- प्रदेश में मेडिकल, इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम हिन्दी में भी लागू होंगे
- उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव हिन्दी ग्रंथ अकादमी स्वर्ण जयन्ती वर्ष के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुए

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां वाग्देवी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की। अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक, प्राचार्य श्री अर्पण भारद्वाज, डॉ.रमण सोलंकी, श्री राकेश ढंड, श्री रामविश्वास कुशवाह आदि ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह, शाल, श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।
विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में अनुमानित दो करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित सम्राट विक्रमादित्य इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस भवन का उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल, कुलसचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक, श्री गोविन्द प्रसाद शर्मा, श्री राजेश कुशवाह, श्री उमेश कुमार सेंगर आदि की उपस्थिति में लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.रामराजेश मिश्र सहित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, कुल सचिव, कुलपति, छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया और अन्त में आभार श्री रामविश्वास कुशवाह ने प्रकट किया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने विक्रम कीर्ति मन्दिर परिसर में विक्रम विश्वविद्यालय के सौजन्य से पुस्तक बिक्री केन्द्र का फीता काटकर शुभारम्भ किया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने सम्राट विक्रमादित्य इंस्टिट्यूट ऑफ हैल्थ साइंस भवन का लोकार्पण किया
पुस्तक बिक्री केन्द्र का शुभारम्भ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय समाज को पाश्चात्य आभा मण्डल से बाहर निकालेगी
स्वर्ण जयन्ती का उद्घाटन सत्र पूर्वाह्न 11 बजे से विक्रम कीर्ति मन्दिर में हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नईदिल्ली के अध्यक्ष डॉ.गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत में पिछले कई वर्षों में सैंकड़ों भाषाएं, बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं। हम एक समृद्ध सुसंस्कृत सभ्यता के उत्तराधिकारी होने के बावजूद यह वेदना का विषय होना चाहिये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय समाज को पाश्चात्य आभा मण्डल से बाहर निकालेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नईदिल्ली द्वारा शीघ्र ही साल के अन्त तक विक्रम विश्वविद्यालय एवं मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के सहयोग से पुस्तक मेले का आयोजन उज्जैन में होगा।
उद्घाटन सत्र के परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल ने कहा कि भाषा के बिना शिक्षा का प्रचार-प्रसार नहीं हो सकता। भाषा से संवेदना उत्पन्न होती है। भाषा मन की मिठास है। भाषा संस्कृति की संवाहक है, भाषा के बिना व्यक्तित्व विकास संभव नहीं है। हिन्दी जन-मानस से विश्व भाषा बन गई है। उद्घाटन सत्र में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि भाषा राष्ट्र का गौरव होती है। व्यक्तित्व की पहचान के लिये विदेशी भाषा अनिवार्य नहीं है। शोधार्थी इस भ्रम को मिटायें कि विदेशी भाषा से ही शोध पहचाना जाता है। पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कुमार सीजी ने कहा कि समाज में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कौशल जीवनशैली मातृ भाषा से ही आती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार भाषा पर जोर दिया गया है।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द योजना के निदेशक डॉ.उमेश कुमार सिंह, यूके नाटिंघम से श्रीमती जय वर्मा, आस्लो नार्वे से डॉ.सुरेशचंद्र शुक्ल ने भी परिसंवाद में अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.रामराजेश मिश्र, प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ.सत्यनारायण शर्मा, श्री राकेश ढंड, डॉ.जफर मेहमूद, डॉ.प्रेमलता चुटेल आदि उपस्थित थे। स्वागत वक्तव्य श्री रामविश्वास कुशवाह ने किया और अन्त में आभार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने व्यक्त किया।
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