भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में रीजनल कंसल्टेटिव कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस एक दिन की कार्यशाला में मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के तकनीकी शिक्षा के डायरेक्टर डॉ वीरेन्द्र कुमार थे।
श्री वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि ट्रेनिंग नीड एनालिसिस के माध्यम से बहुत सारी फैकल्टी को लाभ हुआ है, जिसके लिए निटर संस्थान बधाई का का पात्र है। उन्होंने आगे बताया कि हर एक क्षेत्र में ट्रेनिंग इसलिए महत्वपूर्ण होती है ताकि आप अपने सामाजिक दायित्व को निभा सके।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नयी शिक्षा निति (NEP 2020) की मांग है कि शिक्षा ग्रहण करने के कार्य को फ्लेक्सिबल बनाया जाना चाहिए ताकि किसी कारणवश यदि कोई कोर्स छोड़के गया हो तो वो दुबारा उस कोर्स को पूरा कर सके। प्रो. त्रिपाठी जी ने इस कार्यशाला का उद्देश्य बताते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणाली को एकीकृत करने आवश्यकता है। तथा शिक्षा एवं नवाचार की गुणवत्ता बनी रहनी चाहिए एवं विद्यार्थियों में इस तरह का कौशल विकसित करना है की वह रोजगार देने वाले बन सके। उन्होंने आगे बताया कि प्राचीन समय के गुरुकुल में शिक्षा के अलावा प्राकृतिक संसाधनों का ध्यान रखना तथा प्रकृति से जुड़कर एक साथ रहना भी सिखाया जाता था। रोजगार को आगे बढाने की दिशा में निटर संस्थान सतत रूप से प्रयासरत है।
कार्यशाला में श्री मोहन सेन ने कहा कि एक शिक्षक को प्रशिक्षण लेते समय यह ध्यान में रखना चाहिए की प्रशिक्षण व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ, प्रशिक्षण का उपयोग संस्थान के विकास लिए, नवाचार के लिए तथा दूरदराज में स्थित विद्यार्थियों के लिए एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए भी उसका लाभ मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि नयी शिक्षा नीति में शिक्षण समग्र रूप से होना चाहिए तथा उदाहरण देते हुए बताया कि आपका मन नवाचार के क्षेत्र में जो कुछ भी कल्पना करता है वह भविष्य में संभव हो सकता है।
इस कार्यशाला के दौरान सामाजिक, संस्कृतिक, एवं सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस कार्यशाला में निटर संस्थान के संकाय सदस्य तथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं गोवा के प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की।
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