उज्जैन। महाकाल लोक लोकार्पण के उपलक्ष्य में विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सारस्वत आयोजनों की शृंखला में संस्कृत,ज्योतिर्विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा भारतीय संस्कृति एवं शिवतत्व पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन के माननीय कुलपति प्रो.विजयकुमार मेनन थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय जी ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रशांत पुराणिक कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय एवं प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने शिव परिवार की समरसता को प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि शिव पर्यावरण के संरक्षक तथा संवर्धक हैं। उन्होंने वक्तव्य के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण से श्रोताओं को अवगत कराया।
मुख्य वक्ता के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो.विजयकुमार मेनन जी ने शिवतत्व पर प्रकाश डालते हुए शिव के विभिन्न रूपों का दार्शनिक दृष्टि से व्याख्यान दिया। इसके अन्तर्गत शिव के त्रिनेत्र स्वरूप का कर्म, उपासना एवं ज्ञान की दृष्टि से शिव की महत्ता का प्रतिपादन किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रशांत पुराणिक कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय ने भारतीय संस्कृति में शिव की महिमा का निरूपण किया। प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय ने कहा कि भारतीय परंपरा और संस्कृति में शिवोपासना और शिव तत्त्व का व्यापक प्रभाव रहा है। प्रो शर्मा ने महाकाल लोक लोकार्पण के अवसर पर आयोजित की जाने वाली सप्तदिवसात्मक व्याख्यानमाला की रूपरेखा विस्तार से प्रस्तुत की।
अतिथियों का स्वागत, माल्यार्पण एवं शब्दों के माध्यम से विभागाध्यक्ष डॉ. डी.डी. बेदिया द्वारा किया गया। साथ ही उन्होंने महाकाल लोक के आलोक में शिवतत्व की महिमा का गुणानुवाद किया।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. आर.शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ. सर्वेश्वर शर्मा, डॉ.विष्णुप्रसाद मीणा, डॉ. रश्मि मिश्रा ने किया।
कार्यक्रम में प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रो.एच.पी. सिंह, प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. एस.के. मिश्रा विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप-दीपन एवं सरस्वती वंदना की गई। अध्ययनशाला की छात्राओं द्वारा कुलगान प्रस्तुत किया गया एवं वेद अध्ययनशाला के छात्रों द्वारा वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोपालकृष्ण शुक्ल ने किया तथा आभार डॉ. महेन्द्र पण्ड्या ने माना।
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