विश्वविद्यालय की कीर्ति पताका को आगे बढ़ाने में अविस्मरणीय योगदान दिया प्रो मिश्र ने - उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव
विक्रम कीर्ति मंदिर में आयोजित सम्मान पर्व में किया गया पूर्व कुलपति प्रो मिश्र का सारस्वत सम्मान
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार में संस्था अश्विनी शोध संस्थान द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय एवं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र का सारस्वत सम्मान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विशिष्ट अतिथि संस्था नवसंवत नव विचार के अध्यक्ष डॉ योगेश शर्मा थे। पूर्व कुलपति प्रो मिश्र को साफा बांधकर, शॉल, श्रीफल एवं सम्मान पत्र अर्पित कर उनका सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय की कीर्ति पताका को आगे बढ़ाने में पूर्व कुलपति प्रो मिश्र का अविस्मरणीय योगदान रहा है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में कार्य किया। अपने पुरुषार्थ और प्रतिभा से उन्होंने अपना लोहा मनवाया। विश्वविद्यालय के साथ नगर को एक रस करने का प्रयास उन्होंने किया।
कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि समाज के साथ शिक्षा का रिश्ता जरूरी है। प्रो मिश्र ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में जिन्हें अवसर दिए, उन्हें अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र ने कहा कि हमें अपने प्रेरणा पुरुषों को सदैव याद रखना चाहिए। विश्वविद्यालय के सभी पक्ष मिलकर इसे नई ऊर्जा देने का प्रयास करें।
इस अवसर पर प्रो मिश्र के विविध आयामी अवदान पर राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो गोपाल कृष्ण शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी श्री रमेश साबू, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, व्यंग्यकार डॉ पिलकेंद्र अरोरा, डॉक्टर स्वाति दुबे, रतलाम आदि ने प्रकाश डाला।
सम्मान पत्र का वाचन डॉ रमण सोलंकी ने किया। अतिथियों का स्वागत कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह, कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, डॉ रमण सोलंकी, डॉ संदीप नागर, डॉ किरण रमण, श्री हेमंत शर्मा, डॉ अजय शर्मा आदि ने किया। कार्यक्रम में नगर की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, शिक्षाविद और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
स्वस्तिवाचन डॉ सर्वेश्वर शर्मा, डॉ महेंद्र पंड्या एवं पुरोहितगण ने किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर विश्वास तिवारी ने किया। आभार प्रदर्शन अश्विनी शोध संस्थान के निदेशक डॉ आर सी ठाकुर ने किया।
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