Skip to main content

सरदार पटेल से राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के प्रति सम्पूर्ण समर्पण की प्रेरणा ले युवा पीढ़ी - उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव

लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती पर विक्रम विश्वविद्यालय में मनाया गया राष्ट्रीय एकता दिवस

विक्रम विश्वविद्यालय में रन फॉर यूनिटी के साथ सम्राट विक्रमादित्य मूर्तिशिल्प के समक्ष सरदार पटेल के जीवन प्रसंगों पर केंद्रित प्रदर्शनी लगाई गई

उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि मध्यप्रदेश के माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव थे। अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। इस अवसर पर रन फॉर यूनिटी 31 अक्टूबर को प्रातः 7:00 बजे विक्रम विश्वविद्यालय परिसर स्थित विक्रमादित्य मूर्ति शिल्प से प्रारंभ होकर कोठी महल पहुंची।

कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि भारतरत्न लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी भारत की एकता और अखंडता के आधार स्तंभ रहे हैं। देश के एकीकरण में उनकी अविस्मरणीय भूमिका थी। वे महान स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के सर्जक हैं। उनकी जयंती पर युवा पीढ़ी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के प्रति सम्पूर्ण निष्ठा और समर्पण की प्रेरणा लें।

कार्यक्रम में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और आंतरिक सुरक्षा की शपथ दिलाई गई। उन्होंने सरदार पटेल के राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जैसे महान व्यक्तित्व का स्मरण कर युवाजन राष्ट्रनिर्माण के लिए स्वयं को तत्पर करें। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने सरदार पटेल के राष्ट्र के प्रति समर्पण, जीवन एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम संयोजक निदेशक शारीरिक शिक्षा डॉ वीरेन्द्र चावरे ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। एन सी सी अधिकारी डॉ कनिया मेड़ा, एन एस एस अधिकारी डॉ रमण सोलंकी, डॉ अजय शर्मा एवं अन्य अधिकारी, कर्मचारियों के साथ सैकड़ों छात्र -छात्राओं ने रन फॉर यूनिटी में भाग लिया।

विद्यार्थी कल्याण विभाग, शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर के इस समवेत आयोजन में रन फॉर यूनिटी के साथ साइकिल रैली का आयोजन किया गया। सम्राट विक्रमादित्य मूर्ति शिल्प के समक्ष सरदार पटेल के जीवन प्रसंगों पर केंद्रित प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका अवलोकन बड़ी संख्या में उपस्थित शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने किया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक एवं निदेशक शारीरिक शिक्षा डॉ वीरेन्द्र चावरे ने किया एवं आभार प्रदर्शन विद्यार्थी कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉ एस के मिश्रा ने किया।

इस अवसर पर डॉ प्रदीप लाखरे, डॉ डी डी बेदिया, डॉ शैलेंद्र भारल, डॉ कमलेश दशोरा, डॉ डी के बग्गा, डॉ निश्छल यादव, डॉ रमण सोलंकी, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉ अजय शर्मा, दुर्गाशंकर सूर्यवंशी, डॉ अनुराधा परमार, डॉ सुनीता श्रीवास्तव, विक्रम डाबी सहित बड़ी संख्या में विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण ने सहभागिता की।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...