. (ओनर्स) बायोटेक्नोलॉजी एवं इन पाठ्यक्रमों को उत्तीर्ण करने के पश्चात् विद्यार्थी कई क्षेत्र में कार्यरत हो सकते है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विद्यार्थियों को स्वर्णिम अवसर भविष्य में उपलब्ध होंगे। यह एक ऐसा व्यापक विषय है जिसका वर्त्तमान दशक में वैश्विक मांग अनेक क्षेत्र में बढ़ेगी तथा विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। विश्व की कई प्रयोगशालाओं में ऑर्गन निर्माण तथा बहुमूल्य प्रोटीन एवं एंजाइम का निर्माण एनिमल, प्लांट्स एवं सूक्ष्म जीवों से औद्योगिक स्तर पर किये जा रहे है। अतः औद्योगिक क्षेत्र में भी विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय का प्राचीनतम संस्थान है, जो कि प्रोफेसर हरस्वरूप (विश्वविख्यात वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर) के द्वारा प्रारम्भ किया गया था। यह विभाग उच्च गुणवत्ता की शिक्षा एवं अनुसन्धान के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर पर्याप्त लाइब्रेरी एवं लेबोरेटरी सुविधाएं, मोर्डर्न इंस्ट्रूमेंट्स सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।



प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर बायोटेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम करने के बाद युवा जीवविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।  ऐसे युवा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।


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