अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ गांधी दर्शन : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पर मंथन
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसका विषय- "गांधी दर्शन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में था। संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय , उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना मंतव्य देते हुए कहा कि - सत्य , अहिंसा के साथ-साथ गांधीजी के मूल्य पर्यावरण और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भी थे।
नॉर्वे से जुड़े साहित्यकार, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल "शरद आलोक" ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को "अहिंसा" दिवस घोषित किया है । भारत के साथ-साथ दुनिया के विकसित देशों में भी गांधीजी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं।
डॉ. हरिसिंह पाल, नागरी लिपि परिषद् महामंत्री, दिल्ली ने कहा कि गांधी जी नेता ही नहीं, महान समाज सुधारक भी थे।
अध्यक्षीय भाषण में डॉ.शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र, मुख्य संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि गांधी जी का सत्य और अहिंसा का सिद्धांत आज पूरे विश्व पर लागू होता है। गांधी जी पर्यावरण के प्रति निरंतर प्रतिबद्ध रहे।
श्री ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि गांधीजी के जीवन का निचोड़ सत्य है। रवींद्रनाथ टैगोर ने उनको महात्मा कहा।
श्रीमती सुवर्णा जाधव पुणे, महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि व्यक्ति मरते हैं , विचार कभी नहीं मरते । गांधी जी ने हृदय परिवर्तन पर जोर दिया।
डॉ. रश्मि चौबे, मुख्य महासचिव, महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि गांधीजी के विचार आज भी प्रासांगिक हैं। स्वच्छता, सर्वोदय , आत्मनिर्भरता, कर्म योग, सत्य , अहिंसा, आत्मानुशासन आदि को अपनाने से ही , राष्ट्र का विकास और विश्व शांति संभव है।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.रोहणी डाबरे, प्राध्यापिका , महाराष्ट्र ने किया । कार्यक्रम की शुरुआत डाॅ संगीता पाल, राष्ट्रीय सचिव , द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि त्यागी, अमरोहा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया ।
प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी , राष्ट्रीय महासचिव , राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने दी। आभार व्यक्त प्रदेश महासचिव संगीता केसवानी, इन्दौर ने किया। कार्यक्रम में डॉ अनुसूया अग्रवाल, श्रीमती अपराजिता शर्मा, डॉ मुक्ता कौशिक, डॉ बालासाहेब तोरस्कर, मुंबई, रजनी प्रभा, डा सुनीता मंडल कोलकाता आदि अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
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